वृषभ राशि वालों को धन कब मिलेगा?, वृषभ राशि वालों को कौन सा धंधा करना चाहिए?, वृषभ राशि वालों को कौन सा व्यापार करना चाहिए, वृषभ राशि वालों को नौकरी कब मिलेगी, वृषभ राशि के लिए व्यापार, वृषभ राशि धन प्राप्ति के उपाय, Vrishabh Rashi Valon Ko Dhan Kab Milega?, Vrishabh Rashi Vaalon Ko Kaun Sa Dhandha Karna Chahiye?, Vrishabh Rashi Valon Ko Kaun Sa Vyaapar Karna Chahiye, Vrishabh Rashi Valon Ko Naukri Kab Milegi, Vrishabh Rashi Ke Lie Vyaapar, Vrishabh Rashi Dhan Praapti Ke Upaay

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वृषभ राशि – परिचय

वृषभ राशि आपकी जन्मतिथि 20 April से 20 May के बीच होती है. वृषभ राशि के जातक अक्सर धन की सीमाओं में फंसे रहते हैं, पैसों की कमी से परेशान होते हैं और समय-समय पर उन्हें धन से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, यही वजह है कि अक्सर आपके मन में यह सवाल उठता है कि वृषभ राशि वालों को धन कब मिलेगा? वृषभ राशि वालों को नौकरी कब मिलेगी?, वृष राशि के लोगों को कौन सा व्यापार करना चाहिए? आप के इस आर्टिकल में हम आपके इन्ही सवालों के जवाब लेकर आए हैं. तो चलिए जानते हैं आपके इन सवालों के जवाब के बारे में-

वृषभ राशि वालों को धन कब मिलेगा?

वृष राशि वाले अपनी क्षमताओं और कौशल से धन कमाने में सक्षम होते हैं हालांकि आपको धन के नए स्रोत खोजने के लिए अपनी मेहनत को जारी रखना चाहिए. आपको अपने स्वयं के कौशल का उपयोग करते हुए एक अच्छा व्यवसाय करना चाहिए जिससे आप धन कमा सकते हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि आप उस व्यवसाय में मेहनती हों और बिना किसी संकट के समाधान की तलाश में लगे रहें. एक अच्छा व्यवसाय करने से आपके लिए धन के स्रोत से बढ़िया मौके बन सकते हैं. अपने मेहनत और कौशल से काम करते रहने से वृषभ राशि वालों को धन समस्या से निपटने में मदद मिलेगी और आर्थिक लाभ भी होगा. इसके अलावा, वृषभ राशि वालों को धन कब मिलेगा, इस दृष्टि से ज्योतिष द्वारा बहुत सारे उपाय बताए गए हैं. मान्य ज्योतिषियों के अनुसार, धन प्राप्ति के लिए वृषभ राशि के जातकों द्वारा धन के देवता कुबेर की उपासना करना अत्यंत लाभदायक हो सकता है. वृष राशि का स्‍वामी ग्रह शुक्र है. इसलिए इन जातकों को धन की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा का पूजन करना चाहिए इससे लाभ प्राप्‍त होगा और वित्‍तीय समस्‍याओं से निजात मिलेगा. इसके अलावा ‘ॐ दुर्गादेव्यै नम:’ का जाप करने से पैसों से संबंधित सारी परेशानियां दूर होंगी.

वृषभ राशि वालों को कौन सा धंधा करना चाहिए?

वृषभ राशि वालों को अक्सर धन, संपत्ति और ख्याति के लिए जाना जाता है, इसलिए ये उन लोगों में से हैं जो ज्यादातर व्यवसाय का चयन करना चाहते हैं. ज्योतिष द्वारा बताया गया है कि वृषभ राशि वालों के लिए उन्नति और खुशहाली के लिए मुख्य व्यापार खेती है. आप धातु, होटल आदि से संबंधित व्यापार भी कर सकते हैं. इसके अलावा अंडे, अंगूरों, साबुन, प्रतिरक्षा जैसे कुछ व्यापार में भी वृषभ राशि वालों को सफलता मिलती है. इसलिए, यदि वृषभ राशि वालों को धन के लिए व्यवसाय करना है तो वे उपरोक्त उद्योगों में निवेश कर सकते हैं. इससे उन्हें धनवान बनने का सुनहरा अवसर मिल सकता है.

