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पुत्र प्राप्ति के उपाय, तेजस्वी पुत्र प्राप्ति के उपाय, Putra Prapti Ke Upay – परिचय

कई दंपति का सपना होता है कि उनके घर में पुत्र का जन्म हो, पर कई बार किसी कारणवश यह सपना सिर्फ सपना ही रह जाता है। लेकिन आप धार्मिक, आस्था-आधारित और ज्योतिषीय उपाय करके पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। पुत्र प्राप्ति के उपाय विभिन्न हिंदू धार्मिक ग्रंथों, ज्योतिष, और लोकपरंपरा में उल्लेखित हैं। यह उपाय करते समय ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा से उन्हें किया जाए। यहां कुछ आम उपाय दिए गए हैं, लेकिन इनकी प्रामाणिकता या प्रभावशीलता के प्रति वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है। परंतु माना जाता है कि इन उपायों को विश्वास के साथ अपनाने से इसके शुभ परिणाम आपको अवश्य मिल सकते हैं। पुत्र प्राप्ति के उपाय निम्नवत् हैं-

पुत्र प्राप्ति के लिए गर्भधारण कब करें

मान्यता है कि सम दिनों में गर्भाधान से पुत्र और विषम दिनों में गर्भाधान से पुत्री की प्राप्ति होती है, इसलिए पुत्र रत्न की प्राप्ति या लड़का पैदा करने के लिए महिला के मासिक धर्म समाप्त होने के 8वें, 10वें, 12वें, 14वें और 16वें दिन यानी सम दिनों के मिलन करें, ऐसा करने से पुत्र प्राप्ति की संभावना ज्यादा होती है। वहीं पुत्री प्राप्ति के लिए मासिक धर्म के विषम दिन जैसे 9वां, 11वां, 13वां, 15वां और 17वां दिन बताए गए हैं। लेकिन मासिक धर्म के 18 वें दिन बाद के मिलन से संतान प्राप्ति की संभावना बहुत कम होती है।

गरुड़ पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के उपाय,Garud Puran Ke Anusar Putra Prapti Ke Upay

गरुड़ पुराण एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जो विष्णु पुराण के भाग के रूप में माना जाता है। गरुड़ पुराण में विभिन्न धार्मिक कथाएँ, उपाय, और व्रत होते हैं। गरुड़ पुराण बताता है कि पुत्र प्राप्ति के लिए अनेक उपाय होते हैं। इनमें से कुछ उपाय इस प्रकार हैं –
1. गरुड़ पुराण के अनुसार, सम दिनों में गर्भाधान से पुत्र और विषम दिनों में गर्भाधान से पुत्री की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए महिला के मासिक धर्म समाप्त होने के 8वें, 10वें, 12वें, 14वें और 16वें दिन यानी सम दिनों के मिलन से पुत्र प्राप्ति की संभावना अधिक होती है। लेकिन मासिक धर्म के 18 वें दिन बाद के मिलन से संतान प्राप्ति की संभावना बहुत कम होती है।
2. गरुड़ पुराण के अनुसार, विशेष व्रत के पालन से पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है। इस व्रत में, नियमित रूप से भगवान विष्णु की आराधना करने, विष्णु के मंत्र का जाप करने और उन्हे विशेष भोग चढ़ाने से भगवान विष्णु से पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
3. गरुड़ पुराण में बाल कृष्ण की आराधना से संतान प्राप्ति की सम्भावना बढ़ती है। इस मंत्र का जप करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है।
4. पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु, श्री कृष्ण, ब्रह्मा, शिव और गणेश आदि देवताओं की पूजा-अर्चना और उनकी विशेष प्रार्थना करें।
5. गरुड़ पुराण के अनुसार, धर्मार्थ कर्म करने से पुत्र प्राप्ति की सम्भावना बढ़ती है। धर्मार्थ दान, अच्छे कार्यों में सहयोग, गौ सेवा, अन्न दान, वस्त्र दान आदि करके पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है।

लाल किताब के अनुसार पुत्र प्राप्ति के उपाय, Lal Kitab Ke Anusar Putra Prapti Ke Upay

