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विश्व मधुमेह दिवस

आजकल के जीवनशैली में मधुमेह यानी डायबिटीज (Diabetes) विश्व में बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है. भारतीय युवा आबादी में डायबिटीज के काफी रोगी (Diabetes Patients) हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि हर साल डायबिटीज को लेकर जागरूकता के लिए 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day) मनाया जाता है. यह दिवस मधुमेह से उपजे ज़ोखिम के बारे में बढ़ती चिंताओं के प्रतिउत्तर में वर्ष 1991 में आईडीएफ यानी अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ (International Diabetes Federation) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा बनाया गया था. यह दिन डायबिटीज की खतरनाक दस्तक को लोगों को समझाती है। एक सौ साठ से अधिक देशों में विश्व के सबसे बड़े मधुमेह जागरूकता अभियान के साथ विश्व मधुमेह दिवस वर्ष 2006 से संयुक्त राष्ट्र का आधिकारिक दिवस है. हर साल इसके लिए अलग-अलग तरह की थीम होती है. वर्ल्ड डायबिटीज डे 2021 की थीम है डायबिटीज केयर तक पहुंच (Access To Diabetes Care). विश्व मधुमेह दिवस के महत्व को समझना हमारे और आपके लिए काफी जरूरी व महत्वपूर्ण है, तो आइए जानते हैं विश्व मधुमेह दिवस के बारे में जानकारी विस्तार से-

शुरुआत – कब और कैसे हुई विश्व मधुमेह दिवस की शुरुआत ?

वर्ल्ड डायबिटीज डे की शुरुआत 1991 में इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन और फिर विश्व स्वास्थ संगठन यानी डब्ल्यूएचओ (WHO) द्वारा डायबिटीज से बनती चिंताजनक स्थिति को देखते हुए किया गया. जिसका मुख्य उद्देश्य जागरूकता फैलाना था. तब से लेकर हर साल 14 नवंबर के दिन लोगों को डायबिटीज के प्रति जागरूक करने के लिए डायबिटीज दिवस मनाया जाता है. विश्व मधुमेह दिवस (World diabetes day) दुनिया का सबसे बड़ा जागरूकता अभियान है. इसमें 160 से भी ज्यादा देश शामिल हैं. हर साल इस अभियान के चलते कई लोगों का ध्यान डायबिटीज जैसी बीमारी और उससे जुड़े कई अहम सेहत के मुद्दों पर जाता है.

वर्ल्ड डायबिटीज डे 2021 की थीम, World Diabetes Day 2021 Theme

आपको बता दें कि आईडीएफ यानी इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (International Diabetes Federation) हर साल वर्ल्ड डायबिटीज डे के लिए एक थीम (World Diabetes Day Theme) चुनता है, और 2021 के लिए उनका मेन फोकस थीम है. डायबिटीज केयर तक पहुंच: यदि अभी नहीं, तो कब?
विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा कहा गया है कि इंसुलिन की खोज के 100 साल बाद भी दुनिया भर में मधुमेह से पीड़ित लाखों लोग आवश्य उपचार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. मधुमेह से ग्रस्त लोगों को अपनी स्थिति का प्रबंधन करने और जटिलताओं से बचने के लिए निरंतर देखभाल और सहायता की आवश्यकता होती है.

विश्व मधुमेह दिवस अभियान का लक्ष्य

– पूरे वर्ष आईडीएफ के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए मंच बनाना.
– प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य समस्या के रूप में मधुमेह का सामना करने के लिए समन्वयित और मज़बूत कार्रवाई करने के महत्व को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक संचालक बनाना.
– यह अभियान मधुमेह की जागरुकता के लिए वैश्विक प्रतीक के रूप में नीले वृत्त वाले लोगों द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जो कि मधुमेह की महामारी के जवाब में वैश्विक मधुमेह समुदाय की एकता का प्रतीक है. विश्व मधुमेह दिवस 2021 की थीम डायबिटीज केयर तक पहुंच है.

विश्व मधुमेह दिवस का इतिहास, World Diabetes Day History

14 नवंबर को सर फ्रेडरिक बैटिंग (Sir Frederick Banting) का जन्मदिन होता है. इन्होंने 1922 में चार्ल्स बेस्ट (Charles Best) के साथ मिलकर इंसुलिन (Insulin) की खोज की थी, जो आज शुगर के रोगियों के काफी काम आती है. इंसुलिन से शरीर में शुगर की मात्रा को काबू में रखने की सहायता मिलती है. इसीलिए 14 नवंबर को ही विश्व डायबिटीज दिवस मनाया जाता है. विश्व मधुमेह दिवस 1991 में इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (International Diabetes Federation) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा इस रोग से बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर और इसके प्रति जारूकता फैलाने के लिए मनाया गया था. तब से यह हर साल मनाया जाता है. हर साल इसके लिए अलग-अलग तरह की थीम होती है.

