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कृष्ण पक्ष में पैदा हुए लोग – परिचय

कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष हिंदू कैलेंडर के दो भाग होते हैं। कृष्ण पक्ष में चन्द्रमा की किरणें कम होती हैं और चंद्र अवरोही होता है, जबकि शुक्ल पक्ष में चन्द्रमा की किरणें बढ़ती हैं और चंद्र आरोही होता है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में पैदा हुए बच्चे अपने अलग अलग स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। कृष्ण पक्ष के दौरान बच्चों का जन्म एक ऐसा विषय है जो पौराणिक कथाओं में डूबा हुआ है और पीढ़ियों से चला आ रहा है। जबकि इन मान्यताओं का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, वे भारतीय समाज के सांस्कृतिक और धार्मिक ताने-बाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन मान्यताओं का सम्मान करना और समझना महत्वपूर्ण है, इसलिए आज हम कृष्ण पक्ष में पैदा हुए बच्चों के बारे में आपको जानकारी देंगे। यहां हम आपको यह बताने का प्रयास करेंगे कि कृष्ण पक्ष में पैदा होने वाले लड़के और लड़कियां कैसे होते हैं, उनका स्वभाव कैसा होता है, उनका भविष्य क्या है, उनकी क्या विशेषताएं हैं? तो चलिए जानते हैं कि कृष्ण पक्ष में पैदा हुए बच्चे कैसे होते हैं?

कृष्ण पक्ष में गर्भधारण

कृष्ण पक्ष में गर्भधारण को संतुलित और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पक्ष में गर्भधारण करने से बच्चे का स्वास्थ्य व स्वभाव प्रभावित होता है। गर्भवती महिलाएं कृष्ण पक्ष की छठी रात्रि से गर्भधारण की शुरुआत कर सकती हैं। इस दौरान आपको सावधानी बरतनी चाहिए और समय पर आराम करना जरूरी है। साथ ही स्वस्थ आहार लेना चाहिए। कृष्ण पक्ष में गर्भधारण करने से जन्में बच्चे को उत्तम स्वास्थ्य दिया जा सकता है और साथ ही उनका स्वभाव व व्यक्तित्व भी मजबूत हो सकता है।

कृष्ण पक्ष में पैदा हुए बच्चे कैसे होते हैं

कृष्ण पक्ष में पैदा हुए लोगों के बारे में कुछ धारणाएँ और मान्यताएँ हैं, जो सांस्कृतिक और पारंपरिक आधार पर आधारित होती हैं। इन मान्यताओं के अनुसार, कृष्ण पक्ष में पैदा हुए बच्चों को कुछ विशिष्ट गुणों का अधिकारी माना जाता है। कृष्ण पक्ष में पैदा हुए बच्चे गंभीर और धैर्यवान होते हैं। ये बच्चे संघर्ष करने वाले होते हैं और अधिक स्वतंत्र विचारधारा के साथ अपना जीवन जीना पसंद करते हैं। ये बच्चे अपने काम में अधिक निष्ठा और समर्पण दिखाने वाले होते हैं। माना जाता है कि कृष्ण पक्ष की रात्रि में जन्म लेने वाले बच्चें तामसिक स्वभाव के होते हैं। ये ज्यादातर छिपकर या छिपाकर कार्य करने की मानसिकता वाले होते हैं। वहीं दिन के समय जन्म लेने वाले बच्चे जीवन में सदैव उन्नति करते हैं, हालांकि जीवन के शुरुआती समय में इनकी सेहत थोड़ी ख़राब हो सकती है। कृष्ण पक्ष में पैदा हुए बच्चों के बारे में यह धारणाएं विशेष रूप से हिंदू सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से जुड़ी होती हैं।

