Mahabalipuram Mandir Kaise Jaye Mahabalipuram Temple History Mahabalipuram Mandir Kis Rajya Me Hai Mahabalipuram Mandir Kisne Banwaya Hai Mahabalipuram To Chennai

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महाबलीपुरम, Mahabalipuram
कलाप्रेमी शासक
महाबलीपुरम या मामल्लपुरम पल्लव शासन काल में प्रमुख समुद्री बंदरगाह था। वैसे तो पल्लवों की राजधानी कांचीपुरम हुआ करती थी, लेकिन महाबलीपुरम को पल्लव अपनी दूसरी राजधानी की तरह महत्व देते थे। इस जगह पर पल्लवों ने पांचवीं सदी से आठवीं सदी के बीच शासन किया था। पल्लव राजवंश दक्षिण भारत का एक बड़ा साम्राज्य था। उत्तरी तमिलनाडु से लेकर दक्षिणी आंध्र प्रदेश तक इस साम्राज्य का विस्तार था। अत्यंत वैभवशाली होने के नाते पल्लव साम्राज्य के विदेश से भी व्यापारिक संबंध थे। यहां से प्राप्त चीन और यूरोपीय देशों के तीसरी और चौथी सदी के सिक्कों से प्रमाणित होता है कि महाबलीपुरम उस समय एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था। प्राप्त शिलालेखों के अनुसार, महाबलीपुरम के स्मारकों को पल्लव राजा महेंद्र वर्मन ने बनवाया, जिसे बाद में उनके पुत्र नरसिंह वर्मन ने 630-668 ई. के अपने शासनकाल के बीच और परिष्कृत किया। आगे चलकर उनके वंशजों द्वारा भी कई निर्माण कार्य करवाए गए। पल्लव साम्राच्य में कई कलाप्रेमी शासक हुए, जो ललित कला के संरक्षक थे। इनके साम्राज्य में ये कलाएं न सिर्फ फली-फूलीं, बल्कि इनको खूब संरक्षण भी मिला।

चीन से प्राचीन कनेक्शन
प्राचीन काल में भी इस शहर का चीन के साथ रिश्ता था। जी हां, यह रिश्ता रक्षा और व्यापार से जुड़ा था, जिसकी गवाही देते हैं यहां पर मिलने वाले चीनी सिक्के, शिलालेख और प्राचीन लिपियां। चीन ने पल्लव वंश के राजाओं के साथ कई संधियां की थीं। 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया था। वह पल्लव वंश के शासनकाल में कांचीपुरम पहुंचा था। उस वक्त चीन और तमिलनाडु दोनों के प्रतिनिधिमंडल एक-दूसरे के यहां आया-जाया करते थे।

मामल्लपुरम के स्मारक
हर तरफ फैली वास्तु संरचनाओं के कारण पर्यटकों के लिए मामल्लपुरम बेहद आकर्षक जगह है। इनमें से सबसे अच्छे स्मारकों के समूह को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है। यहां देखने को इतना कुछ है कि दिन ढल जाए और दर्शन खत्म न हो। इसे देखकर ऐसा लगता है, जैसे इसे किसी जादू से बनाया गया हो। विशाल शिलाओं को तराश कर उनमें जान डाली गई हो। ये स्मारक अतीत के स्वर्णिम दस्तावेज हैं, जिसके हर पन्ने पर एक कहानी लिखी है। कहानी जिसका संबंध है महाभारत से, तमिल साहित्य से।इन स्मारकों को मुख्य रूप से चार श्रेणियों में बांटा गया है- रथ, मंडप, गुफा मंदिर, संरचनात्मक मंदिर और विशाल चट्टानें। ये सभी वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

कैसे जाएं?
महाबलीपुरम से 60 किमी. दूर स्थित चेन्नई निकटतम एयरपोर्ट है। भारत के सभी प्रमुख शहरों से चेन्नई के लिए उड़ाने हैं। यहां से आप बस या टैक्सी द्वारा मामल्लपुरम पहुंच सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन भी चेन्नई है, जहां से बस या टैक्सी द्वारा यहां पहुंच सकते हैं। चेंगलपट्टू यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो मामल्लपुरम से 29 किमी. की दूरी पर है। यह शहर तमिलनाडु के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें अनेक शहरों से यहां के लिए चलती हैं।

मंदिरों के अलावा ये स्थान भी हैं यहां की शान
यह एक ऐतिहासिक शहर है जिसे ममल्लापुरम भी कहा जाता है। यह बंगाल की खाड़ी के किनारे बसा है और अपने भव्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां जानें महाबलीपुरम में घूमने के कुछ बेहतरीन स्थानों के बारे में।
शोर मंदिर
इस मंदिर का निर्माण नरसिंहवर्मन द्वितीय के काल में ग्रेनाइट से करवाया गया था। इसे बंगाल की खाड़ी के शोर के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल सूची के अंतर्गत शामिल किया गया है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।

कृष्‍णा बटर बॉल
महाबलीपुरम में स्‍थ‍ित इस चट्टान को ‘कृष्‍णा बटर बॉल’ कहते हैं। इस चट्टान की ऊंचाई 20 फीट है और यह 5 मीटर चौड़ी है। चट्टान का बेस यानी आधार 4 फीट से भी कम है, जबकि यह एकदम पहाड़ी की ढलान पर स्थित है। एक मान्यता यह भी है कि यह कृष्‍ण के मक्खन टुकड़ा है, जो खाते वक्त स्वर्ग से गिर गया था।
पांच रथ
रथ के रूप में चट्टान में खुदे हुए मिनी मंदिर हैं। इन्हें प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत के नेतृत्व नायकों के नाम पर ‘पंच पांडव रथ’ भी कहा जाता है। इन पांच रथ में से चार द्रौपदी के पति या एक द्रौपदी को समर्पित कर रहे हैं।