महत्‍व – वर्ल्ड डायबिटीज डे का महत्‍व, World Diabetes Day Significance

वर्ल्ड डायबिटीज डे दुनिया का सबसे बड़ा मधुमेह (डायबिटीज) जागरूकता अभियान है, जो 160 से अधिक देशों में 1 बिलियन से अधिक लोगों तक पहुंच रहा है. यह अभियान डायबिटीज (Diabetes) से जुड़े मुद्दों की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करता है और इसे सार्वजनिक और राजनीतिक स्पॉटलाइट में मजबूती से रखता है. यह दिन साल भर डायबिटीज से जुड़े मुद्दों के लिए यह एक वैश्विक मंच प्रदान करता है. इसके अलावा रोग के खिलाफ ठोस कार्रवाई के महत्व को बढ़ाने का काम भी विश्व मधुमेह दिवस द्वारा होता है.
इस अभियान को नीले लोगो से दर्शाया गया है जिसे 2007 में लिया गया था. संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे अपनाया गया था. यह डायबिटीज की बीमारी के जवाब में वैश्विक समाज की एकता को दर्शाता है. इसलिए एक समर्पित विषय के साथ हर साल डायबिटीज डे कैंपेन चलता है और डायबिटीज के प्रति जागरूकता ही इस दिवस और अभियान का मुख्य लक्ष्य है.

मधुमेह / डायबिटीज क्या है?

मधुमेह क्रोनिक रोग है, जिसमें व्यक्ति की रक्त शर्करा उच्च (हाइपरग्लेसीमिया) हो जाती है या शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता हैं या शरीर इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करता है. इंसुलिन अग्न्याशय द्वारा उत्पादित हार्मोन है. यह ऊर्जा बनाने के लिए शरीर की कोशिकाओं द्वारा उपयोग किए जाने के लिए ग्लूकोज (कार्बोहाइड्रेट खाद्य पदार्थ को ग्लूकोज में विभाजित करता है) में मदद करता है. लंबी अवधि में हाइपरग्लेसेमिया शरीर की क्षति और विभिन्न अंगों एवं ऊतकों की विफलता के साथ जुड़ा है.
मधुमेह मुख्यत: तीन टाइप का होता हैं:
मधुमेह टाइप 1- शरीर पर्याप्त इंसुलिन पैदा नहीं करता है.
मधुमेह टाइप 2- शरीर इंसुलिन पैदा करता है, लेकिन इसे अच्छी तरह से उपयोग नहीं करता है.
गर्भकालीन मधुमेह- गर्भावस्था में अस्थायी स्थिति होती है.

कारण – डायबिटीज के कारण

जब शरीर सही तरीके से रक्त में मौजूद ग्लूकोज़ या शुगर का उपयोग नहीं कर पाता. तब, व्यक्ति को डायबिटीज़ की समस्या हो जाती है. आमतौर पर डायबिटीज के मुख्य कारण ये स्थितियां हो सकती हैं-
– इंसुलिन की कमी
– परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ होना
– बढ़ती उम्र
– हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल
– एक्सरसाइज ना करने की आदत
– हार्मोन्स का असंतुलन
– हाई ब्लड प्रेशर
– खान-पान की ग़लत आदतें
– डायबिटीज़ के लक्षण क्या हैं ?

लक्षण – डायबिटीज़ के लक्षण

पीड़ित व्यक्ति के शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर के अनुसार उसमें डायबिटीज़ के लक्षण दिखाई देते हैं. ज्यादातर मामलों में अगर व्यक्ति प्री डायबिटीज या टाइप-2 डायबिटीज का से पीड़ित हो तो, समस्या की शुरूआत में लक्षण दिखाई नहीं पड़ते. लेकिन, टाइप-1 डायबिटीज के मरीज़ों में डायबिटीज़ लक्षण बहुत तेजी से प्रकट होते हैं और ये काफी गंभीर भी होते हैं. टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मुख्य लक्षण ये हैं-
– बहुत अधिक प्यास लगना
– बार-बार पेशाब आना
– भूख बहुत अधिक लगना
– अचानक से शरीर का वजह कम हो जाना या बढ़ जाना
– थकान
– चिड़चिड़ापन
– आंखों के आगे धुंधलापन
– घाव भरने में बहुत अधिक समय लगना
– स्किन इंफेक्शन
– ओरल इंफेक्शन्स
– वजाइनल इंफेक्शन्स