वृषभ राशि वालों को कौन सा व्यापार करना चाहिए, वृषभ राशि के लिए व्यापार

ज्योतिष द्वारा बताया गया है कि वृषभ राशि वालों के लिए खेती, धातु, होटल आदि से संबंधित व्यापार करना शुभ होता है. इसके अलावा आप बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और अच्छी मुनाफ़े वाले व्यापार जैसे विंटेज वस्तुएं और हस्तशिल्प वैश्विक बाजार के साथ संलग्न हो सकते हैं. अधिकतर, निजी सुविधाओं के लिए लोगों के लिए परिचय करवाना, आयोजन सेवाएं उत्पादन कार्यक्रम लगाना व्यवसाय की महत्वपूर्ण सामग्री हो सकती है. इन व्यापारों में से एक करने से आपको न केवल धन की अच्छी उपलब्धता होगी, बल्कि आपकी प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी.

वृषभ राशि वालों को नौकरी कब मिलेगी

वृषभ राशि वालों के लिए नौकरी पाना बहुत मुश्किल हो सकता है, इसलिए आपको अपने लक्ष्य की ओर पूरा तरह से ध्यान देने व मेहनत करने की आवश्यकता है. नौकरी के लिए सभी अवसरों का सही समय चुने, मनमानी न करें और अपने भाग्य पर भरोसा करें. जल्द ही आपको नए काम करने के अवसर मिलेंगे जो आपके भविष्य के लिए स्थायी रूप से फायदेमंद साबित होंगे. इसके अलावा नौकरी पाने में शनि देव आपकी मदद कर सकते हैं, इसलिए आपको उनकी पूजा अर्चना करनी चाहिए. वृषभ राशि के लोगों के लिए नौकरी पाने का सबसे अच्छा उपाय है कि वह किन्नरों से आशीर्वाद लें, पक्षियों को दाना डालें और प्रतिदिन कनकधारा स्तोत्र का पाठ या श्रवण करें, इससे उन्हें अवश्य लाभ मिलेगा.

वृषभ राशि धन प्राप्ति के उपाय

वृषभ राशि वालों के लिए धन एक महत्वपूर्ण समस्या होती है और ज्योतिष उन्हें इस समस्या से निपटने के लिए धन प्राप्ति के उपाय बताता है. ये उपाय आसान होते हैं और इनका पालन करने से धन की समस्या हल हो सकती है. अगर वृषभ राशि के जातकों द्वारा सुबह उठने के बाद घर में पीपल के पत्तों का उपयोग शुरू कर दिया जाए तो उन्हें धन का लाभ मिल सकता है. इसके अलावा दोपहर में करोंडा के पत्ते का उपयोग उन्हें धन कष्ट से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकता है. वृषभ राशि वालों को नियमित रूप से देवी लक्ष्मी और माँ दुर्गा की पूजा करनी चाहिए जो उन्हें धन सम्पत्ति के साथ-साथ खुशी भी देती है. इसा के साथ आपको भगवान गणेश और कुबेर की पूजा भी करनी चाहिए जो बढ़ती हुई धन समस्या को दूर करते हैं. वृषभ राशि वालों को अपने विचारों और कार्यों पर ध्यान देना चाहिए जो उन्हें धन प्राप्ति में सफलता दिलाने के लिए मदद कर सकते हैं.

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वृषभ राशि – परिचय

सभी 12 राशियों की संख्या में वृषभ राशि का दूसरा स्थान है. इस राशि का स्वामी शुक्र है और इष्ट देवी मां लक्ष्मी हैं. इस राशि का चिन्ह ‘बैल’ है. वृषभ राशि के जातक शांत और कोमल हृदय वाले होते हैं. इस राशि वाले स्वभाव से अंतर्मुखी, परिश्रमी और विश्वसनीय होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर वृष राशि के जातकों के जीवन में कोई समस्या है, हर सम्भव प्रयास के बाद भी सफलता हाथ नहीं लग रही, लगातार एक के बाद दूसरी समस्याएं उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रही है तो वे स्वयं अपनी राशि के अनुसार पूजा-पाठ व कुछ उपाय कर शीघ्र सफलता प्राप्त कर सकते हैं और हर प्रकार की परेशानी से छुटकारा पा सकते है. आइए जानते हैं वृषभ राशि के जातकों को किसकी पूजा करनी चाहिए?, कौन सा व्रत करना चाहिए, किस मंत्र का जाप करना चाहिए, क्या दान करना चाहिए व कौन से उपाय करने चाहिए ताकि उन्हें मनचाहा फल प्राप्त हो सके-

वृष राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?

