अवसाद/डिप्रेशन क्या है, डिप्रेशन का लक्षण और उपाय, Depression Kya Hota Hai, Depression Ka Ilaj, डिप्रेशन का इलाज, डिप्रेशन के प्रकार, कारण, डिप्रेशन के घरेलू उपाय, डिप्रेशन की होम्योपैथी दवाई, एंटी डिप्रेसेंट्स के साइड इफेक्ट (Depression Symptoms, Causes, Typs, Treatment, Home Remedies for Depression in Hindi) , Avsad in Hindi, डिप्रेशन से बाहर निकलने का उपाय

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परिचय – डिप्रेशन क्या है? (What is Depression)

डिप्रेशन एक मानसिक बिमारी है, जिसका संबंध मनोविज्ञान में किसी व्यक्ति के मन की भावनाओं से जुड़े दुखों या निराशा से होता है। अवसाद या डिप्रेशन को मूड डिसऑर्डर के तौर पर क्लासीफाइड किया गया है। हर व्यक्ति समय-समय पर उदासी का अनुभव करता है। मगर जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक लगातार नकारात्मक सोच, दुखी मनोदशा मे घिर जाए और अपनी पसंदीदा गतिविधियों में भी दिलचस्पी न ले, तो इस तरह के लक्षण डिप्रेशन हो सकते हैं। इसे इंसान की उदासी, नुकसान या ऐसे गुस्से के रूप में समझा जा सकता है, जिससे किसी इंसान की रोजमर्रा की गतिविधियों पर असर पड़ता है।
उदासी की यह भावना अक्सर चिंता, निराशा की भावना और ऊर्जा की कमी के साथ होती है जो किसी व्यक्ति के उत्साह को घटा देती है। डिप्रेशन कई बार थोड़े समय के लिए हो सकता है मगर जब यह किसी व्यक्ति में लंबे समय तक हो तो स्थिति गंभीर हो सकती है. डिप्रेशन के चलते व्यक्ति मे जीने की इच्छा समाप्त हो जाती है. डिप्रेशन को नैदानिक अवसाद, प्रमुख अवसाद या बायोलॉजिकल डिप्रेशन जैसे कई नामों से जाना जाता है.  पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन अधिक देखने को मिलता है।
अवसाद और उदासी में फर्क
उदासी भावनात्मक स्थिति है, जो तनाव, जिंदगी की बड़ी घटनाएं (पॉजिटिव और निगेटिव दोनों) और यहां तक कि मौसम के असर से भी पैदा होती हैं। उदासी और डिप्रेशन में फर्क इसके लक्षणों की तीव्रता और इसके बार-बार लौट आने से किया जा सकता है। यदि ये लक्षण दो हफ्ते तक रहते हैं, तो डिप्रेशन हो सकता है।

प्रकार – डिप्रेशन के प्रकार (Types of Depression)

डिप्रेशन के विभिन्न प्रकार हैं। कुछ लोगों में ये व्यापक रूप से होते हैं-
1- बाइपोलर डिसऑर्डर – यह एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति अचानक खुश और एकदम से दुखी हो जाता है। इस स्थिति में, अत्यधिक सिर चकराना, ऊर्जा में उतार-चढ़ाव और सक्रियता का स्तर घटता बढ़ता रहता है। इन सभी कारणों की वजह से व्यक्ति का दिन-प्रति-दिन जीना मुश्किल हो सकता है। बाइपोलर डिप्रेशनपागलपन सहित कई गंभीर मामलों को उत्पन्न कर सकता है।
2- मेजर डिप्रेशिव डिसऑर्डर (एमडीडी) – एक व्यक्ति में मेजर डिप्रेशिव डिसऑर्डर (एमडीडी) की पहचान तब होती है जब व्यक्ति के नींद, थकान, मौत का विचार और आत्महत्या के विचारों में परिवर्तन होने के कारण सामान्य रूप से आनंदित गतिविधियों में रुचि कम होने लगती है। इस व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक की अवधि तक चीजों को याद रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। एमडीडी आमतौर पर नैदानिक अवसाद के रूप में जाना जाता है।
3- प्रजेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर – प्रजेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर को आमतौर पर डायस्थीमिया कहा जाता है। यह पुराने डिप्रेशन का एक प्रकार है जो कई दिन या वर्षों तक रह सकता है। यह तेजी के साथ कभी-कभी हल्का, मध्यम या गंभीर हो सकता है।
4- प्रीमेस्ट्रल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) – यह बीमारी मूल रूप से किसी व्यक्ति की मनोदशा पर निर्भर होती है। इस बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति अत्यधिक थकान, उदासी, निराशा महसूस कर सकता है या खुद के लिए संकट पैदा कर सकता है। हार्मोनल उपचार और जीवन शैली में परिवर्तन पीएमडीडी के लिए सबसे अच्छा इलाज है।
5- एटिपिकल डिप्रेशन- जैसा कि नाम से पता चलता है कि इस प्रकार के डिप्रेशन से जुड़े कोई सामान्य लक्षण नहीं हैं। एटिपिकल डिप्रेशन विशेष रूप से अत्यधिक वजन बढ़ने, थकान, अस्वीकृति के लिए तीव्र संवेदनशीलता, दृढ़ता से प्रतिक्रियाशील मूड और अस्थिरता से जुड़ा हुआ है।

कारण – डिप्रेशन का कारण/ वजह क्या है? (Causes of Depression)

जो बड़े होने पर विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति के लिए डिप्रेशन का कारण हो सकती है।
1- मानसिक आघात : बार-बार असफलता, नुकसान या किसी प्रियजन की मृत्यु आदि से भी ऐसा हो सकता है।
2- शारीरिक रोग : एड्स, कैंसर, नि:शक्तता या कोई अन्य मर्ज जिसमें रोगी लंबे समय तक बिस्तर पर रहता है। वह इस परेशानी से ग्रसित हो सकता है।
3- आनुवांशिक : परिवार में माता-पिता या कोई अन्य सदस्य डिप्रेशन (अवसाद) से पीडि़त होता है तो बच्चों में ऐसा होने का खतरा रहता है।
4- कमजोर व्यक्तित्व: बचपन में मां-बाप के प्यार का अभाव, कठोर अनुशासन, तिरस्कार, सामथ्र्य से अधिक अपेक्षा या ईष्र्या कई बार मस्तिष्क को ठेस पहुंचाती हैं। जो बड़े होने पर विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति के लिए डिप्रेशन का कारण हो सकती है।
5- अन्य कारण : पारिवारिक झगड़े, अशांति, संबंध-विच्छेद, व आर्थिक परेशानी आदि वजहों से भी ऐसा हो सकता है।

लक्षण – डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Depression in Hindi)

1. भूख और वजन में गिरावट
2. अनिद्रा या ज्यादा सोना
3. थकान और एनर्जी में कमी
4. चिड़चिड़ापन, आक्रामकता
5. अत्यधिक अपराध बोध या हीनता का बोध
6. एकाग्रता में कमी, खुद को उलझा महसूस करना
7. बार-बार मृत्यु या आत्महत्या का खयाल आना, कोशिश करना
8. स्ट्रेस वाली जॉब, परिवार से दूर रहना, नकारात्मक सोच
9. अस्त-व्यस्त दिनचर्या
10.हर कार्य में बढ़-चढ़ कर भाग लेने वाला व्यक्ति के व्यवहार में एकाकीपन आना

इलाज – डिप्रेशन का इलाज (Treatment of depression)

इलाज : डॉक्टर मरीज की काउंसलिंग करके रोग की वजह समझने का प्रयास करते हैं। इसके बाद आवश्यकता के अनुरूप 6-8 माह तक एंटीडिप्रेसेंट दवाएं देते हैं। दवाओं के साथ-साथ मनोचिकित्सा व व्यवहारिक चिकित्सा द्वारा रोगी की निराशाजनक सोच को बदलने का प्रयास किया जाता है। इस दौरान मरीज को पारिवारिक सहयोग जरूरी होता है।

उपाय – डिप्रेशन से बाहर कैसे निकले / डिप्रेशन से बचने के उपाय (How to avoid depression)