जागरुकता ही बचाव है

बिना जागरूक हुए हम किसी भी समस्या का निवारण नहीं कर सकते. डायबिटीज से बचाव के लिए भी हमें जागरूक होने और जानकारियां हासिल करने की जरूरत होती है. ताकि हम सही समय पर परहेज कर सके. डायबिटीज को लेकर कई खाद्य पदार्थ भ्रम से जूझ रहे हैं, ऐसे में जागरूकता की कमी के कारण हम अपने स्वास्थ्य को लेकर कुछ गलतियां कर जाते हैं. जागरूक होना ही बचाव का पहला कदम है.

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परिचय – क्या है इम्यून सिस्टम/ इम्यूनिटी/ रोग प्रतिरोधक क्षमता? प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) 

जिस तरह से किसी स्मार्टफोन में नेटवर्क काम करता है, उसी तरह हमारे शरीर में इम्यून सिस्टम काम करता है. यानी कि स्मार्टफोन का नेटवर्क जितना स्ट्रॉन्ग होगा, बातचीत उतनी ही अच्छी होगी, और हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम जितना स्ट्रॉन्ग होगा हमारी सेहत उतनी ही उच्छी होगी. ये तो हो गया इम्यून सिस्टम का काम कि यह हमारे शरीर की बिमारियों से रक्षा करता है और हमें फिट रखता है. पर आखिर ये इम्यून सिस्टम है क्या, हम पहले इसके बारे में जान लेते हैं.
इम्युनिट सिस्टम हमारे शरीर का वह रक्षा कवच है जो वायरस, बैक्टीरिया, फंगी, एल्गी समेत उन तमाम रोगाणुओं के सामने ढाल बनता है, जो बीमारियों का कारण बनते हैं। इम्यून सिस्टम (शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली) कोई एक अंग या इकाई नहीं है, बल्कि यह कोशिकाओं, ऊतकों, और अंगों का एक नेटवर्क है, जो शरीर की रक्षा के लिए मिलकर काम करते हैं. इसे प्रमुख रूप से दो भागों में बांट सकते हैं। पहला है इनैट, यानी जन्मजात इम्यून क्षमता। त्वचा, नाक में मौजूद स्नॉट, लार पहला रक्षा कवच होते हैं। दूसरा है एडॉप्टिव इम्यून सिस्टम यानी अनुकूल प्रतिरक्षा प्रणाली, जो हम लाइफस्टाइल से हासिल करते हैं।
जब हम संक्रमण के शिकार होते हैं या किसी रोगजनक के संपर्क में आते हैं, तो हमारा शरीर उसके खिलाफ लड़ने के लिए तैयार होता है। कई बार रोगाणु रक्षात्मक प्रणाली को तोड़कर शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं। तब इनका मुकाबला हमारी व्हाइट ब्लड सेल्स (लिम्फोसाइट्स) से होता है। पर कई मामलों में इम्यून सिस्टम कुछ ब्लाइंड स्पॉट्स छोड़ देता है। कुछ बग्स को यह नहीं पकड़ पाता। यही ब्लाइंड स्पॉट्स नई-नई बीमारियों का कारण बनते हैं। इसका मतलब यह है कि मजबूत इम्यून सिस्टम के साथ इससे लड़ा जा सकता है। आइए जानते हैं इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण, लक्षण और इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय-