वृष राशि वालों को किसकी पूजा करनी चाहिए?, Vrish Raashi Walon Ko Kiski Pooja Karni Chahiye?
वृषभ राशि के लोगों को विशेष फल की प्राप्ति के लिए अपनी राशि की इष्ट देवी मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. इष्ट देव की विधिवत पूजा करने से ये फायदा होता कि कुंडली में चाहे कितने भी ग्रह दोष क्यों न हों, अगर इष्ट देव प्रसन्न हैं तो यह सभी दोष व्यक्ति को अधिक परेशान नहीं करते. यहां जानिए पूजा विधि-
लक्ष्मी पूजन की विधि (Laxmi Pooja Vidhi) – लक्ष्मी पूजन की विधि को षोडशोपचार पूजा के नाम से भी जाना जाता है और इस पूजा विधि को 16 चरणों में किया जाता है. ये 16 चरण इस प्रकार है-
आवाहन (Aavahan) – शुक्रवार के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ स्वच्छ वस्त्र पहन लें. अब घर के ईशान कोण में चौकी स्थापित करें. चौकी के उपर लाल वस्त्र बिछाएं और उसपर मां लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. दीपक और धूप जलाएं. हाथ जोड़कर मां लक्ष्मी का ध्यान/आवाहन करें और उन्हें फूल अर्पित करें. आवाहन करते समय हम मां को आने का निमंत्रण देते हैं.
पुष्पाञ्जलि आसन (Pushpanjali Asana) – मां का आवाहन करने के बाद आप पांच तरह के फूल मां की मूर्ति के सामने रखें और नीचे बताए गए मंत्र का जाप करते हुए एक-एक फूल को छोड़े.
नाना रत्‍न समायुक्‍तं, कार्त स्‍वर विभूषितम् .
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्‍यर्थं प्रति-गह्यताम् ..
.. श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै आसनार्थे पंच-पुष्‍पाणि समर्पयामि ..
स्‍वागत – मां को फूल चढ़ाने के बाद मां का स्वागत करें. मां का स्वागत करते हुए ‘श्रीलक्ष्‍मी देवी! स्‍वागतम्’ मंत्र का उच्‍चारण किया जाता है. इस मंत्र का अर्थ है कि हम मां का सच्चे मन से स्वागत करते हैं.
पाद्य – इस चरण में मां के पैरों को जल से धोएं. मां के पैर धोते हुए नीचे दिए गए मंत्र को बोलें-
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !
भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्‍मी ! नमोsस्‍तुते ..
.. श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै पाद्यं नम:..
अर्घ्‍य – इस चरण में मां लक्ष्मी को अर्घ्य दिया जाता है. मां को अर्घ्य देते हुए निम्न मंत्र बोलें-
नमस्‍ते देव-देवेशि ! नमस्‍ते कमल-धारिणि !
नमस्‍ते श्री महालक्ष्‍मी, धनदा देवी ! अर्घ्‍यं गृहाण .
गंध-पुष्‍पाक्षतैर्युक्‍तं, फल-द्रव्‍य-समन्वितम् .
गृहाण तोयमर्घ्‍यर्थं, परमेश्‍वरि वत्‍सले !
.. श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अर्घ्‍यं स्‍वाहा ..
स्‍नान – मां को स्नान कराने के लिए दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण को मिलाकर पंचामृत बनाएं और इससे मां को स्नान कराएं. पंचामृत के बाद शुद्ध जल से मां को स्नान कराएं.
वस्‍त्र – लक्ष्मी पूजन की विधि (laxmi pooja) के अगले चरण में वस्त्र दान किये जाते हैं. मां लक्ष्‍मी को मोली वस्त्र के रूप में अर्पित किया जाता है.
आभूषण – वस्त्र अर्पित करने के बाद मां को आभूषण चढ़ाएं.
सिंदूर – अब मां लक्ष्‍मी को सिंदूर चढ़ाएं.
कुमकुम – अब मां को कुमकुम चढ़ाएं.
अक्षत – मां को कुमकुम चढ़ाने के बाद साफ और बिना टूटे हुए अक्षत चढ़ाएं.
पुष्‍प – मां को कमल का पुष्‍प समर्पित करें.
अंग पूजन – अंग पूजन के तहत हाथ में फूल, चावल और चंदन लेकर दाहिने हाथ से मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को रखें और नीचे बताए मंत्र को बोलें.
ॐ चपलायै नम: पादौ पूजयामि .
ॐ चंचलायै नम: जानुनी पूजयामि .
ॐ कमलायै नम: कटिं पूजयामि .
ॐ कात्‍यायन्‍यै नम: नाभि पूजयामि .
ॐ जगन्‍मात्रै नम: जठरं पूजयामि .
ॐ विश्‍व-वल्‍लभायै नम: वक्ष-स्‍थलं पूजयामि .
ॐ कमल-वासिन्‍यै नम: हस्‍तौ पूजयामि .
ॐ कमल-पत्राक्ष्‍यै नम: नेत्र-त्रयं पूजयामि .
ॐ श्रियै नम: शिर पूजयामि .
मंत्र बोलने के बाद मां के सामने धूप और दीपक जलाएं और मां को भोग अर्पित करें. मां से जुड़ा पाठ करें और अंत में मां लक्ष्‍मी की आरती करें.