अर्जुन्स पेनेन्स
यह स्थान अपनी भव्य नक्काशी के लिए लोकप्रिय है। यह 27 मीटर लंबा और 9 मीटर चौड़ा है। यहां भगवान शिव से पशुपति अस्त्र हासिल करने के लिए अर्जुन की तपस्या की तस्वीरें पत्थरों पर उकेरी गई हैं। यहां चार भुजाओं वाली भगवान शिव की भी मूर्ति है, जिसमें शिवजी का निचला हाथ वरद-मुद्रा में दिखाया गया है, जिससे वह अर्जुन को वरदान दे रहे हैं।
वराह गुफा मंदिर
यह प्राकृतिक पल्लव कला का एक अच्छा उदाहरण है। इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में पल्लव राजवंश के शासनकाल में हुआ था। यह एक गुफा मंदिर है जो एक चट्टानों को काटकर बनाया गया है और भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है।

टाइगर गुफा
यह महाबलीपुरम शहर के बाहरी इलाके में स्थित सालुवनकुप्पम नामक एक छोटे से गांव में स्थित है। इस गुफा के प्रवेश द्वार के आसपास चट्टानों पर बाघों के सिर की कई मूर्तियां खुदी हुई हैं।
मद्रास क्रोकोडाइल बैंक
महाबलीपुरम के बाहरी इलाके में चेन्नै की प्रसिद्ध ईस्ट कोस्ट रोड पर एक चिड़ियाघर मौजूद है, जहां मगरमच्छों को रखा जाता है। इसका नाम मद्रास क्रोकोडाइल बैंक है, जिसका संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।

स्कल्पचर म्यूजियम
राजा स्ट्रीट के इस्ट में स्थित इस संग्रहालय में स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाई गई 3000 से ज्यादा मूर्तियों को रखा गया है। इस में रखी गई मूर्तियां पीतल, रोड़ी, लकड़ी और सीमेंट की बनी हुई हैं।
लाइटहाउस
पल्लव राजवंश के शासन काल के दौरान समुद्री यात्रियों को रास्ता दिखाने के लिए एक टॉवर का निर्माण कराया गया था, जिसमें आग की मदद से रास्ता दिखाया जाता था। इसी टॉवर के ठीक बगल में अंग्रेजों ने एक लाइटहाउस का निर्माण करवाया, जो ज्यादा ऊंचा है। इस लाइटहाउस से पूरा महाबलीपुरम दिखाई देता है।

महाबलीपुरम से संबंधित सवाल जवाब
महाबलीपुरम कौन से राज्य में है? महाबलीपुरम की क्या विशेषता है?
महाबलीपुरम मंदिरों का एक शहर है और यह तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 55 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। भव्य मंदिरों, स्थापत्य और सागर-तटों के लिए यह शहर बहुत अधिक प्रसिद्ध है। तट मंदिर और रथ गुफा मंदिर इनमें से सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं।

महाबलीपुरम स्थित एकाश्मीय शैल मंदिरों का प्रसिद्ध नाम क्या है?
महाबलीपुरम स्थित एकाश्मीय शैल मंदिरों का प्रसिद्ध नाम रथ मंदिर है। तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के महाबलिपुरम में एकाश्म चट्टान पर विद्यमान मंदिरों को रथ के रूप में भी जाना जाता है।

महाबलीपुरम चेन्नई शहर से कितनी दूरी पर स्थित है?
महाबलीपुरम चेन्नई से क़रीब 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह जगह यूनेस्को की सूची में शामिल ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है. एक पत्थर को काटकर बनाया गया रथ, पल्लव वंश के वक़्त की गुफ़ाएं और मंदिर यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं. महाबलीपुरम तमिलनाडु का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल है.

महाबलीपुरम में कितने रथ मंदिर है?
रथ गुफा मंदिर- महाबलीपुरम में आठ रथ हैं जिनमें से पांच को महाभारत के पात्र पांच पाण्‍डवों और एक द्रौपदी के नाम पर नाम दिया गया है। इन पांच रथों को धर्मराज रथ, भीम रथ, अर्जुन रथ, द्रौपदी रथ, नकुल और सहदेव रथ के नाम से जाना जाता है।

सप्त पैगोडा कब बना?
तमिलनाडु के महाबलीपुरम में सप्त पगोडा के नाम से फेमस ये स्ट्रक्चर 7 वीं सदी में पल्लव डायनेस्टी में बने थे।

सप्तरथ मंदिर कहाँ स्थित है?
पल्लवकालीन सप्तरथ मन्दिर – महाबलिपुरम पल्लवकाल (600 ईस्वी से 900 ईस्वी) में मुख्यतः शैलकृत रचनाओं का निर्माण हुआ तथा ये सभी एक ही स्थान महाबलिपुरम में बनायी गयीं। यह चेन्नई से छप्पन किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। इसकी स्थापना महमल्ला नामक एक शासक ने समुद्र पत्तन नगर के रूप में की थी।

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