कारण – इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण

1. प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के सेवन से – इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी आपका भोजन होता है. हेल्दी खाना आपके इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में मदद कर सकता है. रिफाइंड कार्ब्स, चीनी और नमक से भरपूर आहार इम्यून सिस्टम कमजोर कर सकते हैं. प्रोसेस्ड फूड्स हमारे शरीर में गुड बैक्टीरिया कम कर सकते हैं. अपने खाने में प्याज, लहसुन, अदरक का इस्तेमाल करें.
2. शारीरिक रूप से एक्टिव न होने पर – इम्यूनिटी हमारे दैनिक जीवन में की गई क्रियाओं से ही बनती और बिगड़ती है. व्यायाम को हमेशा से ही स्वस्थ्य जीवनशैली का हिस्सा माना गया है. एक्सपर्ट भी मानते हैं कि रोजाना एक्सरसाइज करने से हमारा ब्लड फ्लो तो बेहतर होता ही है साथ ही इससे इम्यूनिटी भी बढ़ती है और हम स्ट्रेस फ्री भी रह सकते हैं. व्यायाम हमारे शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं को भी बढ़ाने में फायदेमंद माना जाता है.
3. जरूरत से ज्यादा व्यस्त रहने पर – अपनी दिनचर्या में से अगर आप खुद के लिए समय नहीं निकालते हैं तो आपकी इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है. हर समय काम करने या ज्यादा बिजी लाइफ से व्यक्ति तनाव का शिकार हो जाता है जिसका सीधा असर हमारे इम्यून सिस्टम पर हो सकता है. ऐसे में अगर खुद की इम्यूनिटी को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं तो खुद के लिए समय निकालें.
4. तंबाकू और नशीले पदार्थो का सेवन करने से – तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. तंबाकू एक जानलेवा उत्पाद है जो कैंसर का कारण बन सकता है. किसी भी रूप में तम्बाकू का सेवन सांस से जुड़ी दिक्कतें पैदा कर सकता है. तंबाकू का सेवन करने से हमारे शरीर में संक्रमणों से लड़ने की क्षमता कम होने लगती है. धूम्रपान न सिर्फ हमारे फेफड़ों को खराब करता है बल्कि इसका सेवन हमारी इम्यूनिटी को भी कमजोर कर सकता है. नियमित रूप से शराब पीने से इम्यून सिस्टम को नुकसान हो सकता है. एल्कोहल आंत में स्वस्थ और अस्वास्थ्यकर बैक्टीरिया के बीच संतुलन को बिगाड़ सकता है. साथ ही आपकी इम्यूनिटी को कमजोर करने का भी काम कर सकता है. ऐसे में अपनी दिनचर्या से शराब को निकाल दें और हेल्दी ड्रिंक्स का सेवन करें जो आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद कर सकती हैं.

लक्षण – रोग प्रतिरोधक क्षमता/ इम्युनिटी कमजोर होने के लक्षण 

1- जरा सा मौसम बदलते ही बीमार हो जाना – मौसम बदलने पर आपको बहुत जल्दी-जल्दी जुकाम-खांसी, गले में खराश या सांस लेने में तकलीफ आदि समस्याएं होने लगती हैं, तो समझ जाइए कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। इसके अलावा, डायरिया, मसूड़ों में सूजन, मुंह में छाले और स्किन रेशेज आदि भी खराब इम्यूनिटी के लक्षण हैं। जब भी आप जल्द ही इन समस्याओं से घिर जाएं तो अपनी डाइट में एंटीबायोटिक गुणों से समृद्ध चीजों का सेवन करना शुरू कर दें।
2- चोट का जल्दी ठीक न होना – अगर आपको चोट लगी है और वह काफी समय से ठीक नहीं हुई है तो समझ जाइए कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, इसी वजह से चोट ठीक नहीं हो पा रही है। अगर आप इस समस्या से जूझ रहे हैं तो अपनी डाइट में आयुर्वेदिक चीजों का सेवन करना शुरू कर दें।
3- जल्दी इंफेक्शन का शिकार हो जाना – इसके अलावा, अगर आपको कुछ खाने-पीने से जल्दी ही इंफेक्शन हो जाता है, तब भी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है।
4- तनाव, थकान और सुस्ती आदि भी हैं कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) के लक्षण – अगर आपको थोड़ा सा काम करने के बाद ही थकान महसूस होने लगे या आप ज्यादा समय तक सुस्त रहते हैं तो यह भी कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के लक्षण हैं। साथ ही अनिद्रा, तनाव और विटामिन-डी, सी की कमी भी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के लक्षण हैं। अब ब्लड टेस्ट करवाकर विटामिन्स की कमी के बारे में जान सकते हैं। ऐसे में अगर कमी पाई जाए तो आपको इसका लेवेल सही करने की हर कोशिश करनी चाहिए।