कुछ लोग पूरी तरह से सौंप देते हैं और महसूस करते हैं कि वे इसे कभी नहीं हरा सकते हैं, लेकिन यह विश्वास करने के लिए उचित धन्यवाद नहीं है, अगर आप वास्तव में अपने जीवन में चीजों को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो अपना दिमाग इसमें सेट करें और यहां दिए जा रहे उपाय करें। हम जानते हैं कि यह कठिन है। फिर भी आप इससे लड़ सकते हैं
1- बात करें, मदद मांगें –अवसाद से गुज़र रहे लोगों के लिए इससे उबरने के लिए नियमित तौर पर ऐसे व्यक्ति से बात करना जिनपर वे भरोसा करते हों या अपने प्रियजनों के संपर्क में रहना रामबाण साबित हो सकता है. आप खुलकर अपनी समस्याएं उनसे शेयर करें और परिस्थितियों से लड़ने के लिए उनकी मदद मांगें. इसमें शर्म जैसी कोई बात नहीं है. हमारे सबसे क़रीबी लोग यदि हमें बुरे समय से बाहर नहीं निकालेंगे तो कौन मदद करेगा?
2- दोस्तों से जुड़ें और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाएं –अच्छे दोस्त आपके मूड को अच्छा बनाए रखते हैं. उनसे आपको आवश्यक सहानुभूति भी मिलती है. वे आपकी बातों को ध्यान से सुनते हैं. डिप्रेशन के दौर में यदि कोई हमारे मनोभावों को समझे या धैर्य से सुन भी ले तो हमें अच्छा लगता है. दोस्तों से जुड़ने के साथ-साथ आप उन लोगों से ख़ुद को दूर कर लें, जो नकारात्मकता से भरे होते हैं. ऐसे लोग हमेशा दूसरों का मनोबल गिराने का काम करते हैं.
3- नींदभर सोएं –एक अच्छी और पूरी रात की नींद हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है. अध्ययनों से पता चला है कि रोज़ाना 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में अवसाद के लक्षण कम देखे जाते हैं. इसलिए व्यस्तता के बावजूद अपनी नींद से समझौता न करें.
4- हल्का-फुल्का म्यूज़िक सुनें –जब लोग अवसादग्रस्त होते हैं तो अच्छा संगीत सुनकर उन्हें अच्छा लगता है. यह तथ्य कई वैज्ञानिक शोधों द्वारा प्रमाणित हो चुका है. तो जब भी मानसिक रूप से परेशान हों तो अपना पसंदीदा गाना सुनें. संगीत में मूड बदलने, मन को अवसाद से निकालने की अद्‍भुत ताक़त होती है. वैसे आप एक चीज़ का ख़्याल रखें, ज़रूरत से ज़्यादा ग़म में डूबे हुए गाने न सुनें, क्योंकि ऐसा करने से आपका डिप्रेशन अगले लेवल पर पहुंच जाएगा.
5- खुद की गतिविधियों पर इस तरह रखें नजर – पिछले सप्ताह जो काम किए हैं उन्हें लिखें। अपने मूड के पैटर्न को लिखिए। एनर्जी, हैल्थ और नींद पर असर डालने वाले पैटर्न को नोट करें। गौर करें कि इन गतिविधियों में कोई पैटर्न देख पा रहे हैं? कुछ काम जिन्हें आप खुशी-खुशी करते थे, क्या कोई कमी देख रहे हैं। अपने करीबी लोगों से पूछिए कि क्या उन्होंने आपके मूड में कोई फर्क देखा है। परिवार के किसी भरोसेमंद सदस्य या किसी दोस्त से भी पूछिए कि
क्या आपके व्यवहार में कोई बदलाव देखा है।
6- पुरानी बातों के बारे में न सोचें – अपनी पुरानी भूलों और ग़लतियों का शिकवा करना आपको पूरी तरह से अवसाद के चंगुल में फंसा सकता है. एक तो पुरानी बातें आपके नियंत्रण में नहीं होतीं. फिर उस बारे में सोच-सोचकर क्या फ़ायदा? आप बेवजह अपने दिलोदिमाग़ पर गिल्ट का बोझ बढ़ाते हैं. पुरानी बातों के बारे में सोचने के बजाय आज पर फ़ोकस करें.
7- ख़ुद को लोगों से दूर न करें – जब आप अवसादग्रस्त होते हैं तब ख़ुद को दुनिया से दूर कर लेना सबसे आसान और ज़रूरी समाधान लगने लगता है. क्योंकि आपको लगता है कि आपकी समस्या को कोई दूसरा नहीं समझ सकता. लेकिन ख़ुद को लोगों से काटकर आप अवसाद को फलने-फूलने का मौक़ा उपलब्ध कराते हैं. यदि आप अपने दोस्तों और क़रीबियों से अपनी समस्या साझा नहीं कर सकते तो किसी मनोचिकित्सक से सलाह लें. इससे अवसाद की जड़ तक जाने और इसे दूर करने में मदद मिलेगी.
8- सेहतमंद खाएं और रोज़ाना व्यायाम करें –सेहतमंद और संतुलित खानपान से मन ख़ुश रहता है. वहीं कई वैज्ञानिक शोध प्रमाणित करते हैं कि व्यायाम अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है. जब हम व्यायाम करते हैं तब सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो दिमाग़ को स्थिर करते हैं. डिप्रेशन को बढ़ाने वाले विचार आने कम होते हैं. व्यायाम से हम न केवल सेहतमंद बनते हैं, बल्कि शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

आहार – डिप्रेशन से छुटकारा दिलाने में मददगार आहार (Diet for Depression)

यह वैज्ञानिक रूप से साबित हुआ है कि कुछ खाद्य पदार्थ खुश महसूस करा सकते हैं। खुश रहने और अवसाद से छुटकारा पाने के लिए उन आहार को शामिल करें।
1- काजू : काजू का सेवन घबराहट और तनाव कम करने में मदद करता है। अवसाद से छुटकारा दिलाने में यह दवा के बराबर काम करता है। काजू पोषक तत्वों और विटामिन सी से भरपूर है जो तंत्रिकाओं को आराम देता है और मूड अच्छा करता है।
2- बादाम : इसमें प्रोटीन, विटामिन ई, मैग्नीशियम, फाइबर और कई जरूरी एमीनो एसिड पाए जाते हैं। एक चम्मच बादाम का पेस्ट अगर गर्म दूध के साथ लेंगे तो जल्दी डिप्रेशन से निकलने में मदद मिलेगी।
3- ग्रीन टी : ग्रीन टी भी डिप्रेशन कम करने में मदद कर सकती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एमिनो एसिड पाया जाता है जो कि डिप्रेशन से बाहर आने में मदद करती है।
4- अंडा : अंडे में विटामिन बी-12 भरपूर होता है जो कि तनाव को दूर रखने में मदद करता है। अंडे का सेवन करने से मूड सही होता है और डिप्रेशन भी नहीं होता है।
5- अखरोट : ओमेगा 3 मस्तिष्क के न्यूरॉन सेल के लिए बहुत जरूरी है। इसका सबसे अच्छा स्रोत मछली है। शाकाहारी लोगों को ड्राई फ्रूट, सरसों के बीज, सोयाबीन, फल और हरी सब्जियों को आहार में शामिल करना चाहिए। अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है।
6- पालक : अच्छा महसूस न करने पर अपने आहार में पालक शामिल करें, क्योंकि विटामीन-बी के साथ आयरन की प्रचूर मात्रा पाई जाती है जो इस मूड से उबारने में मदद करेगी।
7- साबुत अनाज : साबुत अनाज में कार्बोहाइड्रेट होता है जो मूड स्विंग्स की परेशानी को रोकता है और अवसाद में बहुत लाभदायक साबित होता है।
8- टमाटर : कई शोधों में अवसाद से ग्रस्त रोगियों में फोलेट की कमी देखी गई है। इसमें मौजूद फोलिक एसिड और अल्फा-लिपोइक एसिड डिप्रेशन से लड़ने के लिए अच्छा है।
9- केला : मूड को अच्छा करने और आत्मविश्वास को बढ़ाने में केले में मौजूद ट्रिपटोफान मददगार साबित हो सकते हैं। केलों में मैग्नीशियम भी काफी मात्रा में होता है। यह रिलेक्स करने में मदद कर सकते हैं। विटामिन बी 6 भी अवसाद से राहत देने में मदद करते हैं।
10- अंगूर : अंगूर डाइट में शामिल करने से मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अंगूर से तैयार बायोएक्टिव डायटरी पोलीफिनॉल तनाव से हुई निराशा की स्थिति से बाहर निकलने में मददगार है और इस बीमारी के इलाज में प्रभावी हो सकता है।

घरेलू उपाय – डिप्रेशन (अवसाद) के घरेलू उपाय – Home Remedies for Depression in Hindi