वृषभ राशि वालों को कौन सा व्रत करना चाहिए

वृष राशि वालों को कौन सा व्रत करना चाहिए, Vrishabh Rashi Vaalon Ko Kaun Sa Vrat Karna Chahiye
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं, वृषभ राशि का स्वामी गृह शुक्र है, इसलिए वृषभ राशि के जातकों को शुभ फल की प्राप्ति के लिए शुक्रवार का व्रत/माता संतोषी का व्रत करना चाहिए. शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी की उपासना के लिए जाना जाता है. इस दिन शुक्र देवता की भी पूजा की जाती है. मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत रखा जाता है. धर्म शास्त्रों की मानें तो शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी के साथ ही माता संतोषी को भी समर्पित होता है इसलिए इस दिन इनकी पूजा और व्रत को बेहद शुभ माना जाता है. अगर वृष राशि के लोग पूरे विधि विधान से संतोषी माता का व्रत 16 शुक्रवार (Friday) तक रखें तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी, परीक्षा में सफलता मिलेगी, व्यवसाय में लाभ होगा और घर में सुख-समृद्धि आएगी. मां की कृपा से सुयोग्य वर की प्राप्ति होगी. जानिए शुक्रवार व्रत के बारे में-
कब से शुरू करें शुक्रवार व्रत – शुक्रवार का व्रत या माता संतोषी का व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जाता है. लेकिन ध्यान रखें पितृ पक्ष में किसी भी व्रत की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. यदि आप पहले से व्रत कर रहें हैं तभी पितृ पक्ष में व्रत रखें.
संतोषी माता के कितने व्रत करना चाहिए – माता संतोषी के 16 शुक्रवार तक व्रत किए जाने का विधान है.