इम्यून सिस्टम मजबूत करने का तरीका, इम्यूनिटी स्ट्रांग करने के उपाय

1- अपनाएं हेल्दी लाइफस्टाइल – इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए आपको सबसे पहले हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना पड़ेगा। इसके अंतर्गत आपकी जिंदगी में कई सारे ऐसे काम होंगे जिसे आपको छोड़ना भी पड़ेगा और तो और कुछ आदतों को अपनाना भी पड़ेगा। यह ऐसी प्राकृतिक आदतें हैं जिन्हें अपनाकर ना केवल आप अपनी क्वालिटी ऑफ लाइफ को सुधारेंगे बल्कि इम्यून सिस्टम को भी नैचरली बूस्ट करते हुए स्वस्थ बने रहेंगे। दरअसल, शरीर के सभी अंगों पर पड़ने वाला प्रभाव इम्यून सिस्टम को मजबूत और कमजोर बनाने की क्षमता रखता है। यही वजह है कि एक मजबूत इम्यून सिस्टम के लिए आपको हर एक छोटी सी छोटी बात पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इसलिए हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करना बहुत जरूरी है।
2- शरीर सफ़ा, तो रोग दफ़ा – मज़बूत इम्यून सिस्टम के लिए स्वच्छ वातावरण ज़रूरी होता है, क्योंकि गंदगी के कारण संक्रमण की चपेट में आने का ख़तरा बढ़ जाता है. दिनभर गंदगी या कीटाणु के संपर्क में रहने के कारण किसी ऐंटीबैक्टीरियल लोशन से अच्छी तरह हाथ धोएं. फल और सब्ज़ियों को खाने और पकाने से पहले अच्छी तरह से धो लें. खाना बनाने और खाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह साफ़ करें. रोज़ाना स्नान करें. शरीर को यथासंभव स्वच्छ रखें. ऐसा करने से जहां संक्रमण से बचाव होगा वहीं मन प्रसन्न रहेगा और यह ताज़गी आपके इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करेगी.
3- रोजाना करें व्यायाम  – व्यायाम करने से हमें अच्छी फिटनेस तो मिलती ही है इसके साथ-साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए भी इसका बहुत बड़ा योगदान होता है। दरअसल, एक्सर्साइज के दौरान हमारे शरीर के कई अंगों की बेहतरीन मालिश हो जाती है जिसके कारण यह इम्यून सिस्टम को भी बूस्ट करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। इसलिए नियमित रूप से व्यायाम भी करें ताकि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे।
4- इम्यूनिटी बढ़ाने वाले प्राणायाम करें – प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने में प्राणायाम सबसे कारगर हैं। रोजाना भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और प्रणव नाद करना चाहिए। श्वास-प्रश्वास के ये अभ्यास कई बीमारियों से बचाते हैं। प्राणायाम भारत के साथ-साथ अब विदेशों में भी काफी प्रचलित हो रहा है। कई जगह इसे कॉन्शियस ब्रीदिंग भी कहते हैं। इसके साथ-साथ नासिका मुद्रा करने से भी लाभ मिलता है और हमारी इम्युनिटी में बढ़ोतरी होती है। इन सभी अभ्यासों को ठीक तरीके से करने के लिए कई तरह के वीडियोज यूट्यूब पर उपलब्ध हैं।
5- तनाव को पास भटकने भी न दें – हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह भी देखा गया था कि स्ट्रेस लेने वालों का इम्यून सिस्टम भी काफी हद तक कमजोर हो जाता है। इसलिए अगर आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं तो किसी भी काम के बारे में स्ट्रेस ना लें और कोशिश करें कि आपके जो भी काम हैं उसे सही समय पर खत्म करें। स्ट्रेस लेने के कारण शरीर की कई कोशिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिसके कारण वह इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को भी हानि पहुंचाती हैं और आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। इसलिए मजबूत इम्यूनिटी पॉवर के लिए स्ट्रेस लेने से बचें।
6- सुबह की गुनगुनी धूप सेंकें – विटामिन डी इम्यूनिटी को बढ़ाता है और ज़यादातर लोगों में इसकी कमी होती है. इसके लिए सबसे असरदार उपाय है सुबह सूरज की गुनगुनी धूप सेंकना. विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है, जिससे हमारी हड्डियां मज़बूत बनती हैं.
7- पर्याप्त पानी पियें – हमारे शरीर में सबसे अधिक हिस्सा पानी का होता है. इसलिए इम्यूनिटी सिस्टम को मज़बूत करने का पहला असरदार क़दम है पर्याप्त पानी पीना. पानी हमारे शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है. हमारी किडनी की कार्यप्रणाली को स्वस्थ बनाए रखता है. तांबे के बर्तन में पानी पीने से उसकी गुणवत्ता बढ़ जाती है. पानी हमारी मांसपेशियों को एनर्जी प्रदान करता है, आंतों की गतिविधियों में सुधार लाता है. स्वस्थ बने रहने के लिए ज़रूरी है कि दिन में कम से कम 7-8 ग्लास पानी पिएं. सोडा, अल्कोहल, चाय या कॉफ़ी से प्यास बुझाने से बचें.
8- ध्रूमपान से दूर रहें – एक मजबूत इम्यून सिस्टम के लिए सबसे पहले आपको धूम्रपान न करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि धूम्रपान करने के कारण आपके फेफड़े और श्वसन प्रणाली पर बुरा असर पड़ता है जिसके कारण इम्यून सिस्टम भी कमजोर होने लगता है। इतना ही नहीं यह आप के श्वसन अंगो में कैंसर का भी कारण बन सकता है। इसलिए मजबूत इम्यूनिटी के लिए आपको धूम्रपान छोड़ देना चाहिए।
9- अच्छी नींद लें – हमारे शरीर और मस्तिष्क के ठीक ढंग से काम करने के लिए 6-8 घंटे की नींद बहुत ज़रूरी है. पर्याप्त गहरी नींद कोशिकाओं को पुनर्निर्माण में मदद करती है. अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेते तो इम्यून सिस्टम को पुनर्निर्माण का समय नहीं मिलने के कारण वह कमज़ोर हो जाता है. पर्याप्त नींद न सिर्फ़ आपकी ऊर्जा और मिज़ाज को बनाए रखती है, बल्कि यह स्ट्रोक को रोकती, और वज़न संतुलित रखने में मदद करती है. शराब और सिगरेट से दूर रहें. जब कोई चारा न बचे, तो इंजेक्शन का सहारा लें. अगर इम्यून सिस्टम बहुत ज़्यादा ही कमज़ोर हो गया है, तो आप डॉक्टर से सलाह लेकर किसी डोनर के ख़ून से निकाले गए इम्यूनोग्लोब्युलिन का इंजेक्शन ले सकते हैं.
10- अच्छा खाएं चबाचबाकर खाएं – ज्यादातर लोगों को भोजन करने का सही तरीक़ा नहीं मालूम, क्योंकि लोगों के पास समय नहीं है. आप जो भोजन करते हैं, उसकी ख़बर मस्तिष्क के तृप्ति केंद्र को लगने में लगभग 15 मिनट का समय लगता है. पर लोग पांच-सात मिनट में ही भोजन की प्लेट ख़ाली कर देते हैं. ऐसे में ब्रेन से आपके भूखा होने का सिग्नल मिलता रहता है, जबकि आप ज़रूरत से ज़्यादा खा चुके होते हैं. इसलिए ज़रूरी है कि आप जो कुछ भी खाएं उसे अच्छी तरह चबा-चबाकर खाएं. ताकि भोजन के पोषक तत्व बोन मैरो (अस्थि मज्जा) तक भरपूर मात्रा में पहुंच जाते हैं, जहां रोगों से लड़ने में कारगर श्वेत रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है. भोजन करते समय यह ध्यान रखें कि हम जो कुछ खा रहे हैं, वह कितनी आसानी से पचेगा. फ़ूड एक्स्पर्ट एन आर देसाई कहते हैं कि सब्ज़ियां, फल और अंकुरित अनाज पचने में 13 घंटे, पकी सब्ज़ियों और दलहन को पचने में 24 घंटे, जबकि मांसाहारी और तला हुआ भोजन पचने में 72 घंटों का समय लगता हैं. हमारे बॉडी क्लॉक की ऐसी व्यवस्था है कि सुबह चार बजे से दोपहर तक शरीर पचे आहार के बचे कचरे को बाहर निकालने के लिए तैयार रहता है, दोपहर से रात आठ बजे तक खाने और पचाने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम तैयार रहता है और रात आठ बजे से सुबह चार बजे तक आहार के अवशोषण और उपयोग की तैयारी रहती है. इसलिए हम जो भी भोजन करते हैं, उसमें हर बार 35% प्रोटीन, 35% कार्बोहाइड्रेट, 15% सलाद और 5% तेल होना चाहिए. कहने का मतलब है कि भोजन में व्यंजनों की भरमार के बजाय कोई एक प्रोटीनयुक्त व्यंजन, एक या दो कार्बोहाइड्रेट युक्त व्यंजन, हरे सलाद और लहसुन, धनिया, पुदीने आदि की चटनी होनी चाहिए.
11- हंसना जरूरी है – हंसने से रक्त संचार सुचारु होता है व हमारा शरीर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन ग्रहण करता है। तनावमुक्त होकर हँसने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने में मदद मिलती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने के लिए डाइट/ फुड (Diet / food to increase immunity)