1- डिप्रेशन दूर करने का उपाय है इलायची का तेल – इलायची एक प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट (Anti-Depressant) है। इसकी चाय मन को प्रभावित करती है और मूड को खुश करने में मदद करती है। लगभग 1.5 ग्राम इलायची पाउडर और पानी का काढ़ा बना लें और प्रतिदिन एक गिलास का सेवन करें। आप स्वाद के लिए चीनी का भी उपयोग कर सकते हैं। नहाने के पानी में इलायची के तेल को रख कर स्नान करें। यह तनाव को कम करने और निराशा से लड़ने में मदद करता है।
2- अवसाद से मुक्ति दिलाए लाल गुलाब – लाल गुलाब अवसाद पर काबू पाने में आपकी काफी मदद करेगा। इसके लिए 250 मिलीलीटर पानी में 25-30 गुलाब की पंखुड़ियों को डाल कर उबाल लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए मिश्री का उपयोग भी कर सकते हैं। प्रतिदिन दो बार इस काढ़े को पिएं। इससे आपकी नसों में शांति बनी रहती है।
3- डिप्रेशन को खत्म करे हल्दी से – आयुर्वेद में मौसम के कारण प्रभावित विकारों के इलाज में हल्दी का उपयोग करने के लिए कहा गया है। यानी मौसम परिवर्तन के कारण अवसाद की समस्या में मसाले के रूप में अपने भोजन में 2-3 ग्राम हल्दी का सेवन करें या फिर पानी या दूध के साथ भी इसका सेवन कर सकते हैं।
4- अवसाद से निकलने के उपाय के लिए खाएं काजू – काजू प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट हैं। काजू का सेवन घबराहट और तनाव कम करने में मदद करता है। अवसाद से छुटकारा दिलाने में काजू दवा के बराबर काम करता है। काजू पोषक तत्वों और विटामिन सी से समृद्ध स्रोत है जो तंत्रिकाओं को आराम देने और मूड को अच्छा करने में मदद करता है।
5- अवसाद से बचने के उपाय के लिए करें ब्राह्मी तेल की मालिश – ब्राह्मी फिर से जवान कर देने वाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। इसके तेल की मालिश मन को शांत करती है। यह अवसाद के इलाज में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है।
6- डिप्रेशन कम करने का उपाय है शतावरी – शतावरी मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। इसमें फोलिक एसिड (folic acid) और ट्रिप्टोफेन (Tryptophan) है। ये घटक मूड बढ़ाने वाले रसायनों का उत्पादन करते हैं। डिप्रेशन जैसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए गर्म दूध या शहद के साथ शतावरी पाउडर का सेवन करें या फिर सब्जी के रूप में अपने आहार में शतावरी का उपयोग करें।
7- डिप्रेशन से बाहर निकले बादाम के उपयोग से – बादाम में प्रोटीन, विटामिन ई, मैग्नीशियम, फाइबर और कई आवश्यक अमीनो एसिड पाए जाते हैं। गर्म दूध में एक चम्मच बादाम का पेस्ट रोजाना मिलाकर पीने से अवसाद जैसी समस्या में काफी तेजी से आराम मिलता है।
8- डिप्रेशन से छुटकारा दिलाए नींबू बाम – नींबू बाम केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के कामकाज को नियमित करके तनाव, चिंता को कम करने और शांतिपूर्ण नींद को प्राप्त करने में मदद करता है। डिप्रेशन से छुटकारा पाने के लिए आप नींबू बाम की चाय का सेवन करें या फिर आप अरोमा थेरेपी के लिए इसके तेल का उपयोग कर सकते हैं। इसका आकर्षक सुगंध उदास मन को ठीक करती है और मन को सुखदायक प्रभाव देती है। गर्भवती महिलाओं या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए इसका उपयोग अच्छा नहीं होता है।
9- डिप्रेशन को खत्म करें केसर से – केसर अवसाद जैसी समस्या के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह एक शक्तिशाली और सुरक्षित जड़ी बूटी है जो आपके मूड को बहुत प्रभावी ढंग से खुश रखता है। अध्ययन ने यह साबित किया है कि हल्के और मध्यम अवसाद से पीड़ित कई लोगों ने अपने दैनिक आहार में केवल 30 ग्राम केसर का उपयोग करके अपने मूड में भारी बदलाव का अनुभव किया है। केसर व्यक्ति को आराम देने और मूड को सूधारने में मदद करता है।
10- डिप्रेशन का घरेलू उपाय है कैमोमाइल चाय – वैज्ञानिक तौर पर साबित हुआ है कि कैमोमाइल एक प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट जड़ी बूटी है। इसका उपयोग मन को शांत करता है और डिप्रेशन से बाहर निकलता है। इसका उपयोग बहुत ही सुरक्षित है। कैमोमाइल बच्चों द्वारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है। दवा के उपचार के विपरीत इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। यह चिंता को दूर करने में भी बहुत प्रभावी है और डिप्रेशन के समय नींद नहीं आने की समस्या में भी बहुत लाभदायक है। रात के खाने के बाद एक कप कैमोमाइल चाय पीने से अच्छी नींद आती है और पाचन भी बेहतर होता है।
11- डिप्रेशन से बचने का तरीका है गिलोय – गुदुची या गिलोय फिर से युवा करने के गुणों के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग चिंता, अवसाद, सिरदर्द और मनोदशा विकारों के इलाज में व्यापक रूप से किया जाता है। यह मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा करता है और तनाव से राहत देता है। 500 मिली ग्राम गुदुची पाउडर को गोल्डन लिक्विड हनी (golden liquid-honey) के साथ मिलाकर प्रतिदिन दो बार इसका सेवन करें।

होम्योपैथी दवाई – डिप्रेशन को दूर करने की होम्योपैथी दवाई- (Depression homeopathy medicine)

होम्योपैथिक दवाई मन पर बहुत ही असर डालती है। और दोस्त और डिप्रेशन को दूर करने के लिए होम्योपैथिक की बहुत सारी दवाईयां है। डिप्रेशन के कारण को पूरी तरह से जड़ से खत्म कर देती है। तो दोस्तों जानिए होम्योपैथिक दवाइयों के बारे में।
1- औरम-मेट (AUR-MET) – अगर आपको भी यह समस्या है जिंदगी से निराश, मन में आत्महत्या करने का बार बार ख्याल आना या आत्महत्या के विचार अक्सर मन में आते हैं, पूरी तरह से नींद ना आना, लड़ाई झगड़े के सपने बार-बार देखना और नींद में रोए अगर आपको यह समस्या होती है तो आपके यह लिए यह दवाई बहुत ही उपयोगी है। आपको इस दवाई का सेवन करें और इन समस्याओं से छुटकारा पाएं।
2- आर्स अल्ब(ARS-ALB) – अगर आपके मन में भी यह ख्याल आते हैं मरने का डर, मरी सोचता है कि दवा खाना बेकार है, उसको अकेले रहने से डर लगता है, भूत प्रेत दिखने की बात करता है, आत्महत्या करने की इच्छा मन में होती है तो यह दवाई आपके लिए बहुत ही फायदेमंद होती है आपको इस दवाई का सेवन जरूर करना चाहिए।
3- आर्ज़-नेट(ARG-NIT) – मानसिक और शारीरिक रूप से खुद पर कंट्रोल में ना रह पाना, हमेशा डरा हुआ और नर्वस रहना, डरावने सपने देखना, एग्जाम देने में डर लगता है, आत्मविश्वास की कमी, अगर आपको इस तरह के लक्षण में समस्या है तो आपको इस दवाई का जरूर सेवन करना चाहिए क्योंकि यह आपके लिए बहुत ही उपयोगी होती है।

साइड इफेक्ट – डिप्रेशन की दवाई/ एंटी डिप्रेसेंट्स के साइड इफेक्ट (Side effects of anti depressants)

फार्मास्युटिकल मार्केट रिसर्च संगठन एआईओसीडी एडब्लूएसीएस के अनुसार भारत में 20% के साथ ही विश्व में अवसादरोधी दवाओं यानी एंटी डिप्रेसेंट्स का कारोबार पिछले कुछ वर्षों में 550 फीसदी से ज्यादा का हो चुका है। जरनल न्यूरो सर्जन में पब्लिश एमआईटी (मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) की एक रिसर्च इस बात का दावा करती है कि अवसाद कम करने के लिए ली गई दवाएं न सिर्फ दिमाग का स्ट्रक्चर बदलने का काम करती हैं, बल्कि वह सोचने-समझने की शक्ति भी कम करती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक भारत 36 प्रतिशत की अवसाद दर के साथ दुनिया के सर्वाधिक अवसाद ग्रस्त देशों में से एक है। जानते हैं ये कैसे प्रभावित कर रही हैं-
एंटी डिप्रेसेंट दवाएं सबसे पहले 1950 में बनी थीं। कई रिसर्च में पाया गया है कि इनका असर तुरंत दिखाई देता है, लेकिन साइइइफेक्ट धीरे-धीरे नजर आते हैं। अमेरिका में एक अध्ययन के अनुसार एंटी-डिप्रेसेंट्स दवाएं आमतौर पर उन्हीं मामलों में कारगर हैं, जिनमें डिप्रेशन गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है। हमारे दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर होते हैं। ये रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो कि न्यूरॉन्स यानी दिमाग की कोशिकाओं के बीच संपर्क कायम करते हैं। न्यूरोट्रांसमीटर जो संदेश भेजते हैं, उन्हें अगले न्यूरॉन में लगे रेसेप्टर ग्रहण करते हैं। कुछ रेसेप्टर किसी खास न्यूरोट्रांसमीटर के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं या फिर असंवेदनशील भी। एंटी डिप्रेसेंट्स, मूड बदलने वाले न्यूरोट्रांसमीटर्स का स्तर धीरे-धीरे बढ़ाते हैं। इनका असर हाेने के बाद मरीज डिप्रेशन से बाहर आने लगता है।