कृष्ण पक्ष में पैदा हुआ लड़का कैसा होता है?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कृष्ण पक्ष में पैदा हुए एक लड़के को आध्यात्मिक खोज के प्रति अधिक झुकाव, ज्ञान और अंतर्ज्ञान की गहरी समझ हो सकती है। कृष्ण पक्ष को आत्मनिरीक्षण और चिंतन का समय माना जाता है, और यह माना जाता है कि ऐसे लड़कों का ध्यान और आध्यात्मिक प्रथाओं के प्रति स्वाभाविक झुकाव हो सकता है। कृष्ण पक्ष में जन्मे लड़के कलाकार और उच्च कौशल से भरपूर होते हैं। ये लोग जिंदगी के प्रति आशावादी नजरिया और मौके तलाशने की इच्छाशक्ति रखते हैं। ये लोग अपनी रुचि को ही अपने व्यवसाय में बदल लेते हैं। ये एक अच्छे प्रेमी साबित हो सकते हैं।

कृष्ण पक्ष में पैदा होने वाली लड़कियां कैसी होती हैं?

कृष्ण पक्ष में पैदा होने वाली लड़कियां अपनी सुंदरता और स्वभाव से प्रसिद्ध होती हैं। वे आकर्षक और धैर्यशाली होती हैं। इन लड़कियों के स्वभाव में कुछ खास गुण होते हैं जैसे कि वे संयमी होती हैं और एक कमजोर इच्छाशक्ति के बावजूद आराम से अपने लक्ष्य तक पहुँचती हैं। इन लड़कियों के दिल में अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के प्रति प्रेम, सम्मान और संवेदना की भावना होती है। वे एक अच्छे संवेदनशील मनोवृत्ति वाली होती हैं जो आकर्षक होती हैं लेकिन अपने फैशन सेंस को लेकर संतुष्ट होती हैं। यदि आप रिश्तेदार या मित्र के रूप में इन लड़कियों से संबंध बनाते हैं तो आपको उनसे बढ़िया और सच्चा मित्र या एक अच्छा रिश्ता मिलता है।

कृष्ण पक्ष में पैदा होने वाले बच्चे का स्वभाव

कृष्ण पक्ष, जिसे चंद्र चक्र के घटते चरण के रूप में भी जाना जाता है, वह इस चरण के दौरान पैदा हुए बच्चे की प्रकृति और स्वभाव पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। विशेष रूप से, कृष्ण पक्ष के दौरान जन्म लेने वालों को स्वाभाविक रूप से आशावादी और हंसमुख व्यक्ति माना जाता है। यह सकारात्मकता अक्सर एक आसान और सुखद स्वभाव में तब्दील हो जाती है। सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं के आधार पर कृष्ण पक्ष में पैदा हुए बच्चें गंभीर, संघर्ष करने वाले, धैर्यवान, और अधिक स्वतंत्र विचारधारा के होते हैं। इन बच्चों को सहज, स्वतंत्र और गहन आत्मनिरीक्षण की क्षमता वाला कहा जाता है। इसके अलावा कृष्ण पक्ष में जन्म लेने वाले ज्यादातर बच्चों में निष्ठुरता और द्वेषी स्वभाव के आने की संभावना रहती है।

कृष्ण पक्ष में पैदा होने वाले बच्चे की विशेषताएं

हिंदू ज्योतिष प्रणाली चंद्रमा के विभिन्न चरणों के दौरान पैदा हुए बच्चों के व्यक्तित्व और प्रवृत्तियों में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। इस प्रणाली के अनुसार, कृष्ण पक्ष चरण के दौरान पैदा हुए बच्चों में कुछ विशेष लक्षण और विशेषताएं होती हैं जो उनके जन्म के दौरान चंद्रमा की स्थिति से आकार लेती है। माना जाता है कि कृष्ण पक्ष में जन्म लेने वाले बच्चे अद्वितीय लक्षण और प्रवृत्ति प्रदर्शित करते हैं। ऐसे बच्चे आत्मविश्लेषी, चिंतनशील होते हैं और हर मुद्दों के बारे में गहराई से सोचने की प्रवृत्ति रखते हैं। वे अपनी आंतरिक दुनिया के प्रति अधिक अभ्यस्त होते हैं और अक्सर कल्पनाशील और रचनात्मक होते हैं। कहा जाता है कि इस चरण में जन्म लेने वाले बच्चों में स्वतंत्र रूप से सोचने की क्षमता होती है और उन्हें प्राकृतिक समस्या समाधानकर्ता के रूप में जाना जाता है। हालांकि, वे कभी-कभी शर्मीले और अंतर्मुखी हो सकते हैं, जिन्हें अपने खोल से बाहर आने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। इन अनूठी विशेषताओं का पोषण और विकास करना और एक ऐसा वातावरण प्रदान करना आवश्यक है जो ज्ञान और समझ के लिए उनकी खोज को प्रोत्साहित करे।