दही और छाछ 
इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए गर्मियों में दही का सेवन किया जा सकता है। दिन में कम से कम 1 कटोरी दही का सेवन जरूर करें। गर्मी के मौसम में छाछ का सेवन करने की सलाह दी जाती है। छाछ पीने से पाचनतंत्र ठीक रहता है। दिन में गुड़ के साथ छाछ पीने से शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होती है। इस मौसम में स्वस्थ रहने के लिए छाछ का सेवन करना चाहिए।
1- केला – केला स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। केले में आयरन, मैग्निशियम और पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये त्तव शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करते हैं।
केले में आयरन भरपूर मात्रा में होता है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि केले को यदी छीलकर रख दिया जाए तो वो काला हो जाता है। केले का ये काला रंग आयरन की वजह से होता है।
आयरन फेफड़ो में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है। केले का सेवन करने से शरीर को भरपूर मात्रा में आयरन मिलेगा, जिससे हमारे शरीर को कोरोना वायरस से लड़ने की ताकत मिलेगी।
2- पिएं तुलसी और शहद की चाय – गर्मी में चाय का सेवन कम करना चाहिए, ऐसे में शहद और तुलसी की चाय पी जा सकती है। ये चाय सेहत के लिए फायदेमंद होती है। तुलसी ऐंटी- इंफ्लामेट्री गुणों से भरपूर होती है। इसके सेवन से शरीर कई तरहों की बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो जाता है। भारत के आयुष मंत्रालय ने भी तुलसी के उपयोग को शरीर की इम्यूनिटीबढ़ाने वाला बताया है।
3- रसदार फल – संतरा, मौसमी आदि रसदार फलों में भरपूर मात्रा में खनिज लवण तथा विटामिन सी होता है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आप चाहें तो पूरे फल खाएँ और चाहें तो इनका रस निकालकर सेवन करें। हां, रस में शकर या नमक न मिलाएं।
4- सलाद – भोजन के साथ सलाद का उपयोग अधिक से अधिक करें। भोजन का पाचन पूर्ण रूप से हो, इसके लिए सलाद का सेवन जरूरी होता है। ककड़ी, टमाटर, मूली, गाजर, पत्तागोभी, प्याज, चुकंदर आदि को सलाद में शामिल करें। इनमें प्राकृतिक रूप से मौजूद नमक हमारे लिए पर्याप्त होता है। ऊपर से नमक न डालें।
5- चोकर सहित अनाज – गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का जैसे अनाज का सेवन चोकर सहित करें। इससे कब्ज नहीं होगी तथा प्रतिरोध क्षमता चुस्त-दुरुस्त रहेगी।

आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने के तरीकें  (Ways to increase immunity in Ayurveda)

आयुर्वेद में इम्युनिटी बढ़ाने के कई उपाय हैं। इन तीन कारगर और आसान उपायों में से रोजाना एक को भी अमल में ले लाएंगे तो फायदा होगा। तीनों करें तो और भी बेहतर :
1- आधे चम्मच हल्दी व उसमें शहद मिलाकर रोज़ाना सोते समय कुनकुने दूध से लें।
2- आधा चम्मच आंवला पाउडर में शहद मिलाकर रोज़ाना सुबह सेवन कीजिए।
3- एक गिलास कुनकुने पानी में एक नींबू का रस मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं।
4- इसके अलावा रोज़ाना सुबह 30 मिनट धूप लें।

इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हर्बल चाय (drinks to boost immune system)

इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दिन में एक या दो बार हर्बल चाय तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सूखी अदरक और किशमिश का काढ़ा पिएं. इसके अलावा आयुष मंत्रालय की सलाह है कि सुबह और शाम दो बार नाक के दोनों नाथूनों में तील का तेल या घी लगाने जैसे कुछ आसान आयुर्वेदिक उपाय भी किए जा सकते हैं।
1- काढ़ा पिएं – काढ़े को लेकर आयुष मंत्रालय का कहना है कि यह हर्बल काढ़े का सेवन करने से कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है उन्होंने कहा कि हर्बल काढ़ा में 4 औषधीय जड़ी बूटियों का समावेश किया गया है जो भारतीय रसोई में आसानी से उपलब्ध होती है।
2- इन चिजों से बनाए काढ़ा – इस आयुष काढ़े को घर में आराम से बनाया जा सकता है जिसके लिए आपको इन चीजों की जरूरत होगी तुलसी का पत्ता-4, दालचीनी छाल-दो टुकड़े, शॉर्ठ-दो टुकड़े, काली मिर्च -1, मुनक्का-4।

काढ़ा बनाने की विधि

यह काढ़ा बनाने के लिए तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, अदरक और मुनक्का को एक साथ पानी में उबाल लें और छानकर इस पानी का सेवन करें, इस काढ़े का सेवन दिन में एक से दो बार कर सकते हैं। अगर इस काढ़े को पीने में स्वाद में कोई परेशानी आए तो आप इसमें गुड़िया या निंबू का रस मिला सकते हैं।
आयुष मंत्रालय ने सलाह दी है कि सूखी खांसी या गले में सूजन के लिए दिन में एक या दो बार पुदीने की ताजा पत्तियां अजवाइन के साथ ले सकते हैं। गले में खराश के लिए दिन में दो या तीन बार प्राकृतिक शक्कर या शहद के साथ लॉन्ग का पाउडर लेने के लिए भी आयुष मंत्रालय ने सलाह दी है।

आपका इम्यून सिस्टम ही शरीर पर हमला कर दे तो क्या होगा?