एंटी डिप्रेसेंट के खतरे

1- धमनियां मोटी हो जाती हैं – इन दवाओं से धमनियां मोटी हो सकती हैं, जिससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बाधित होने की आशंका रहती है। जो दिल के लिए खतरा पैदा करता है। ‘इमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन’ के एक अध्ययन में इसकी पुष्टि भी हुई है। अवसादरोधी दवाओं से रक्त वाहिकाओं पर नकारात्मक असर होने लगता है।
2- गर्भपात का भी खतरा – एंटी डिप्रेसेंट्स के इस्तेमाल से गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है। मोंट्रियल विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार 3.7 प्रतिशत महिलाएं गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान कभी न कभी इनका उपयोग करती हैं। अध्ययन में सामने आया था कि पैरोक्जीटीन और वीनलाफैक्जीन जैसी दवाओं के प्रतिदिन इस्तेमाल से गर्भपात का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

हिमालया मेडिसिन फॉर डिप्रेशन – Himalaya Mentat Tablets 60

मानसिक ऊर्जा का संचार करता है, याददाश्त और सीखने की क्षमता को बढ़ाता है: मेंट में मौजूद प्राकृतिक तत्व मानसिक भागफल, याददाश्त की अवधि और एकाग्रता क्षमता में सुधार करते हैं।न्यूरोलॉजिकल विकारों का इलाज करता है: मेनेटैट ट्राइबुलिन के स्तर को कम करता है, एक अंतर्जात मोनोमाइन ऑक्सीडेज अवरोधक जो चिंता के दौरान ऊंचा हो जाता है। Mentat के शांत प्रभाव अनिद्रा और आक्षेप के इलाज में फायदेमंद होते हैं।
न्यूरोलॉजिकल रोगों में सहायक के रूप में: इसके एंटीकोलिनेस्टरेज़ (एंटीस्पास्मोडिक), डोपामिनर्जिक-न्यूरोप्रोटेक्टिव (मस्तिष्क में महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटर), एडेप्टोजेनिक और एंटीऑक्सिडेंट गुणों के कारण, मेन्जट अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग के उपचार में सहायक के रूप में उपयोगी है।

Himalaya Mentat Tablets 60 हिमालया मंतत टेबलेट्स 60 मुख्य सामग्री

1- ब्राह्मी – Thyme-Leaved Gratiola (Brahmi) थाइम-लीव्ड ग्रैटिओला (ब्राह्मी) संज्ञानात्मक कार्य को बनाए रखता है। अच्छी तरह से अपने nootropic (मेमोरी बढ़ाने) प्रभाव के लिए जाना जाता है, जड़ी बूटी स्मृति और सीखने को बढ़ाती है। यह बेचैनी को शांत करने के लिए भी जाना जाता है और इसका उपयोग कई मानसिक विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।
2- मधुकपर्णी – Indian Pennywort (Madhukaparni) इंडियन पेनीवोर्ट (मधुकपर्णी) में एंटीपीलेप्टिक गुण होते हैं और आमतौर पर इसका उपयोग मिरगी की दवाओं के लिए किया जाता है। यह अमीनो एसिड के स्तर के असंतुलन में सुधार करता है, जो अवसाद के इलाज में फायदेमंद है। यह संज्ञानात्मक हानि को भी रोकता है।
3- अश्वगंधाWinter Cherry (Ashvagandha (अश्वगंधा) का उपयोग चिंता और अवसाद की नैदानिक स्थितियों में मूड स्टेबलाइजर के रूप में किया जाता है। विथेनाहाइड्स, शीतकालीन चेरी में मौजूद रासायनिक घटक, कायाकल्प गुणों के अधिकारी हैं। जड़ी बूटी भी ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करती है, जिससे मानसिक थकान हो सकती है।
कंपनी  / Company –  हिमालया ड्रग कंपनी / Himalaya Drug Company
कीमत / Price  , MRP₹110 , 1 Bottle of 60 Tablets
इस्तेमाल केलिए निर्देश
कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें की क्या सही रहेगा।

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परिचय – डिप्रेशन / अवसाद

दुख, पीड़ा, बुरा महसूस करना और कोई भी काम करने में मन नहीं लगता.अमूमन ऐसा कभी न कभी हर किसी की जिंदगी में होता है, लेकिन यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो यह डिप्रेशन या अवसाद हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया में विभिन्न बीमारियों का सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन है। दुनियाभर में 350 मिलियन लोग इससे प्रभावित हैं। यह बच्चों, वयस्कों, महिलाओं, पुरुषों, सभी को समान रूप से प्रभावित करता है। What is Depression Reasons Symptoms Types Diet and Treatment in Hindi

डिप्रेशन क्या है? अवसाद क्या है? 

अमेरिकन सैकेट्रिक असोसिऐसन  (American psychiatric association) के अनुसार अवसाद एक सामान्य किंतु गम्भीर मनोविकार है। जो हमारे अंदर नकारात्मक विचारों और कृत्यों का उत्पन्न करता है।अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। डिप्रेशन के अनेक कारण होते हैं जैसे व्यक्ति के प्रेम संबंध , कुपोषण, आनुवांशिकता, हार्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख हैं।को लेकर गंभीर होती है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में अपने जीवन साथी के प्रति बहुत अधिक लगाव प्रमुखता या इसका सबसे बड़ा कारण होता है। अवसाद की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है। उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। संबंधों में बेईमानी का परिचायक उसके द्वारा उग्र स्वभाव, गाली गलौज व अत्यधिक शंका करना इसमें शामिल होता है इस दौरान उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है।

अवसाद किस में पाया जाता है ?

बच्चो और व्यस्कों में भी डिप्रेशन की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। तनाव युक्त जीवन, अत्यधिक महत्वकांक्षी होना इन्हें और बढ़ाता है। मुख्यतः चालीस वर्ष को मीन ऐज (Age) माना गया है डिप्रेशन की शुरुवात के लिए, किंतु यह हर उम्र में हो सकता है। W.H.O. (डब्लू.एच.ओ.) के अनुसार हर 6 महिला में 1 और 8 पुरुषों में 1 (एक) डिप्रेशन का शिकार है।
आत्महत्या- विश्व में आठ लाख (800000) लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, W.H.O.के डाटा के अनुसार इनमें से 1, 35, 000 (17%) हमारे भारतवासी हैं। आत्महत्या का अनुपात अब २०१८ में हर 1, 00, 000 व्यक्तियों में 10.9 हो चूका है, जो कि पहले 7.9 था। हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या का शिकार हो जाता है और हर 3 सेकेंड में एक व्यक्ति प्रयास करता है मरने के लिए। ये डाटा विश्व स्तर पर W.H.O. (वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन) द्वारा दिया गया है। Home Remedies for Depression in Hindi

  • गाँव या देहात में रहने वालों में शहरों के मुताबिक अवसाद अधिक देखा जाता है।
  • शिक्षितों में अशिक्षितों के मुताबिक अधिक मात्रा है।
  • गरीबों और धनवानों में इसकी मात्रा बराबर की है।

कारण-अवसाद या डिप्रेशन किन कारणों से होता है ? 