लाल किताब हिंदी भाषा का एक ज्योतिषीय ग्रंथ है, जो विभिन्न समस्याओं के लिए उपाय प्रदान करता है। पुत्र प्राप्ति के लिए लाल किताब के अनुसार कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:
1. शुक्र ग्रह को पुत्र प्राप्ति के लिए लाभदायक माना गया है। शुक्र ग्रह की शांति के लिए सफेद वस्त्र, चावल, और शहद दान करें।
2. हरे धानिये की जड़ को गौमूत्र में भिगोकर बाँधें और इसे अपने तकिये के नीचे रखें। इसे 21 दिन तक करने से पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है।
3. नीम के पत्तों को कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, और पुत्र प्राप्ति की संभावना बढ़ सकती है।
4. जो दंपती पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखता है उसे हर दिन गेहूं के आटे की दो मोटी लोई बनानी चाहिए और उस लोई में भिंगोए हुए चने और हल्दी को डालकर गाय को खिलाना चाहिए। इससे बहुत शीघ्र शुभ समाचार सुनने को मिलता है।
5. लाल किताब के अनुसार कामदेव व्रत, मंगल दोष निवारण, घर के वास्तु ज्ञान का उपयोग, शिव शंकर की पूजा आदि कुछ चमत्कारी उपाय हैं जिसे करने से पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है।

शिव पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के उपाय, Shiv Puran Ke Anusar Putra Prapti Ke Upay

शिव पुराण, एक प्रमुख हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जो भगवान शिव और उनकी शक्ति की महिमा के बारे में विस्तृत विवरण प्रदान करता है। शिव पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं-
1. भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल से स्नान कराकर रुद्राभिषेक करें। इसके बाद, विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। महामृत्युंजय मंत्र का नियमित रूप से जप करें। यह मंत्र भगवान शिव का एक शक्तिशाली मंत्र है जो संतान प्राप्ति की इच्छा को पूरा कर सकता है।
2. कालभैरव भगवान शिव के एक रूप हैं। नियमित रूप से कालभैरव की पूजा और उपासना करके, पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है।
3. शिव पुराण के पाठ करें और उसके अध्यायों को समझने की कोशिश करें। इससे आपकी आस्था बढ़ेगी, और आपकी पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी होगी।
4. शिव और पार्वती की स्तुति करने वाले स्तोत्र का पाठन पुत्र प्राप्ति की इच्छा को पूरा कर सकता है।
5. श्रावण मास में भगवान शिव के व्रत करके उनकी आराधना करें, छोटे छोटे बालक बालिकाओं को खाना खिलाएं और उनके पढ़ाई का खर्च उठाएं, ऐसा करने से पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है।
6. शिव पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति हेतु 21 गुरुवार तक बालमुकुंद भगवान यानी लड्डू गोपाल की पूजा करें। इस दौरान माखन, मिश्री, गुड एवं चने का भोग लगाएं। शुद्ध घी का दीप जलाकर ऊं क्लीं देवकी सूत गोविंदो वासुदेव जगतपते देहि मे, तनयं कृष्ण त्वामहम् शरणंगता: क्लीं ऊंका मंत्र का जाप करें, पुत्र प्राप्ति होगी‌।

पुत्र प्राप्ति के लिए मंत्र, Putra Prapti Ke Liye Mantra

पुत्र प्राप्ति के उपाय करने वाले लोगों के लिए पुत्र प्राप्ति के लिए मंत्र एक अचूक और प्रभावी उपाय है। श्री कृष्णा के बाल रूप, बाल गोपाल की आराधना से पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी होने की आशा की जा सकती है। निम्न मंत्र को नियमित रूप से जपने से लाभ हो सकता है।
1. श्री बाला गोपाल मंत्र – श्री बाला गोपाल मंत्र श्री कृष्णा के बाल रूप की आराधना के लिए सुना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्री बाला गोपाल मंत्र का पाठ नियमित रूप से करने से, पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है। यह मंत्र इस प्रकार है: ॐ नमो भगवते जगत्प्रतिष्ठाय वसुदेवाय देवकीनंदनाय च नन्दगोपकुमाराय गोविन्दाय नमो नमः।
2. पुत्र प्राप्ति स्तोत्र – शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु। भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।। ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:। पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
3. संतान गोपाल स्तोत्र – संतान गोपाल स्तोत्र भगवान श्री कृष्णा के बाल रूप की आराधना के लिए गाया जाता है। इस स्तोत्र के पाठ से संतान प्राप्ति की इच्छा की पूर्ति होने की मान्यता है।