हमारे शरीर में जब भी कोई बैक्टीरिया या वायरस घुसता है तो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता उससे लड़ती है और उसे कमजोर करके खत्म कर देती है। लेकिन, कई बार हमारे शरीर के दुश्मन या बीमारी से लड़ने वाली कोशिकाओं की ये सेना बागी हो जाती है।और दुश्मन को खत्म करने की कोशिश में खुद हमारे ही शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लगती है। जिन कोशिकाओं की उन्हें हिफाजत करनी है, ये लड़ाकू दस्ता उन्हीं पर हमला बोल देता है।
जब हमारा इम्यून सिस्टम जरूरत से ज्यादा सक्रिय होकर रोगों से लड़ने के बजाय हमारे शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लगता है, तो उसे ‘साइटोकाइन स्टॉर्म’ कहते हैं। इसमें इम्यून सेल फेफड़ों के पास जमा हो जाते हैं और फेफड़ों पर हमला करते हैं। इस प्रक्रिया में खून की नसें फट जाती हैं। उनसे खून रिसने लगता है और खून के थक्के बन जाते हैं।
नतीजतन शरीर का ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। दिल, गुर्दे, फेफड़े और जिगर जैसे शरीर के नाजुक अंग काम करना बंद करने लगते हैं या कह सकते हैं कि ये शिथिल पड़ने लगते हैं। इस स्थिति को जांच और इलाज के बाद नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन कोविड-19 के मरीजों में इसे काबू करने के लिए क्या तरीका हो सकता है, फिलहाल कहना मुश्किल है।

कोमा में भी जा सकते हैं मरीज

शरीर में जब भी साइटोकाइन स्टॉर्म होता है तो ये सेहतमंद कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है। खून के लाल और सफेद सेल खत्म होने लगते हैं और जिगर को नुकसान पहुंचाते हैं। जानकारों का कहना है कि साइटोकाइन स्टॉर्म के दौरान मरीज को तेज बुखार और सिरदर्द होता है। कई मरीज कोमा में भी जा सकते हैं। ऐसे मरीज हमारी समझ से ज्यादा बीमार होते हैं। हालांकि अभी तक डॉक्टर इस परिस्थिति को महज समझ पाए हैं। जांच का कोई तरीका हमारे पास नहीं है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि महामारियों वाले फ्लू में मौत शायद वायरस की वजह से नहीं बल्कि मरीज के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक सक्रिय होने की वजह से होती है। जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही असंतुलित हो जाएगी तो मौत होना तय है।
अपनी इम्यून सेल को बेकाबू होने से बचने के लिए जरूरी है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को ही शांत किया जाए। इसके इलाज के लिए स्टेरॉयड ही पहली पसंद हैं। लेकिन कोविड के संदर्भ में अभी ये स्पष्ट नहीं है कि स्टेरॉयड इसमें लाभकारी होंगे या नहीं।
कुछ खास तरह के साइटोकाइन रोकने के लिए कई तरह की दवाएं बाजार में उपलब्ध भी हैं। मान लीजिए साइटोकाइन से लड़ने के लिए स्टेरॉयड अगर बम हैं तो अन्य दवाएं टार्गेटेड मिसाइलें हैं। मरीज को ये दवाएं इसलिए दी जाती हैं, ताकि इम्यून सिस्टम बरकरार रहे और गड़बड़ कोशिकाएं खत्म कर दी जाएं।
मिसाल के लिए अनाकिन्रा (क्रेनेट) एक प्राकृतिक मानव प्रोटीन का संशोधित संस्करण है जो साइटोकाइना IL-1 के लिए रिसेप्टर्स को रोकता है। ये रिह्यूमोटाइड आर्थराइटिस के इलाज के लिए अमेरिका की सरकार से मान्यता प्राप्त है। इसी तरह टोसिलिजुमाब (एक्टेम्रा) भी कोविड-19 में फायदेमंद साबित हो सकती है। सामान्य तौर पर इसका इस्तेमाल भी गठिया, जोड़ों के दर्द और इम्योथेरेपी वाले कैंसर के मरीजों में साइटोकाइन स्टॉर्म नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

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