संतोषी माता के व्रत की विधि- शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठे नित्यआदि कर्मों से निवृत्त होकर स्नान कर लें. स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूरे घर में गंगा जल छिड़क कर शुद्ध कर लें. इसके पश्चात घर के ईशान कोण दिशा में एक एकान्त स्थान पर माता संतोषी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. माता संतोषी के सामने कलश रखें. कलश के ऊपर कटोरी में गुड़ व चना रखें. मां के सामने घी का दीपक जलाएं. मां को रोली, अक्षत, फूल, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें. गुड़ व चने का भोग लगाएँ. संतोषी माता की जय बोलकर माता की कथा प्रारंभ करें. कथा पूरी होने पर आरती करें और सभी को गुड़-चने का प्रसाद बाँटें. अंत में कलश में भरे जल को घर में जगह-जगह छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें. इसी प्रकार 16 शुक्रवार का नियमित उपवास रखें. ध्यान रखें कि व्रत अपने घर में ही करें. यदि किसी कारणवश व्रत टूट जाता है या भक्त उस शुक्रवार की यात्रा पर होता है तो उस शुक्रवार को नहीं गिना जाना चाहिए बल्कि अगले शुक्रवार को व्रत करना चाहिए.
शुक्रवार व्रत में क्या खाएं क्या नहीं – शुक्रवार का व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष खट्टी चीजों को न ही स्पर्श करें और न ही कोई खट्टी चीज, अचार और खट्टा फल खाएं. व्रत करने वाले के परिवार के लोग भी उस दिन कोई खट्टी चीज नहीं खाएं. इस दिन व्रती गुड़ और चने का प्रसाद स्वयं भी खाना चाहिए. इसके अलावा शुक्रवार के व्रत में सेब, चेरी, अनार खा सकते हैं. संतोषी माता के व्रत में मीठे भोजन की सेवन करें, उस दिन नमक का सेवन न करें.
शुक्रवार व्रत के लाभ – संतोषी माता का व्रत 16 शुक्रवार (Friday) तक करने से स्त्री-पुरुषों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, परीक्षा में सफलता मिलती है, व्यवसाय में लाभ होता है और घर में सुख-समृद्धि भी आती है. अविवाहित कन्याएं अगर संतोषी माता का व्रत करें तो मां की कृपा से उन्हें सुयोग्य वर मिलता है.
शुक्रवार व्रत की उद्यापन विधि- निर्धारित संख्या में शुक्रवार का व्रत करने के बाद ‘व्रत उद्यापन’ करना जरूरी है. व्रत पूरा होने के अंतिम शुक्रवार को व्रत का विसर्जन करें. विसर्जन के दिन उपरोक्त विधि से संतोषी माता की पूजा कर 8 कन्याओं को खीर-पुरी का भोजन कराएँ तथा दक्षिणा व केले का प्रसाद देकर उन्हें विदा करें. यदि किसी कारणवश कन्याएं न आ सके तो 11 विवाहित महिलाओं को अपने स्थान पर आमंत्रित कर उन्हें प्रसाद, भोजन, उपहार और लक्ष्मी व्रत की किताबें भेंट करें. अंत में स्वयं भोजन ग्रहण करें.

वृष राशि के लिए मंत्र, Vrish Rashi Ke Liye Mantra

1. देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌, रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि – धन लाभ व सफलता के लिए जप करें.
2. ॐ शं शनैश्चराय नम: – बाधा निवारण जप करें.
3. ॐ ऐं क्लीं श्रीं – लक्ष्मी प्राप्ति के लिए जप करें.
4. ॐ शुं शुक्राय नम: – सुख-शांति के लिए जप करें.
वृष राशि के लोग कैसे करें मंत्र जाप – वृष राशि के जातक प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ़ कपड़े धारण कर पूजास्थल पर बैठ जाए. मंत्र जाप करने के लिए घर के मंदिर में भगवान की पूजा करें. धुप-दीप आदि लगाकर पहले गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा उनका स्मरण करें इसके पश्चात् उपरोक्त मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें. इस मंत्र का जप नियमित रूप से करें. एक से दो महीने में ही आपके जीवन में चमत्कारिक बदलाव होने लग जायेंगे.

वृषभ राशि के लिए कौन सा पत्थर पहनना चाहिए?

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वृष राशि का स्वामी शुक्र है. इसलिए इस राशि में जन्म लेने वाले जातकों को शुक्र की शुभता प्राप्‍त करने के लिए हीरा रत्न/पत्थर धारण करना चाहिए. हीरा शुक्र ग्रह का रत्न या पत्थर है जो शुक्र को बलवान बनाता है. हीरा बहुत महंगा पत्थर है जो धन-वैभव का प्रतीक भी माना जाता है. हीरे के प्रभाव से वृषभ राशि के जातक बुरी संगत से दूर रहेंगें तथा जीवन में शुभ फल को प्राप्त करेंगे. हीरे की जगह आप ओपल भी पहन सकते हैं. वृष राशि के जातकों को शुक्रवार की सुबह स्नान करने के बाद दायें हाथ की मध्यामा उंगली में हीरा धारण करने की सलाह दी जाती है. इस रत्न को शुक्रवार के दिन धारण करने से जातक को अत्यंत लाभ मिल सकता है.
हीरा पहनने के लाभ – शुक्र ग्रह का रत्न/पत्थर हीरा अखंडता, विश्वास और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है. यह रत्न वृषभ राशि के तहत पैदा हुए लोगों को एक बेजोड़ कल्पना शक्ति और एक भव्य जीवन की उम्मीद दे सकती है. हीरा वृष राशि को अधिक भरोसेमंद, धैर्यवान और दृढ़निश्चयी बनाता है. हीरा व्यक्ति को ईर्ष्या और लालच से बचाने के साथ ही उनकी आकर्षण शक्ति को भी बढ़ाता है. हीरा रत्न या पत्थर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करता है. इसे पहनने से रूप, सौंदर्य, यश व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. हीरे के प्रभाव से वृषभ राशि के जातक बुरी संगत से दूर रहेंगें. कहते हैं कि यह रत्न मधुमेह रोग में लाभदायक है.
हीरा पहनने के नुकसान- हीरा मालामाल भी कर सकता है और कंगाल भी. लाल किताब के अनुसार तीसरे, पांचवें और आठवें स्थान पर शुक्र हो तो हीरा नहीं पहनना चाहिए. इसके अलावा टूटा-फूटा हीरा भी नुकसानदायक होता है. कुंडली में शुक्र, मंगल या गुरु की राशि में बैठा हो या इनमें से किसी एक से दृष्ट हो या इनकी राशियों से स्थान परिवर्तन हो तो हीरा मारकेश की भांति बर्ताव करता है और वह व्यक्ति को आत्महत्या या पाप की ओर अग्रसर कर सकता है.
वृषभ राशि के जातक कौन सा रत्न/पत्थर धारण न करें- वृषभ राशि के व्यक्ति को माणिक्य और मूंगा रत्‍न/पत्थर न पहनने की सलाह दी जाती है.