जैविक, आनुवांशिक, मनोसामाजिक, जैव रासायनिक असंतुलन के कारण अवसाद हो सकता है। अवसाद के भौतिक कारण भी अनेक हैं जैसे कुपोषण, आनुवांशिकता (Heriditory) हॉर्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख कारण हैं। 90% अवसाद के मरीज नींद की समस्या से ग्रस्त होते हैं। अपने ढंग से न जी पाना और बहुत अधिक महत्वकांक्षी होना जिससे इच्छाओं की पूर्ति न हो पाना अवसाद को जन्म देता है। कोई हादसा या प्रिय जन से बिछड़ जाना भी डिप्रेशन को जन्म दे सकता है।
एक बड़ा कारण अपने समाज में यह भी है, कि सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग, हमारे मन से इस गहरी परत ने ना जाने कितने मनोविकारों को जन्म दिया है। अपना जीवन साथी अपनी जीविका, करियर अपनी पसंद से ना चुन पाना एक बड़ा कारण है तनाव व दुख का जो आगेचल के अवसाद का रुप ले लेता है।
अवसाद या डिप्रेशन के उपचार के लिए पढ़ें अगला पत्र जिसमें योग, प्राणायाम और ध्यान के बारें में बताया गया है। What is Depression Reasons Symptoms Types Diet and Treatment in Hindi

डिप्रेशन के अन्य कारण 

रोग : मानिसक कमजोरी के साथ साथ कुछ लोग अपनी शारीरिक कमजोरी और रोगों के कारण भी अधिक चिंतित रहने लगते है जो धीरे धीरे उनके संतुलन को खराब करने लगती है और ये परेशानी ही उनके अवसाद का कारण बन जाती है।
पारिवारिक समस्याएं : कुछ लोगों के घर में अनेक तरह की समस्या होती है जैसे गरीबी, अशांति, पारिवारिक झगड़ें, धन की कमी आदि। ऐसे लोग हर छोटी छोटी बात पर भी अधिक विचार करने लगते है और उसके पीछे के कारण को खोजने के चक्कर में खुद को एक भयंकर बीमारी का रोगी बना लेते है।
अकेलापन : अकेलापन व्यक्ति के जीवन में बहुत गलत प्रभाव डालता है। आजकल युवा वर्ग में ये कारण अधिक पाया जाता है जब उनका प्रेमी या प्रेमिका उनके साथ धोखा कर देते है तो वो खुद को अकेला महसूस करने लगते है और डिप्रेशन का शिकार हो जाते है।
अनुवंशिक : डिप्रेशन अनुवंशिक भी है। अगर आपके माता पिता आपके जन्म से पूर्व अधिक चिंतित रहते थे तो आपको भी चिंतित रहने की आदत हो सकती है। खासतौर पर आपकी मां, अगर वो आपके गर्भ में होने के समय किसी बात से परेशान रहती थी तो आपका अवसाद से ग्रस्त होना लगभग शत प्रतिशत होता है। इसीलिए गर्भवती स्त्री को खुश रहने की सलाह दी जाती है।
बेरोजगारी : डिप्रेशन के मुख्य कारणों में से एक है बेरोजगारी। ऐसे बहुत से छात्र है जो बड़ी कठिनाइयों और बेजोड़ मेहनत के कारण अपनी शिक्षा को प्राप्त करते है किन्तु उनको अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती। शिक्षित होने के कारण ऐसे छात्र मानसिक रूप से मजबूत होते है और वे काफी प्रयास करते है किन्तु उनके अथक प्रयास के बाद भी उन्हें नौकरी नही मिलती तो अंत में वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते है।

लक्षण  – अवसाद के लक्षण 

मनोदशा – चिंता, उदासीनता, असंतोष, खालीपन, अपराध बोध, निराशा, मिजाज बदलते रहना, घबराहट अथवा सुख प्रदान करने वाले कार्यों से भी सुख की अनुभूति ना होना। अवसाद में व्यक्ति व्यथित होता है, या तो वह दुखी रहता है या उसकी ऊर्जा का हृास कर लेता है। जो उसके मानसिक स्तर को प्रभावित करता है ऐसी स्थिति में व्यक्ति बहुत ही तनाव ग्रस्त और परितक्त्या अनुभव करता है। उसके मन में अपने प्रति संशय उन्पन्न होने लगता है जिसके कारण उसकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है उसे यह अवस्था और अधिक अवसाद में ले जाती है, इस अवस्था में व्यक्ति में अपना भला बुरा सोचने की क्षमता समाप्त हो जाती है और वह घृणित से घृणित कार्य जैसे आत्महत्या हाथ की नसें काटना, फाँसी लगाना इत्यादि कार्य करके स्वयं को ही हानि पहुँचाता है। वह स्वयं की शक्ति को पहचानने में असमर्थ हो जाता है और सदा लाचारी की स्थिति में रहता है। उसे निराशा सदा घेरे रहती है और अपने आस-पास किसी को पसंद नहीं करता है। अकेलापन उसे अच्छा लगता है। किसी की भी बात भले ही मजाक में कही गई हो उसे तीर की तरह चुभ जाती है हर बात को अपने से जोड़ लेता है और सब पर संदेह करता है। भूतकाल को याद करके या बीती बातों को याद करके अकेले में रोता है। वह अपने मन की बात किसी से नही बताता क्योंकि उसे अपने परम हितैशियों पर भी विश्वास नहीं होता न ही ईश्वर पर, वह हर दम अपनी परिस्थिति के लिए उन्हें कोसता रहता है। कुछ मरीज वाचाल होते हैं क्रोध व्यक्त करते हैं चिड़चिड़ापन दिखाते हैं अत्यधिक गुस्सा, नफरत प्रगट करते हैं और कुछ अन्तर्मुखी होते हैं उनके लिए अवसाद बेहद गम्भीर स्थिति उत्पन्न कर देता है, एकांकी जीवन शैली को अपनाकर वे गहन मौन में चले जाते हैं और यह अवस्था उनकी हृदय गति को बिलकुल कम कर देती है जिससे कभी-कभी सोते-सोते उनकी मृत्यु भी हो सकती है। कुछ अवसादग्रस्त व्यक्ति जो दिन में काम करते हैं व्यस्त होते हैं, तब तक अवसाद की स्थिति से दूर रहते हैं किंतु जैसे ही वे अकेले हो जाते हैं फिर वे उसी भूतकाल में डूब जाते हैं, या भविष्य की चिंता करते हैं। बहुत ही कम समय के लिये वह वर्तमान क्षणों का आनन्द ले पाते हैं। Home Remedies for Depression in Hindi

निद्रा –  साधारणतह एक व्यस्क को 7-8 घंटे की नींद की आवश्यकता है किंतु, अवसाद में व्यक्ति अपनी निद्रा का लाभ नहीं ले पाता, उसकी नींद सुबह बहुत जल्दी खुल जाती है या वह अनिद्रा का शिकार हो जाता है। नींद के बाद भी उसे थकावट और आलस्य महसूस होत है। कुछ मरीजों में अत्यधिक नींद भी पाई गई है पर उसमें भी वह थका हुआ ही उठता है व्यक्ति, खुद को तरोताजा महसूस नहीं कर पाता । वह हमेशा थकान और बेचैनी का अनुभव करता है।
संज्ञानात्मक – एकाग्रता की कमी, हर कार्य में धीमी गति का होना, आत्महत्या के विचार, कुछ याद ना रहना या सामान्य चीजें भूलना मुख्य हैं। कुछ नई कुछ पुरानी बातें अचानक याद आना और खुश हो जाना। ज्यादातर डिप्रेशन के मरीज बाद में भूलने की बीमारी या एलजाइमर (Alzimer) से ग्रस्त हो जाते हैं। वह ध्यान लगा के कोई काम करने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं।
नशा – कुछ लोग नशा करने लगते हैं कि वे हरदम वास्तविकता से दूर रहें क्योंकि उनमें इसे स्वीकार करने की शक्ति नहीं होती। हम कह सकते हैं कि वे डरपोक हो जाते हैं। जीवन के उतार चढ़ाव को बर्दाश करने की क्षमता उनमें नहीं होती। कैफीन (कॉफी), चाय, जंक फूड इत्यादि से भी गलत प्रभाव पड़ता है। सिगरेट (धूम्रपान) अथवा तंबाकू सेवन आदि भी गलत प्रभाव डालते हैं।

विशेष शारीरिक लक्षण 

  • नींद और भूख की अधिकता। कार्बोहाइड्रेट क्रेविंग (यानि जंक फूड खाने की तीव्र इच्छा जैसे पीज्जा, पेस्ट्री, बर्गर आदि)
  • मनोसंचालन मंणन (साइकोमोटर रिटार्डेशन):- इसमें लीडेन पैरालिसिस (धीमा लकवा) भी देखा जाता है। शरीर एक लकड़ी के लट्ठे की तरह प्रतीत होता है।जल्दी-जल्दी बर्ताव बदलता है और ऐसे नवजवान लड़के, लड़कियाँ अति भावुक होते हैं।
  • कमजोरी, इनमें लो मूड़ दिखता है।इन टीनएजर्स के साथ माता-पिता को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ता है।इनमें पारस्परिक अस्विकृति भी पायी जाती है।
  • कब्ज, सर दर्द, वनज गिरना भी अवसाद में पाया जाता है।ऐसे युवा अपनी बात मनवाने के लिए कुछ दिखावा भी करते हैं जिसे प्रोजेक्शन कहते हैं, यह उच्च स्तरीय परिवारों में अधिक देखा जाता है।