पुत्र प्राप्ति के लिए घरेलू उपाय, Putra Prapti Ke Liye Gharelu Upay

अगर आप पुत्र प्राप्ति के लिए अपने घर में कुछ आसान उपाय करना चाहते हैं, तो ध्यान दें कि घर में हमेशा प्रेम और खुशी का माहौल बने रहना चाहिए। सुबह-सुबह गायत्री मंत्र का जप करे और पूर्णिमा के दिन ऋषि पंचमी व्रत रखें। पूजा घर साफ सुथरे होने चाहिए। घर के उत्तरी दिशा में एक पीपल का पेड़ लगाएं। पुत्र प्राप्ति के लिए शुक्रवार के दिन व्रत रखें। इस दिन शुद्ध और सत्विक भोजन करें और नियमित पूजा अर्चना करें। तुलसी पौधा एक पवित्र पौधा माना जाता है। अपने घर में तुलसी का पौधा लगाएं और नियमित रूप से उसकी पूजा करें। नींबू या अमरुद के पेड़ भी लगा सकते हैं। धोबी की मशीन में कपड़े धोएं। सफेद कपड़ों के उपयोग को प्राथमिकता दें। गोमूत्र का सेवन करने से शरीर को शुद्धि मिलती है और यह पुत्र प्राप्ति की इच्छा को पूरा करने में मदद कर सकता है। इन घरेलू उपायों को आजमाने से पुत्र प्राप्ति होती है।

अंत में यह ध्यान देने योग्य है कि उपर्युक्त धार्मिक और आस्था-आधारित उपायों का वैज्ञानिक प्रमाण नहीं होता है, लेकिन कई लोग इन्हें अपनाकर आत्मीय और मानसिक संतुलन को प्राप्त करने के साथ मनचाहा वरदान पा सकते हैं।

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पुत्र प्राप्ति हेतु गर्भाधान का तरीका , पुत्र प्राप्ति के सरल उपाय, Putra Prapti Ke Upay In Hindi , संतान प्राप्ति के उपाय- हमारे पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में पुत्र-पुत्री प्राप्ति हेतु दिन-रात, शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष तथा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक का महत्व बताया गया है. धर्म ग्रंथों में भी इस बारे में जानकारी मिलती है. स्त्री के ऋतु दर्शन के सोलह रात तक ऋतुकाल रहता है, उस समय में ही गर्भ धारण हो सकता है, उसके अन्दर पहली चार रातें निषिद्ध मानी जाती है, कारण दूषित रक्त होने के कारण कितने ही रोग संतान और माता पिता में अपने आप पनप जाते है, इसलिये शास्त्रों और विद्वानो ने इन चार दिनो को त्यागने के लिये ही जोर दिया है. मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है. यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं.

  • चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है.
  • पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी.
  • छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा.
  • सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी.
  • आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है.
  • नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है.
  • दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है.
  • ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है.
  • बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है.
  • तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है.
  • चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है.
  • पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है.
  • सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है.

इसके बाद की रातों को संयोग करने से पुत्र संतान की गुंजायश नही होती है. इसके बाद स्त्री का रज अधिक गर्म हो जाता है,और पुरुष के वीर्य को जला डालता है, परिणामस्वरूप या तो गर्भपात हो जाता है,अथवा संतान पैदा होते ही खत्म हो जाती है.

मनपंसद संतान-प्राप्ति के योग
कुछ राते ये भी है जिसमे शारीरिक रिलेशन बनाने से बचना चाहिए जैसे अष्टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमवाश्या .चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रिया, पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है. गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा.

शुक्ल पक्ष में जन्मे लोग , Shukla Paksh me Janme Log
शास्त्रों में भी इस बात का उचित उल्लेख है कि हर महीने के पंद्रह दिन कृष्ण पक्ष में आते हैं और अन्य पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष में और ऐसे में यदि किसी भी व्यक्ति का जन्‍म शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ है तो निश्चित रूप से आपकी कुंडली में चंद्रमा बालावस्‍था में होगा, जिसके अनुसार आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है और इस वजह से आपको इसके नकारात्‍मक प्रभाव मिल सकते हैं. शुक्ल पक्ष की अवधी में जन्म लेने वाले जातकों को सदैव लम्बी आयु प्राप्त होती है.

शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक का स्वभाव
शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक अन्नदाता, पालन करने वाले, पुत्रवान, दानवीर और उच्च श्रेणी के मित्र वाले इन्सान होते हैं. इस पक्ष को चांदण पक्ष भी कहा जाता है. चूंकि शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक रौशनी और उजाले का प्रतीक माने जाते हैं इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह बताया गया है कि शुक्ल पक्ष में जन्म लेने वाले व्यक्ति का स्वभाव भी पूर्णिमा के चांद के समान उज्जवल और रौशन होता है. जो भी शिशु इस पक्ष में जन्म लेता है उसे ज्ञानी और कई विषयों में महारथ रखने वाला माना जाता है, साथ ही इन जातकों की बुद्धि सुन्दर और शुद्ध होती है. यह भी मान्यता है कि इस दौरान जन्म लेने वाले व्यक्ति जिस भी कार्य को करने की ठान लेते हैं, उसे पूरे मन से और पूरी कुशलता के साथ करते हैं. क्योंकि ये जातक बहुत ही परिश्रमी होते हैं और इनकी सबसे खास बात ये होती है कि ये लोग कभी भी मेहनत करने से पीछे नही हटते.