वृष राशि के उपाय, Vrish Rashi Ke Upaay

आइए जानते हैं वृष राशि के जातकों को मनोकामना पूर्ति के लिए कौन से ज्योतिषीय उपाय करने चाहिए.
1. दुखों से छुटकारा पाने के लिए शुक्रवार को मां संतोषी या लक्ष्मी जी का व्रत रखें. यदि व्रत रखना संभव न हो सके तो लक्ष्मी जी की पूजा अवश्य करें.
2. दुखों से छुटकारा पाने के लिए शुक्रवार के दिन ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः शुक्राय नमः’- मंत्र का 16000 बार जाप करना चाहिए.
3. यदि धनमार्ग अवरुद्ध हो रहे हों तो केसर तथा पीले चंदन का तिलक माथे पर लगाने से आमदनी के स्रोत खुल जाते हैं. साथ ही मंदिर में जाकर राम दरबार के समक्ष दण्डवत प्रणाम करना चाहिए.
4. यदि आप कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं तो आपको लक्ष्मी पूजन में कमल गट्टे की माला को माता लक्ष्मी को पहनाना चाहिए. पूजन के बाद उस माला को लाल कपड़े में बांधकर साथ में कुछ मुद्रा रखर उसे धन स्थान में रख दें. इससे आपका जीवन कर्जमुक्त हो जाएगा.
5. यदि पैतृक धन एवं कुटुंब से जुड़ी परेशानियां चल रही हैं तो सफेद आक की जड़ लाकर बुधवार के दिन दाहिनी भुजा पर हरे रंग के धागे से बांधें.
6. यदि पर्याप्त धनार्जन के बावजूद धन संचय नहीं हो रहा हो तो अपनी जेब या बटुएं में विधारा की जड़ को बुधवार के दिन रखना चाहिए.

7. यदि संतान पक्ष से चिंताएं हो तो संतान सुख के लिए बुधवार के दिन मौन व्रत करना चाहिए.
8. यदि आपको मनोकामना की पूर्ति करनी हो तो संबंधित कामना को भोजपत्र पर हल्दी से लिखकर पवित्र जल में विसर्जित कर दें.
9. प्रतिदिन भोजन में से कुछ अंश गाय आदि जानवरों को दें.
10. मनोकामना पूर्ति के लिए शिव उपासना भी शुभ फलदायि होता है.
11. वृष राशि के जातक कोई भी महत्वपूर्ण कार्य शुक्रवार को करें तो श्रेष्ठ फल प्राप्त होगा.
12. प्रत्येक शुक्रवार के दिन छोटी कन्याओं को सफेद रंग की मिठाई, चावल की खीर, या फिर बताशे प्रसाद के रूप में बांटें. इसके बाद उनका आशीर्वाद लें. ऐसा करने से आपका पढ़ाई में मन लगेगा और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करेंगे.
13. अपने दुखों के निवारण के लिए वृष राशि के जातक को 9 वर्ष से कम आयु की कन्याओं के चरण छुने चाहिए.

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