कृष्ण पक्ष में पैदा होने वाले बच्चे की खामियां

हिंदू ज्योतिष के अनुसार, कृष्ण पक्ष के दौरान जन्म लेने वाले बच्चों में कुछ दोष भी होते हैं। कृष्ण पक्ष चंद्रमा के घटते चरण यानी चंद्र ऊर्जा घटने के कारण इस पक्ष को हीन पक्ष माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस अवधि में जन्म लेने वाले बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। इस पक्ष में जन्म लेने वाले बच्चे निष्ठुर और द्वेषी स्वभाव के होते हैं, अपने इस स्वभाव के कारण इन लोगों को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, हालाँकि, अंत में, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक बच्चा अद्वितीय है और उसका अपना रास्ता है। उनके जन्म के समय के बावजूद, हर बच्चा प्यार, देखभाल और पोषण का हकदार है ताकि उन्हें खुद के सर्वश्रेष्ठ संस्करण में विकसित होने में मदद मिल सके। इसलिए, इन सभी खामियों के बावजूद, इन बच्चों का भविष्य सुखद हो सकता है यदि उन्हें सही रूप से पाला जाए और उनकी कुछ आदतों को बदला जाए।

कृष्ण पक्ष में पैदा होने वाले बच्चे का भविष्य

कृष्ण पक्ष में पैदा होने वाले बच्चों का भविष्य अपने आप में बेहद उल्लेखनीय है। ये बच्चे भावुक और भीड़ से दूर रहने वाले होते हैं। ये बच्चे संवेदनशील होते हैं और धार्मिक भावनाओं से प्रभावित होते हैं। इसके अलावा, ये बच्चे गतिशील होते हैं और नई चीजों का अध्ययन करने में रुचि रखते हैं। वे उत्सुक विद्यार्थी होते हैं और एक सफल शिक्षक बनने के गुण रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में, यह माना जाता है कि कृष्ण पक्ष में जन्म लेने वाले व्यक्तियों में कुछ ज्योतिषीय लक्षण होते हैं जो उन्हें अद्वितीय बनाते हैं। ये लक्षण उनके व्यक्तित्व, करियर, रिश्तों और जीवन पथ को प्रभावित कर सकते हैं। कृष्ण पक्ष में पैदा होने वाले बच्चों के भविष्य में सदैव सफलता होती है, हालांकि उन्हें सफल होने के लिए जीतोड़ मेहनत करनी पड़ती है।

अंत में, यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि उपर्युक्त मान्यताएँ वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित नहीं हैं, ये मान्यताएं पारंपरिक और ज्योतिष पर आधारित है और आपके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति के स्वभाव और व्यक्तित्व के निर्धारण में दिन, पक्ष, नक्षत्र, तिथि, समय आदि के अलावा अन्य कई कारक महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे कि परिवार, वातावरण, शिक्षा, और व्यक्तिगत अनुभव। इसलिए, व्यक्ति के विकास और व्यक्तित्व के बारे में एक सही निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए, हमें इन सभी कारकों को मिलाकर ही देखना चाहिए।