शुक्ल पक्ष में जन्मे लोगों की और भी है खासियत
शुक्ल पक्ष में जन्मे व्यक्ति मेहनत करने से नहीं कतराते. साथ ही ये कठिनाइयों को भी आसानी से पार कर लेते हैं. ये अपनी बुद्धिमता और मेहनत से धन को अर्जित करने में भी सफल रहते हैं, इसलिए इन्हें कभी भी धन से संबंधित किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. इनके स्वभाव की सबसे अच्छी विशेषता यही है कि ये सरल और स्नेहशील परवर्ती के व्यक्ति होते हैं. ये जातक अपने से बड़ो का आदर करने में कभी कोताही नहीं बरतते और अपने से छोटों के प्रति इनके मन में हमेशा प्रेम भाव बना रहता है. कला में भी ये काफी दिलचस्पी रखते हैं.

शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्णपक्ष की पंचमी तक जन्‍म लेने वाले लोग
शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्णपक्ष की पंचमी तक जन्‍म लेने वाले जातकों की कुंडली में चंद्रमा बेहद ही मजबूत स्थिति में होती है. ऐसे में इन जातकों को चंद्रमा के प्रभाव में सकारात्‍मक फल प्राप्‍त होते हैं. चंद्रमा की शुभ स्थिति के कारण ये लोग इससे जुड़े भाव में सफलता हासिल करते हैं.

कैसे होते हैं कृष्ण पक्ष में जन्में लोग , krishna Paksha Me Janme Log
कृष्णपक्ष में जन्म लेने वाले स्वभाव से निष्ठुर, द्वेषी स्वभाव, क्रूर होते हैं इसी के साथ वो ज्यादा सुंदर शरीर वाले भी नहीं होते हैं. हालांकि वो परिश्रमशील होते हैं. रात में जन्म लेने वाले लोग तामसिक स्वभाव वाले होते हैं और काम को छिपाकर कर करते हैं. इसी के साथ ऐसे लोग व्यर्थ में और अधिक बोलने वाले होते हैं.

हिंदी महीनों के अनुसार जन्म लेने वालों का स्वभाव

  • ग्रीष्म ऋतु में जन्म लेने वाले अन्य व्यक्तियों के मुकाबले चिद्दी व हठी स्वभाव, क्रोधी वृत्ति के, कृशदेह (दुबले) अधिक बोलने वाले होते हैं.
  • आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले जातक धर्मकर्म में रुचि लेने वाले किंतु ऋणी और आर्थिक तंगी से परेशान रहते हैं इन्हें शास्त्रों में अल्प सुखी कहा गया है.
  • कार्तिक मास में जन्म लेने वालों को काम प्रवृत्ति के दुष्ट हृदय वाले और कटुवाणी के दोष लगते हैं. किंतु ये धनवान हो जाते हैं.
  • माघ मास में जन्मे जातक बुद्धिमान तो होते हैं, पैसा कमाने में भी सफल हो जाते हैं किंतु खरा बोलने से अलोकप्रिय हो जाते हैं. इनमें काम भावना प्रबल होती है.
  • प्रतिपदा को जन्मे जातक दुर्जन और कुसंगी हो जाते हैं. व्यसन इनका प्रमुख दोष होता है.
  • द्वितीया तिथि को जन्मे लोग ज्यादा स्वार्थी होते हैं. परस्त्रीरत या कुदृष्टि वाले होते हैं. इनका व्यवहार अच्छा नहीं होता है. चोरों में ऐसे लोग ज्यादा होते हैं.
  • तृतीया को जन्मे व्यक्ति ईर्ष्यालु एवं कुतर्की होते हैं.
  • पष्ठी को जन्मे लोग लड़ाकू एवं संघर्षशील होते हैं. ये विवेक से काम नहीं लेते हैं.
  • द्वादशी तिथि में जन्मे जातकों का स्वास्थ्य कमजोर रहता है. ये अस्थिर विचारधारा के होते हैं.
  • अमावस्या को जन्मे व्यक्ति दीर्घसूत्री, आलसी होते हैं. अंतरज्ञानी या फिर मूर्ख भी होते हैं.

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