पुरुषों में डिप्रेशन के लक्षण

  • परिवार और समाज के दूरी बना लेना
  • बिना ब्रेक के काम करना
  • जरूरी काम या पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने में कठिनाई होना
  • बात-बात पर गुस्सा होना
  • रिश्तों में खटास बना लेना

महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण

  • चिड़चिड़ापन
  • चिंता
  • मूड स्विंग
  • थकान
  • नकारात्मक विचार आना

किशोरों में डिप्रेशन के लक्षण

  • स्कूल की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित न कर पाना
  • नींद नहीं आना
  • बहुत ज्यादा सोना
  • भूख में कमी या बहुत भूख लगना
  • सामाजिक कार्यों और गतिविधियों से बचना

बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण

  • दोस्तों और परिवार से अलग-अलग रहना
  • स्कूल की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • खुद को दोषी, असहाय या बेकार महसूस करना
  • बेचैनी
  • बात-बात पर रोना
  • लो एनर्जी महसूस करना
  • उद्दंड व्यवहार
  • बात-बात पर गुस्सा करना

अवसाद (डिप्रेशन) के प्रकार 

मेजर डिप्रेशन –  इस स्थिति में व्यक्ति का मिज़ाज बदलते रहेता है। यह व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों और व्यक्तिगत सम्बन्धों पर भी प्रभाव डालता है।
बाई पोलर डिसॉर्डर – इसे मैनिक डिप्रेशन भी कहेते हैं। चिडचिडपन, ग़ुस्सा, मतिभ्रम जैसी स्थिति इनमे पाई जाती है। एकदम निराश फिर अत्यधिक ख़ुश होना इनमे मुख्य है।
सायकलोथमिक डिसॉर्डर – इसमें लच्छन सूक्ष्म से लगते हैं। इसमें माइल्ड डिप्रेशन और ह्यपोमानिया देखा जाता है।
डिस्थीमिक डिसऑर्डर – इसमें मरीज़ को दो वर्ष या उससे अधिक समय तक डिप्रेशन अनुभव होता है। वह अपने आप को अस्वस्थ भी महसूस करता है तथा दैनिक कार्यों में भी कठिनाई महसूस करता है।
पोस्टमार्टम डिप्रेशन – पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक गम्भीर समस्या है जो बच्चे के जन्म के कुछ महीनो बाद माँ को हो सकता है। गर्भपात से भी महिला इस स्थिति में जा सकती है।
सीकोटिक डिप्रेशन – यह एक बहुत ही गम्भीर समस्या है, इसमें लोग अन्य लक्षणों के साथ मतिभ्रम, तर्कहीन विचार, ऐसी चीज़ें देखना सुनना जो नहीं हैं के शिकार हो जाते हैं।
अनाक्लिटिक डिप्रेशन (Anaclictic depression) – नवजात शिशु में पाया गया है, जिसमें बच्चा किन्हीं कारणों से अपनी माँ से अलग होता है। माँ का प्यार ना मिलने से शिशु डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
एटिपिकल डिप्रेशन (Atypical depression) – ये युवाओं में पाया जाता है। इन मरीजों में कार्बोहाड्रेट क्रेविंग भी पायी जाती है।
सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर – यह मौसम के अनुसार होता है। आमतौर पर यह स्प्रिंग या सर्दियों में शुरू होता है और गर्मियों में ख़त्म।

अवसाद (डिप्रेशन) का उपचार – डिप्रेशन कैसे ठीक हो सकता है?

भाग्यवश अवसाद का निवारण है, यह लाइलाज नहीं। यदि आपके आस-पास कोई भी व्यक्ति बताए गए 2-3 लक्षणों या अधिक से ग्रस्त है तो उसे तुरंत डाॅक्टर के पास लेकर जाऐं। 2 हफ्ते से अधिक यदि कोई व्यक्ति दुखी या उदास है और खाना-पीना ठीक से ना ले रहा हो तो वह अवसाद से ग्रसित हो सकता है। उसे डाॅक्टर की सलाह लेनी चाहिए। दवाइयाँ और मनोचिकित्सा एक साथ लेने से अधिक असर होता है।
अवसाद की समस्या गंभीर हो जाने पर डॉक्टर से सलाह करके उपचार करना जरुरी है। आहार, योग, प्राणायाम और ध्यान उपचार हेतु बहोत लाभदायक है और पूरी तरह इसे ठीक करने में सहायक है। इसी के साथ अन्य कारण जैसे कुपोषण और बीमारियाँ जो साथ में हैं उन्हें ठीक करना मुख्य होता है।

  • आहारः-  एक पुरानी कहावत है, जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन। भोजन में जरुरी पोषक तत्व ना होने से अवसाद की स्थिति और बिगड़ जाती है। सही आहार अवसाद को ठीक करने में अति सहायक है। 70 -90% मनोविकारों में लाभ मिलता है। एपिजीन में परिवर्तन करने वाले स्वास्थ्य दायक आहार का प्रयोग करें जिससे मन अच्छा रहेगा और नींद भी ठीक होगी जो कि आपकी कार्य क्षमता​ को बढ़ाएगी।
    सिरोटोनिन को फील गुड हॉर्मोन कहते हैं जो आपके मन को अच्छा रखता है और अच्छी नींद में सहायक है। ट्रिप्टोफैन युक्त आहार सिरोटोनिन की मात्रा बढ़ाने में सहायक है जैसे चना इत्यादि।
  • सहायक आहारः-  विटामिन बी 12 और फोलेट युक्त आहार- दूध, साबुत अनाज, ब्रकोलि, बादाम, पालक, दालें, सप्लिमेंट्स इत्यादि
  • सेलेनियम – सेलेनियम युक्त आहार डिप्रेशन के लक्षण घटाने में अति सहायक माना जाता है। ये साबुत अनाज और दालें आदि। ब्राउन राइस, ओट मिल और त्रिकोण फल में भी सेलेनियम पाया जाता है।
  • विटामिन डी – सूरज की किरणें, सप्लिमेंटस, जूस अनाज, ब्रेड इत्यादि।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड – बादाम, अखरोट, अलसी, आदि सप्लिमेंट भी ले सकते हैं।
  •  प्रतिऑक्सीकारक / एंटीऑक्सीडेंट- ये हमारे शरीर में बन रहे फ्री रैडिकलस से लड़के उन्हें खत्म करते हैं और खराब सेल बनने से रोकते हैं। विटामिन ई, विटामिन सी और विटामिन ए इसका मुख्य अंग है।
  • बीटा कैरोटिन- ब्रैकोली, गाजर, पालक, सकरकंद, कद्दू, एैप्रीकोट।
  • विटामिन सी- किवि, टमाटर, ब्लू बेरी, ब्रैकोली, अंगूर, संतरा, काली मिर्च, आलू, अवोकाएडो आदि।
  • जिंक- मक्का, साबुत अनाज, बीन्स, नट्स आदि अथवा इसे सप्लिमेंट्स में लिया जा सकता है।
  • प्रोटीन- यह अत्यधिक महत्वपूर्ण अंग है जीवन के लिए। बीन्स, मटर, चीज, दूध दही, सोयाबीन आदि मुख्य तत्व हैं प्रोटीन के।

कुछ सामान्य आहार परिवर्तन

  • मैदे की जगह आप आटे (गेंहू का आटा) का प्रयोग करें ये अधिक हल्का होता है।
  • चीनी की जगह शहद या गुड़ का प्रयोग करें।
  • नट्स, बीन्स और फल एक साथ आहार में शामिल करें।
  • ओटमिल को नाष्ते में शामिल करें।
  • आर्टिफीशियल फ्लेवर की जगह दालचीनी, नटमेग या नेचुरल वेनिला का प्रयोग करना अच्छा होगा।
  • लो फैट क्रीम चीज (Cheese) का प्रयोग उत्तम होगा।
  •  प्रयास करें ताज़ा और शुद्ध भोजन करें और सही समय पर भोजन कर लें।
  • रात का भोजन 8-9 के बीच और दोपहर का 12 से 1 के बीच करने का प्रयास करें।
  • कैफीन, शराब, धूम्रपान, तम्बाकू इत्यादि से बचें।