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पुत्र प्राप्ति हेतु गर्भाधान का तरीका , पुत्र प्राप्ति के सरल उपाय, Putra Prapti Ke Upay In Hindi , संतान प्राप्ति के उपाय- हमारे पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में पुत्र-पुत्री प्राप्ति हेतु दिन-रात, शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष तथा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक का महत्व बताया गया है. धर्म ग्रंथों में भी इस बारे में जानकारी मिलती है. स्त्री के ऋतु दर्शन के सोलह रात तक ऋतुकाल रहता है, उस समय में ही गर्भ धारण हो सकता है, उसके अन्दर पहली चार रातें निषिद्ध मानी जाती है, कारण दूषित रक्त होने के कारण कितने ही रोग संतान और माता पिता में अपने आप पनप जाते है, इसलिये शास्त्रों और विद्वानो ने इन चार दिनो को त्यागने के लिये ही जोर दिया है. मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है. यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं.

  • चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है.
  • पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी.
  • छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा.
  • सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी.
  • आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है.
  • नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है.
  • दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है.
  • ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है.
  • बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है.
  • तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है.
  • चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है.
  • पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है.
  • सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है.

इसके बाद की रातों को संयोग करने से पुत्र संतान की गुंजायश नही होती है. इसके बाद स्त्री का रज अधिक गर्म हो जाता है,और पुरुष के वीर्य को जला डालता है, परिणामस्वरूप या तो गर्भपात हो जाता है,अथवा संतान पैदा होते ही खत्म हो जाती है.

मनपंसद संतान-प्राप्ति के योग
कुछ राते ये भी है जिसमे शारीरिक रिलेशन बनाने से बचना चाहिए जैसे अष्टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमवाश्या .चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रिया, पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है. गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा.

शुक्ल पक्ष में जन्मे लोग , Shukla Paksh me Janme Log
शास्त्रों में भी इस बात का उचित उल्लेख है कि हर महीने के पंद्रह दिन कृष्ण पक्ष में आते हैं और अन्य पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष में और ऐसे में यदि किसी भी व्यक्ति का जन्‍म शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ है तो निश्चित रूप से आपकी कुंडली में चंद्रमा बालावस्‍था में होगा, जिसके अनुसार आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है और इस वजह से आपको इसके नकारात्‍मक प्रभाव मिल सकते हैं. शुक्ल पक्ष की अवधी में जन्म लेने वाले जातकों को सदैव लम्बी आयु प्राप्त होती है.

शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक का स्वभाव
शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक अन्नदाता, पालन करने वाले, पुत्रवान, दानवीर और उच्च श्रेणी के मित्र वाले इन्सान होते हैं. इस पक्ष को चांदण पक्ष भी कहा जाता है. चूंकि शुक्ल पक्ष में जन्मे जातक रौशनी और उजाले का प्रतीक माने जाते हैं इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह बताया गया है कि शुक्ल पक्ष में जन्म लेने वाले व्यक्ति का स्वभाव भी पूर्णिमा के चांद के समान उज्जवल और रौशन होता है. जो भी शिशु इस पक्ष में जन्म लेता है उसे ज्ञानी और कई विषयों में महारथ रखने वाला माना जाता है, साथ ही इन जातकों की बुद्धि सुन्दर और शुद्ध होती है. यह भी मान्यता है कि इस दौरान जन्म लेने वाले व्यक्ति जिस भी कार्य को करने की ठान लेते हैं, उसे पूरे मन से और पूरी कुशलता के साथ करते हैं. क्योंकि ये जातक बहुत ही परिश्रमी होते हैं और इनकी सबसे खास बात ये होती है कि ये लोग कभी भी मेहनत करने से पीछे नही हटते.

