Diwali Bahi Khata Puja

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दिवाली का त्यौहार साल का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है. इस दिन धन की देवी लक्ष्‍मी और गणेश जी की पूजा के साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा का भी विधान है। माना जाता है कि दिवाली के दिन व्यापारियों का नया साल शुरू होता है और इसी वजह से वह इस दिन अपने बही खातों की पूजा करते हैं। बही खातों के अलावा व्यापारी तराजू व बांट की पूजा भी करते हैं। आज के दिन व्यापारी अपने बही खाते बदलते हैं। बही खाता पूजन को चोपड़ी पूजन के नाम से भी जाना जाता है. इस पूजन को शारदा पूजन भी कहा जाता है. मान्यता है कि बही खातों की पूजा करने से माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और उस घर में कभी दरिद्रता नहीं आती है। यदि आप भी व्‍यापार करते हैं तो जानें दिवाली के दिन बही खाते की पूजन विधि के साथ ही देहली, दवात, तिजोरी व दीपावली (दीपमालिका) पूजन विधि-

बही-खाता, दवात, लेखनी, तुला, तिजोरी, देहली व दीपावली (दीपमालिका) पूजन विधि
बही खाता पूजन की विधि/ बही खाता पूजा विधि- Bahi Khata Puja Vidhi/ Bahi Khata Poojan
दिवाली का दिन बही खाता बदलने के लिए खास होता है. बही खातों के पूजन से पहले शुभ मुहूर्त के तहत केसर युक्त चंदन या फिर लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है.
बही खातों की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए। नवीन खाता पुस्तकों में लाल चंदन या कुमकुम से स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए। इसके बाद स्वास्तिक के ऊपर श्री गणेशाय नमः लिखना चाहिए। इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठे, कमलगट्ठा, अक्षत, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए।
या कुन्देन्दुतुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्यासना॥
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवेः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
इसके बाद निम्न मंत्र द्वारा सरस्वती का गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य द्वारा पूजन करें :- ॐ वीणापुस्तक धारिण्यै श्री सरस्वत्यै नमः

लेखनी-दवात पूजन/ कलम-दवात पूजा विधि – Kalam Davat Puja vidhi
कलम- लेखनी (कलम) पर नाड़ा बाँधकर सामने की ओर रखें। निम्न मंत्र बोलकर पूजन करें-
लेखनी निर्मिता पूर्वं ब्रह्मणा परमेष्ठिना ।
लोकानां च हितार्थाय तस्मात्तां पूजयाम्यहम्‌ ॥
ॐ लेखनीस्थायै देव्यै नमः
गंध, पुष्प, पूजन कर इस प्रकार प्रार्थना करें-
शास्त्राणां व्यवहाराणां विद्यानामाप्नुयाद्यतः ।अतस्त्वां पूजयिष्यामि मम हस्ते स्थिरा भव ॥

दवात- काली स्याहीयुक्त दवात को भगवती महालक्ष्मी के सामने पुष्प तथा अक्षत पर रखें, सिन्दूर से स्वस्तिक बना दें तथा नाड़ा लपेट दें। निम्न मंत्र बोलकर ॐ श्रीमहाकाल्यै नमः गन्ध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप न नैवेद्य से दवात में भगवती महाकाली का पूजन करें। इस प्रकार प्रार्थनापूर्वक उन्हें प्रणाम करें-
कालिके! त्वं जगन्मातः मसिरूपेण वर्तसे।
उत्पन्नाा त्वं च लोकानां व्यवहारप्रसिद्धये ॥
या
कालिका रोगहरा सुवन्द्या भक्तैः समस्तैर्व्यवहराद क्षैः।
जनैर्जनानां भयहारिणी च सा लोकमाता मम सौख्यदास्तु ॥ (पुष्प अर्पित कर प्रणाम करें।)

तराजू (तुला) पूजन विधि- Taraju Puja Vidhi/ Tula Puja Vidhi
व्यापारिक प्रतिष्ठान में उपयोग आने वाले तराजू (तुला) पर स्वस्तिक बनाकर उस पर नाड़ा लपेटें व नाड़े से लपेटे तुलाधिष्ठातृदेवता का ध्यान निम्न प्रकार से करें :-
नमस्ते सर्वदेवानां शक्तित्वे सत्यमाश्रिता । साक्षीभूता जगद्धात्री निर्मिता विश्वयोनिना ॥
ध्यान के पश्चात निम्न मंत्र द्वारा ॐ तुलाधिष्ठातृदेवतायै नमः तुला का गंध, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन कर प्रणाम करें।

तिजोरी (कुबेर) पूजन विधि- Tijori Puja Vidhi
तिजोरी पर स्वस्तिक बनाएँ एवं निधिपति कुबेर का निम्न वाक्य बोलकर आह्वान करें :-
आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु । कोशं वर्द्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्र्वर ॥
आह्वान के पश्चात निम्न मंत्र द्वारा ॐ कुबेराय नमः कुबेर का गन्ध, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से
पूजन कर प्रार्थना करें-  धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च । भगवन्‌ त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः ॥
इसके पश्चात पूर्व में महालक्ष्मी के साथ पूजित थैली (हल्दी, धनिया, कमलगट्टा, द्रव्य, दूर्वादि से युक्त) तिजोरी में रखकर कुबेर एवं महालक्ष्मी को प्रणाम करें।

देहलीज पूजन विधि- Dehlij Puja Vidhi
अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान व घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर ॐ श्रीगणेशाय नमः लिखें साथ ही स्वस्तिक चिन्ह, शुभ-लाभ आदि मांगलिक एवं कल्याणकारी शब्द सिन्दूर अथवा केसर से लिखें। इसके पश्चात  ॐ देहलीविनायकाय नमः मंत्र बोलकर गन्ध, पुष्प, अक्षत से पूजन करें।

दीपमालिका (दीपक) पूजन विधि – Deepmalika Puja Vidhi, Deepak Pujan Vidhi
ऐक थाली में ग्यारह, इक्कीस या उससे अधिक या कम (यथाशक्ति) दीपक प्रज्वलित कर उन्हें महालक्ष्मी के सामने की ओर रखकर उस दीपमालिका की इस प्रकार प्रार्थना करें – त्वं ज्योतिस्त्वं रविश्चन्द्रो विद्युदग्निश्च तारकाः। सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः ॥

देवी लक्ष्मी की पूजन विधि – Devi Laxmi Puja Vidhi
जहां पर नवग्रह यंत्र हो वहां पर रुपये, सोने या चांदी का सिक्का रखें। मिट्टी की बनी हुई गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति रखें। अगर कोई धातु की मूर्ति हो तो उसे भगवान का साक्षात् रूप मानकर दूध, दही, और गंगाजल से स्नान कराकर चंदन का श्रंगार करके फूलों से सजाना चाहिए। मूर्ति के दाहिने ओर घी या तेल का पंचमुखी दीपक जलाना चाहिए।

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