घरेलू उपाय -डिप्रेशन से बचने के घरेलू उपाय, Home Remedies for Depression

युर्वेद एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है जो वात,पित्त, कफदोषों को संतुलित कर शरीर को स्वस्थ बनाती है। आयुर्वेदिक औषधियाँ व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती हैं एवं व्यक्ति को ऊर्जावान बनाती हैं। इनके सेवन से रोगी के शरीर में कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।
डिप्रेशन मै काजू का सेवन- डिप्रेशन मै काजू का सेवन से बहुत लाभ होता है। 4 से 6 काजू को पीसकर एक कप दूध में मिलाकर पीने से डिप्रेशन का असर कम होता है और आपकी हेल्थ के लिए भी अच्छा है।
नींबू ,हल्दी और शहद का लाभ – एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच हल्दी पाउडर, एक चम्मच शहद, दो कप पानी इन सब को एक बर्तन मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें और इसे पी लें। नियमित रूप से इसके सेवन से अवसाद से निकलने में मदद मिलती है।
सेब के सेवन है जरूरी – सुबह उठकर खाली पेट सेब खाएँ। यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य को तो बेहतर रखता ही है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
इलायची से मिलती है राहत – आप दो से तीन इलायची को पीसकर एक गिलास पानी में उबालकर पी लें या फिर हर्बल चाय में इलायची डाल कर पिएँ।

डिप्रेशन से मुक्ति दिलाए लाल गुलाब –  लाल गुलाब अवसाद पर काबू पाने में आपकी काफी मदद करेगा। इसके लिए 250 मिलीलीटर पानी में 25-30 गुलाब की पंखुड़ियों को डाल कर उबाल लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए मिश्री का उपयोग भी कर सकते हैं। प्रतिदिन दो बार इस काढ़े को पिएं। इससे आपकी नसों में शांति बनी रहती है।
ब्राह्मी तेल की मालिश – ब्राह्मी फिर से जवान कर देने वाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। इसके तेल की मालिश मन को शांत करती है। यह अवसाद के इलाज में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है।
शतावरी डिप्रेशन कम करती है – शतावरी मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। इसमें फोलिक एसिड (folic acid) और ट्रिप्टोफेन (Tryptophan) है। ये घटक मूड बढ़ाने वाले रसायनों का उत्पादन करते हैं। डिप्रेशन जैसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए गर्म दूध या शहद के साथ शतावरी पाउडर का सेवन करें या फिर सब्जी के रूप में अपने आहार में शतावरी का उपयोग करें।
डिप्रेशन में बादाम के लाभ – बादाम में प्रोटीन, विटामिन ई, मैग्नीशियम, फाइबर और कई आवश्यक अमीनो एसिड पाए जाते हैं। गर्म दूध में एक चम्मच बादाम का पेस्ट रोजाना मिलाकर पीने से अवसाद जैसी समस्या में काफी तेजी से आराम मिलता है।

कैमोमाइल चाय है डिप्रेशन का घरेलू उपाय – वैज्ञानिक तौर पर साबित हुआ है कि कैमोमाइल एक प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट जड़ी बूटी है। इसका उपयोग मन को शांत करता है और डिप्रेशन से बाहर निकलता है। इसका उपयोग बहुत ही सुरक्षित है। कैमोमाइल बच्चों द्वारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है। दवा के उपचार के विपरीत इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। यह चिंता को दूर करने में भी बहुत प्रभावी है और डिप्रेशन के समय नींद नहीं आने की समस्या में भी बहुत लाभदायक है। रात के खाने के बाद एक कप कैमोमाइल चाय पीने से अच्छी नींद आती है और पाचन भी बेहतर होता है।
केसर से खत्म करें डिप्रेशन को – केसर अवसाद जैसी समस्या के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह एक शक्तिशाली और सुरक्षित जड़ी बूटी है जो आपके मूड को बहुत प्रभावी ढंग से खुश रखता है। अध्ययन ने यह साबित किया है कि हल्के और मध्यम अवसाद से पीड़ित कई लोगों ने अपने दैनिक आहार में केवल 30 ग्राम केसर का उपयोग करके अपने मूड में भारी बदलाव का अनुभव किया है। केसर व्यक्ति को आराम देने और मूड को सूधारने में मदद करता है।
डिप्रेशन में करें अश्वगंधा का उपयोग – अश्वगंधा अवसाद के लिए सबसे अच्छा आयुर्वेदिक उपाय है। प्रतिदिन शहद के साथ एक चम्मच अश्वगंधा का सेवन करें। यह अवसाद जैसी समस्या को दूर करेगा।
गिलोय करे डिप्रेशन से दूर – गुदुची या गिलोय फिर से युवा करने के गुणों के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग चिंता, अवसाद, सिरदर्द और मनोदशा विकारों के इलाज में व्यापक रूप से किया जाता है। यह मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा करता है और तनाव से राहत देता है। 500 मिली ग्राम गुदुची पाउडर को गोल्डन लिक्विड हनी (golden liquid-honey) के साथ मिलाकर प्रतिदिन दो बार इसका सेवन करें।

पतंजलि डिप्रेशन मेडिसिन, पतंजलि डिप्रेशन मेडिसिन इन हिंदी

  • पतंजलि दिव्य मेधा वटी , Patanjali Divya Medha Vati Extra Power 92 GM – मस्तिष्क की कमजोरी, सिरदर्द, नींद न आना, चिड़चिड़ा स्वभाव, मिर्गी आदि की शिकायतें ठीक करता है। अत्यधिक सपनों की समस्या और अवसाद और चिंता के कारण लगातार नकारात्मक विचारों को इस दवा द्वारा हल किया जाएगा और यह आत्मविश्वास और उत्साह बढ़ाता है। Price – MRP: Rs 185 for 92GM
  • पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण , Patanjali Ashwagandha Churna – अश्वगंधा चूर्ण आपको तनाव से राहत दिलाने में मदद करता है और आपके स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। यह अश्वगंधा की अच्छाई से बना है जिसे भारतीय जिनसेंग के नाम से भी जाना जाता है। यह आपको चिंता और अवसाद से उबरने में मदद करता है, आपके मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को बढ़ाता है और आपको ताकत हासिल करने में मदद करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो बीमारियों से जल्दी ठीक होने में मदद करता है Price – MRP: Rs 56 for 100GM

डिप्रेशन की होम्योपैथिक दवा – डिप्रेशन की बीमारी में होम्योपैथी दवा

होम्योपैथिक दवायें बहुत अच्छा असर करती हैं और होम्योपैथिक में डिप्रेशन की बीमारी की बहुत सारी दवाएं हैं जो डिप्रेशन के कारण को पूरी तरह दूर करती हैं। दवा का चुनाव रोग के कारण पर निर्भर करता है। अतः खुद अपना इलाज करने का प्रयास न करे किसी अच्छे चिकित्सक से ही परामर्श लें और उसी के अनुसार दवा का सेवन करें।
औरम-मेट (AUR-MET)– जिंदगी से निराश, आत्महत्या करने की बार-बार कोशिश करे या आत्महत्या के विचार अक्सर मन में आएं, नींद न आएं, लड़ाई झगड़े के सपने बार बार देखे और नींद में रोए तो यह दवा उपयोगी होती है।
स्टेफीसेग्रिया(STAPHYSAGRIA)– किसी के द्वारा अपमान किए जाने को मन में रख लेने के कारण तनाव या डिप्रेशन हो, लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं यही सोच-सोचकर डिप्रेशन हो रहा हो तो यह दवा उपयोगी होती है।
एसिड फॉस(ACID-PHOS)– व्यक्ति प्रेम मे असफलता के कारण डिप्रेशन, किसी भी चीज में कोई रुचि न रहना, मानसिक रूप से थका हुआ, हमेशा चिंतित सा रहता है तो यह दवा उपयोगी होती है।
नेट म्यूर(NAT-MUR)– लड़ाई झगड़े या गुस्से के दुष्प्रभाव के कारण डिप्रेशन, अकेले में मरीज रोना चाहता है, चिड़चिड़ा हो जाता है. आर्थिक कारण के वजह से डिप्रेशन या फिर कुछ क्रोनिक बीमारियो के कारण हो तो यह दवा उपयोगी होती है।
आर्स अल्ब(ARS-ALB)–  मरने का डर, मरीज सोचता है कि दवा खाना बेकार है, अकेले रहने से डर लगता है, भूत-प्रेत दिखने की बातें करे या आत्महत्या करने की प्रबल इच्छा हो तो यह दवा उपयोगी होती है।
नक्स-वोमिका(NUX-VOMICA)– अत्याधिक चिड़चिड़ापन, पढ़ाई या नौकरी के कारण चिड़चिड़ापन। रात को 3 बजे के बाद सो न सकने वाला, नर्वसनेस के साथ-साथ कब्ज की भी शिकायत रहे और रोगी को किसी भी प्रकार की आवाज़, गंध या रोशनी सहन नहीं होती हो तो यह दवा उपयोगी होती है।
आर्ज़-नेट(ARG-NIT)– मानसिक और शारीरिक रूप से खुद पर काबू ना रह पाए, हमेशा डरा हुआ और नर्वस रहे, डरावने सपने दिखें खासकर के सांप के, एग्जाम देने में डर लगे, आत्मविश्वास की कमी हो और अपने आसपास तरह-तरह की वस्तुओं का आभास हो तो यह दवा उपयोगी होती है।