शुक्ल पक्ष में जन्मे लोगों की और भी है खासियत
शुक्ल पक्ष में जन्मे व्यक्ति मेहनत करने से नहीं कतराते. साथ ही ये कठिनाइयों को भी आसानी से पार कर लेते हैं. ये अपनी बुद्धिमता और मेहनत से धन को अर्जित करने में भी सफल रहते हैं, इसलिए इन्हें कभी भी धन से संबंधित किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. इनके स्वभाव की सबसे अच्छी विशेषता यही है कि ये सरल और स्नेहशील परवर्ती के व्यक्ति होते हैं. ये जातक अपने से बड़ो का आदर करने में कभी कोताही नहीं बरतते और अपने से छोटों के प्रति इनके मन में हमेशा प्रेम भाव बना रहता है. कला में भी ये काफी दिलचस्पी रखते हैं.

शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्णपक्ष की पंचमी तक जन्‍म लेने वाले लोग
शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्णपक्ष की पंचमी तक जन्‍म लेने वाले जातकों की कुंडली में चंद्रमा बेहद ही मजबूत स्थिति में होती है. ऐसे में इन जातकों को चंद्रमा के प्रभाव में सकारात्‍मक फल प्राप्‍त होते हैं. चंद्रमा की शुभ स्थिति के कारण ये लोग इससे जुड़े भाव में सफलता हासिल करते हैं.

कैसे होते हैं कृष्ण पक्ष में जन्में लोग , krishna Paksha Me Janme Log
कृष्णपक्ष में जन्म लेने वाले स्वभाव से निष्ठुर, द्वेषी स्वभाव, क्रूर होते हैं इसी के साथ वो ज्यादा सुंदर शरीर वाले भी नहीं होते हैं. हालांकि वो परिश्रमशील होते हैं. रात में जन्म लेने वाले लोग तामसिक स्वभाव वाले होते हैं और काम को छिपाकर कर करते हैं. इसी के साथ ऐसे लोग व्यर्थ में और अधिक बोलने वाले होते हैं.

हिंदी महीनों के अनुसार जन्म लेने वालों का स्वभाव

  • ग्रीष्म ऋतु में जन्म लेने वाले अन्य व्यक्तियों के मुकाबले चिद्दी व हठी स्वभाव, क्रोधी वृत्ति के, कृशदेह (दुबले) अधिक बोलने वाले होते हैं.
  • आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले जातक धर्मकर्म में रुचि लेने वाले किंतु ऋणी और आर्थिक तंगी से परेशान रहते हैं इन्हें शास्त्रों में अल्प सुखी कहा गया है.
  • कार्तिक मास में जन्म लेने वालों को काम प्रवृत्ति के दुष्ट हृदय वाले और कटुवाणी के दोष लगते हैं. किंतु ये धनवान हो जाते हैं.
  • माघ मास में जन्मे जातक बुद्धिमान तो होते हैं, पैसा कमाने में भी सफल हो जाते हैं किंतु खरा बोलने से अलोकप्रिय हो जाते हैं. इनमें काम भावना प्रबल होती है.
  • प्रतिपदा को जन्मे जातक दुर्जन और कुसंगी हो जाते हैं. व्यसन इनका प्रमुख दोष होता है.
  • द्वितीया तिथि को जन्मे लोग ज्यादा स्वार्थी होते हैं. परस्त्रीरत या कुदृष्टि वाले होते हैं. इनका व्यवहार अच्छा नहीं होता है. चोरों में ऐसे लोग ज्यादा होते हैं.
  • तृतीया को जन्मे व्यक्ति ईर्ष्यालु एवं कुतर्की होते हैं.
  • पष्ठी को जन्मे लोग लड़ाकू एवं संघर्षशील होते हैं. ये विवेक से काम नहीं लेते हैं.
  • द्वादशी तिथि में जन्मे जातकों का स्वास्थ्य कमजोर रहता है. ये अस्थिर विचारधारा के होते हैं.
  • अमावस्या को जन्मे व्यक्ति दीर्घसूत्री, आलसी होते हैं. अंतरज्ञानी या फिर मूर्ख भी होते हैं.

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