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चाणक्य नीति अध्याय 5, Chanakya Niti Chapter 5 In Hindi
कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विश्वविख्यात और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया. आज हम आपके लिए “चाणक्य नीति” के सभी सत्रह अध्याय लेकर आए हैं. जानकारी के लिए बता दें कि “चाणक्य नीति” आचार्य चाणक्य की नीतियों का अद्भुत संग्रह है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना वह दो हजार चार सौ साल पहले था, जब इसे लिखा गया था.
चाणक्य नीति द्वारा मित्र-भेद से लेकर दुश्मन तक की पहचान, पति-परायण तथा चरित्र हीन स्त्रियों में विभेद, राजा का कर्तव्य और जनता के अधिकारों तथा वर्ण व्यवस्था का उचित निदान हो जाता है. जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि महापंडित आचार्य चाणक्य की ‘चाणक्य नीति’ में कुल सत्रह अध्याय है, इन्हे आप यहां पढ़ सकते हैं. हमने आपकी सुविधा के लिए हर एक अध्याय के नीचे बाकि के बचे सभी अध्याय की लिंक्स भी प्रकाशित कर दी है, ताकि आप एक ही जगह से संपूर्ण चाणक्य नीति का अध्ययन कर सके.
चाणक्य नीति पाँचवाँ अध्याय, Chanakya Niti Chapter 5
1- ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए . दूसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए . पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए
2- सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है. उसी तरह व्यक्ति का परीक्षण वह कितना त्याग करता है, उसका आचरण कैसा है, उसमें गुण कौन से है और उसका व्यवहार कैसा है इससे होता है.
3- यदि आप पर मुसीबत आती नहीं है तो उससे सावधान रहे. लेकिन यदि मुसीबत आ जाती है तो किसी भी तरह उससे छुटकारा पाए.
4- अनेक व्यक्ति जो एक ही गर्भ से पैदा हुए है या एक ही नक्षत्र में पैदा हुए है वे एक से नहीं रहते. उसी प्रकार जैसे बेर के झाड़ के सभी बेर एक से नहीं रहते.
5- वह व्यक्ति जिसके हाथ स्वच्छ है कार्यालय में काम नहीं करना चाहता. जिस ने अपनी कामना को ख़तम कर दिया है, वह शारीरिक शृंगार नहीं करता, जो आधा पढ़ा हुआ व्यक्ति है वे मीठे बोल नहीं सकता. जो सीधी बात करता है वह धोका नहीं दे सकता.
6- मूढ़ लोग बुद्धिमानो से ईर्ष्या करते है. गलत मार्ग पर चलने वाली औरत पवित्र स्त्री से ईर्ष्या करती है. बदसूरत औरत खूबसूरत औरत से ईर्ष्या करती है.
7- खाली बैठने से अभ्यास का नाश होता है. दूसरों को देखभाल करने के लिए देने से पैसा नष्ट होता है. गलत ढंग से बुवाई करने वाला किसान अपने बीजों का नाश करता है. यदि सेनापति नहीं है तो सेना का नाश होता है.
8- अर्जित विद्या अभ्यास से सुरक्षित रहती है.
घर की इज्जत अच्छे व्यवहार से सुरक्षित रहती है.
अच्छे गुणों से इज्जतदार आदमी को मान मिलता है.
किसी भी व्यक्ति का गुस्सा उसकी आँखों में दिखता है.
9- धर्म की रक्षा पैसे से होती है.
ज्ञान की रक्षा जमकर आजमाने से होती है.
राजा से रक्षा उसकी बात मानने से होती है.
घर की रक्षा एक दक्ष गृहिणी से होती है.
10- जो वैदिक ज्ञान की निंदा करते है, शास्त्र सम्मत जीवनशैली की मजाक उगाते है, शांतिपूर्ण स्वभाव के लोगों की मजाक उगाते है, बिना किसी आवश्यकता के दुःख को प्राप्त होते है.
11- दान गरीबी को ख़त्म करता है. अच्छा आचरण दुःख को मिटाता है. विवेक अज्ञान को नष्ट करता है. जानकारी भय को समाप्त करती है.
12- वासना के समान दुष्कर कोई रोग नहीं. मोह के समान कोई शत्रु नहीं. क्रोध के समान अग्नि नहीं. स्वरूप ज्ञान के समान कोई बोध नहीं.
13- व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है. अकेले ही मरता है. अपने कर्मों के शुभ अशुभ परिणाम अकेले ही भोगता है. अकेले ही नरक में जाता है या सद्गति प्राप्त करता है.
14- जिसने अपने स्वरूप को जान लिया उसके लिए स्वर्ग तो तिनके के समान है. एक पराक्रमी योद्धा अपने जीवन को तुच्छ मानता है. जिसने अपनी कामना को जीत लिया उसके लिए स्त्री भोग का विषय नहीं. उसके लिए सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तुच्छ है जिसके मन में कोई आसक्ति नहीं.
15- जब आप सफ़र पर जाते हो तो विद्यार्जन ही आपका मित्र है. घर में पत्नी मित्र है. बीमार होने पर दवा मित्र है. अर्जित पुण्य मृत्यु के बाद एकमात्र मित्र है.
16- समुद्र में होने वाली वर्षा व्यर्थ है. जिसका पेट भरा हुआ है उसके लिए अन्न व्यर्थ है. पैसे वाले आदमी के लिए भेट वस्तु का कोई अर्थ नहीं. दिन के समय जलता दिया व्यर्थ है.
17- वर्षा के जल के समान कोई जल नहीं. खुद की शक्ति के समान कोई शक्ति नहीं. नेत्र ज्योति के समान कोई प्रकाश नहीं. अन्न से बढ़कर कोई संपत्ति नहीं.
18- निर्धन को धन की कामना. पशु को वाणी की कामना. लोगों को स्वर्ग की कामना. देव लोगों को मुक्ति की कामना.
19- सत्य की शक्ति ही इस दुनिया को धारण करती है. सत्य की शक्ति से ही सूर्य प्रकाशमान है, हवाए चलती है, सही में सब कुछ सत्य पर आश्रित है.
20- लक्ष्मी जो संपत्ति की देवता है, वह चंचला है. हमारी श्वास भी चंचला है. हम कितना समय जियेंगे इसका कोई ठिकाना नहीं. हम कहा रहेंगे यह भी पक्का नहीं. कोई बात यहाँ पर पक्की है तो यह है की हमारा अर्जित पुण्य कितना है.
21- आदमियों में नाई सबसे धूर्त है. कौवा पक्षीयों में धूर्त है. लोमड़ी प्राणीयो में धूर्त है. औरतो में लम्पट औरत सबसे धूर्त है.
22- ये सब आपके पिता है. १. जिसने आपको जन्म दिया. २. जिसने आपका यज्ञोपवीत संस्कार किया. ३. जिसने आपको पढाया. ४. जिसने आपको भोजन दिया. ५. जिसने आपको भयपूर्ण परिस्थितियों में बचाया.
23- इन सब को अपनी माता समझें .१. राजा की पत्नी २. गुरु की पत्नी ३. मित्र की पत्नी ४. पत्नी की माँ ५. आपकी माँ.
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