योग, प्रणायाम और ध्यान

योग और प्राणायाम 
अनलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, बंध और सूर्य नमस्कार तथा योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। घर के बाहर निकलें, प्रतिदिन सैर पर जाएं और व्यायाम को अपने जीवन में स्थान दें तनाव अपने आप आपसे दूर हो जाएगा।
एक महत्वपूर्ण बात याद रखें, इससे फर्क नहीं पड़ता आप कौन हैं, जीवन तब तक सही नहीं चलता जब तक आप सही चीजें नहीं करते।
यदि आप सही परिणाम चाहते हैं तो सही कार्यों का चयन करें फिर जीवन हर दिन एक खूबसूरत चमत्कार से कम नहीं है। हमें अपने जीवन का चार्ज अथवा जिम्मेदारी लेनी होगी जिससे हमारे अन्दर की असीमित क्षमताएं निखर कर आएगीं और तनाव रहित जीवन बनाना आसान हो जाएगा।
कुछ योग-आसन जो आपकी मदद कर सकते हैं:
भुजंगासन , धनुरासन , अर्धमत्स्येन्द्रासन ,  नौकासन , त्रिकोनासन , अधोमुख श्वान आसन
कुछ प्राणायाम जो आपकी मदद कर सकते हैं:-
नाड़ी शोधन, उज्जाई, भस्त्रिका, कपालभांति और भ्रामरी प्राणायाम।
किसी योग गुरु या मनोचिकित्सक के मार्गदर्शन में ही इसका पालन करें। टी.वी. पर देख कर या गलत अभ्यास करने से लाभ की जगह नुक़सान भी हो सकता है।

अवसाद (डिप्रेशन) से बचने के उपाय

अच्छे दोस्त बनाएं – अच्छे दोस्त आपको आवश्यक सहानुभूति प्रदान करते हैं और साथ ही साथ अवसाद के समय आपको सही निजी सलाह भी देते हैं।
संतुलित आहार लें – फल, सब्जी, मांस, फलियां, और कार्बोहाइड्रेट आदि का संतुलित आहार लेने से मन खुश रहता है। एक संतुलित आहार न केवल अच्छा शरीर बनता है बल्कि यह दुखी मन को भी अच्छा बना देता है।
बातचीत करें – अपनी समस्याओं के संबंध में बात करना भी तनाव दूर करने का उत्तम जरिया है। हममें से अधिकतर लोग खुद तक ही सीमित रहते हैं। अंदर ही अंदर घुटते रहने से और भी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
अपने लिए समय निकालें – यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप व्यस्तता के बावजूद अपनी जरूरतों और देखभाल के लिए भी कुछ समय निकालें। आराम करने के लिए भी पर्याप्त समय बचा कर रखें।
लिखना शुरू करें – अपनी रोजाना की गतिविधियों और भावनाओं को लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में आपको मदद मिलती है। एक जर्नल या डायरी रखें जिसमे रोजाना लिखें की आप जीवन के बारें में क्या महसूस करते हैं। यह आपके अवसाद को दूर करने में सहायक होगा।
मनोचिकित्सक से सलाह लें – अवसाद को दूर भगाने का सबसे मुख्य और आसान तरीका है कि आप मनोचिकित्सक की सलाह लें । मनोचिकित्सक की सलाह से आपको अवसाद की जड़ तक जाने और इसे दूर करने में मदद मिलेगी।
डिप्रेशन कब तक रहता है?
पहले-पहल मन न लगना, उदास रहना जैसे लक्षण देरी करने पर डिप्रेशन का रूप ले लेते हैं। अगर हफ्ते 10 दिन तक उदासी बनी रहे तो अपने फिजिशन से मिल लें

डिप्रेशन से होने वाले रोग , डिप्रेशन के कारण बीमारियां

हमें दैनिक कार्यों में अनेक प्रकार के तनाव झेलने पड़ते हैं. खासतौर पर वर्तमान युग की तेज रफ्तार जिन्दगी में हमें रोज अनेकों समस्याओं से जूझना पड़ता है और इसके कारण तनाव होता है. लगातार मानसिक दबाव या तनाव अनेक मानसिक विकारों को जन्म देता है, अनेक शारीरिक समस्याओं का शिकार बनता है. जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, थायरोइड इत्यादि. चलिये जानें डिप्रेशन के कारण कौंन कौंन सी बीमारियां हो सकती हैं-
कैंसर – कैंसर के लगभग 60 प्रतिशत रोगी डिप्रेशन से भी ग्रस्त होते हैं क्योंकि अवसाद के कारण इक्यूनसिस्टम बदल जाता है. किसी भी व्यक्ति के अवसाद ग्रस्त होने के पीछे मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आनुवांशिक तथा जैव वैज्ञानिक कारण हो सकते हैं. अवसाद से पीडि़त रोगी का उपचार आमतौर पर सायकोथैरेपी के द्वारा किया जाता है.
मोटापा – एक अध्ययन में पाया गया है कि बचपन के अवसाद का अगर जल्द इलाज और रोकथाम कर लिया जाए, तो वयस्क होने पर दिल की बीमारी का खतरा कम हो सकता है. अवसादग्रस्त बच्चों के मोटे, निष्क्रिय होने और धूम्रपान करने की संभावना होती है जो किशोरावस्था में ही दिल की बीमारियों के कारण बन सकते हैं. अमेरिका की युनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा में मनोविज्ञान में यह शोध हुआ.
डिमेंशिया – नए शोध से पता चला है कि अवसाद से ग्रस्त लोगों में डिमेंशिया होने का ख़तरा सामान्य से दो गुना अधिक हो सकता है. डिमेंशिया से इंसान की मानसिक क्षमता, व्यक्तित्व और व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है. जिन लोगों को डिमेंशिया होता है उनकी याद्दाश्त पर असर पड़ता है. अमरीकन पत्रिका न्यूरोलॉजी में ये तथ्य प्रकाशित हुए.
समय से पहले बुढ़ापा – मानसिक बीमारी पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (पीटीएसडी) से पीड़ित लोगों को समय से पहले बुढ़ापा आने का खतरा होता है. नए शोध में यह बात सामने आई है. पीटीएसडी कई मानसिक विकारों जैसे गंभीर अवसाद, गुस्सा, अनिद्रा, खान-पान संबंधी रोगों तथा मादक द्रव्यों के सेवन से जुड़ी व्याधि है. सैन डिएगो स्थित युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में साइकेट्री के प्रोफेसर दिलीप वी. जेस्ते व उनके साथियों ने पीटीएसडी में समय से पूर्व बुढ़ापे पर प्रकाशित प्रासंगिक अनुभवजन्य अध्ययनों की व्यापक समीक्षा की.
दिल की बीमारियां – एक अध्ययन में पाया गया है कि बचपन के अवसाद का अगर जल्द इलाज और रोकथाम कर लिया जाए, तो वयस्क होने पर दिल की बीमारी का खतरा कम हो सकता है. अवसादग्रस्त बच्चों के मोटे, निष्क्रिय होने और धूम्रपान करने की संभावना होती है जो किशोरावस्था में ही दिल की बीमारियों के कारण बन सकते हैं
मधुमेह – अवसाद की समस्या मधुमेह की ओर इशारा करती है. कई सालों से यह माना जाता था कि अवसाद की समस्या की जड़ मधुमेह है. हाल के कई शोधों में यह बिंदु सामने आया कि अवसाद से समस्या जटिल होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि मधुमेह के पीछे चिंता और तनाव का ही हाथ होता है. यदि कोई व्यक्ति अवसाद ग्रस्त है तो उसे मधुमेह होने की संभावना सामान्य व्यक्ति के मुकाबले दुगनी होती है.
बहरेपन का खतरा अधिक – हाल ही में हुए एक शोध में बहरेपन से संबंधित एक नई जानकारी मिली है. इस शोध की मानें तो अवसाद में रहने वाले लोगों को बहरेपन का खतरा ज्‍यादा होता है. अमेरीका में हुए इस शोध में शोधकर्ताओं ने 18 साल व इससे अधिक उम्र के पुरुषों और महिलाओं पर अध्ययन किया. इसका असर पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर अधिक दिखा.

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