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क्या है गुप्त नवरात्रि, Kya Hai Magha Gupt Navratri
हिन्दू कलेंडर के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक माघ गुप्त नवरात्र मनाए जाते हैं. इस नवरात्र में व्यक्ति ध्यान-साधना करके दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करते है. साल में चार नवरात्र को खास माना गया है. लेकिन साल की दो नवरात्रि को ही अधिकांश लोग जानते है. जो चैत्र और शारदीय नवरात्र कहलाते है. वहीं, इन दो नवरात्र के अलावा माघ और आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्र आते हैं.  माघ मास की नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं. इस नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है. यह नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े हुए लोगों के लिए खास महत्व रखती है. इस समय में देवी भगवती के भक्त बहुत ही कठिन नियमों का पालन करके देवी की साधना करते हैं. माघ गुप्त नवारात्रि में लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं. उपवास रखकर, श्लोकों और मंत्रों का जाप करकर भक्त देवी के प्रति अपनी भक्ति को दर्शातें हैं. इस दौरान मां की आराधना गुप्त रुप से की जाती है, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है. यह नवरात्र भी चैत्र और शारदीय नवरात्रियों की तरह 9 दिन तक मनाये जाते है.

नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में अंतर (Difference Between Navratri And Magha Gupt Navratri)
सामान्य नवरात्रि में आम तौर पर सात्विक पूजा की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में सात्विक एवं तांत्रिक पूजा दोनों की जाती हैं. परंतु अधिकरत ध्यान तांत्रिक पूजा की ओर दिया जाता है. शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा-पाठ तथा साधना का अधिक प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता है, बल्कि इसे गोपनीय रखा जाता है. यानी इस दौरान मां दुर्गा के भक्त खुलकर अपनी भावना का इजहार नहीं करते. वे आपने आसपास के लोगों को इसकी भनक नहीं लगने देते कि वे कोई साधना कर रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान जितनी गोपनीयता बरती जाए उतनी ही अच्छी सफलता मिलेगी.
मां दुर्गा पूजा की सामग्री Magha Gupt Navratri Puja Samgri
आम के पत्ते, चावल, दुर्गा सप्तशती की किताब, लाल कलावा, गंगा जल, चंदन, नारियल, कपूर
जौ के बीच, मिट्टी का बर्तन, गुलाल, सुपारी, पान के पत्ते, लौंग, इलायची

माघ गुप्त नवरात्रि पूजा विधि (Magha Gupt Navratri Puja Vidhi/ Magha Gupt Navratri Pujan Vidhi In Hindi)
1. माघ गुप्त नवरात्रि के दिन साधक को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए.
2. इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उस पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए.
3.कपड़ा बिछाने के बाद कलश की स्थापना करनी चाहिए. कलश की स्थापना के लिए एक मिट्टी का पात्र लेना चाहिए और उसमें जल भरकर गंगा जल डालकर उसे ढक्कन से बंद करके एक नारियल पर लाल रंग की चुन्नी से लपेटकर कलश की ऊपर स्थापित करना चाहिए.
4. इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करना चाहिए और मां को रोली का तिलक करना चाहिए. इसके साथ कलश का भी तिलक करना चाहिए.
5. तिलक के बाद माता को श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए और उन्हें लाल रंग के पुष्पों की माला और पुष्प अर्पित करने चाहिए.
6. इसके बाद माता के आगे धूप व दीप जलाने चाहिए और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए.
7. इसके बाद गोबर के उपले से अज्ञारी करें. सबसे पहले इस पर घी डालें, कपूर डालें, दो लौंग का जोड़ा डालें और अंत में बताशे डालें.
8. अज्ञारी के बाद मां दूर्गा की कथा सुनें और उनकी कपूर से आरती उतारें.
9. इसके बाद उन्हें बताशे का भोग लगाएं और इन बताशों को प्रसाद के रूप में सभी के बीच में वितरीत कर दें.
10.इस प्रकार से माघ नवरात्रि में सुबह और शाम दोनों समय मां दुर्गा का पूजा अर्चना करनी चाहिए.
11. अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं.
12. आखिरी दिन दुर्गा पूजा के बाद घट विसर्जन करें. इसमें मां की आरती गाएं, उन्हें फूल और चावल चढ़ाएं और इसके बाद बेदी से कलश को उठाएं.

माघ गुप्त नवरात्री – किस दिन होती है किस देवी की पूजा
पहला दिन –12 फरवरी प्रतिपदा मां शैलपुत्री, घटस्थापना.
दूसरा दिन- 13 फरवरी मां ब्रह्मचारिणी देवी पूजा.
तीसरी दिन- मां चंद्रघंटा देवी पूजा.
चतुर्थी तिथि- मां कुष्मांडा देवी पूजा.
पंचमी तिथि –मां स्कंदमाता देवी पूजा.
षष्ठी तिथि- मां कात्यानी देवी पूजा.
सप्तमी तिथि- मां कालरात्रि देवी पूजा.
अष्टमी तिथि- मां महागौरी, दुर्गा अष्टमी.
नवमी मां- सिद्धिदात्री, व्रत पारण.

गुप्त नवरात्रि दसमहाविद्याएं , Magha Gupt Navratri Dus Mahavidya Ke Naam
इस नवरात्र को करने में साधक को पूर्ण संयम और शुद्धता के साथ मां भगवती की आराधना करनी चाहिए. गुप्त नवरात्रि की पूजा के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों के साथ-साथ दस महाविद्यियाओं की भी पूजा का विशेष महत्व है. ये दस महाविद्याएं है-
1. काली– पहली महाविद्या माँ काली की होती है जिससे किसी भी बीमारी या अकाल मृत्यु से बचा जा सकता है. इस सिद्धि से दुष्ट आत्माओं से भी बचाव किया जा सकता है.
2. तारा– दूसरी महाविद्या माँ श्मशान तारा की होती है जो हमे तीव्र बुद्धि और रचनात्मक शक्ति प्रदान करती हैं.
3. त्रिपुर सुंदरी– अगर कोई भी काम ऐसा है जो सपन्न नहीं हो पा रहा है तो वह त्रिपुर सुंदरी की आराधना कर सकता है.
4. भुवनेश्वरी– माँ भुवनेश्वरी सभी की इच्छाएं पूरी करती हैं.
5. छिन्नमस्ता– देवी की साधना कर सभी प्रकार की रोज़गार सम्बन्धी मसले दूर होते हैं.
6. त्रिपुर भैरवी– भैरवी माँ की आराधना कर के विवाह में आई बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
7. धूमावती– बुरी नजर, तंत्र-मंत्र, जादू-टोने, भूत-प्रेत से मुक्ति पाने के लिए धूमावती माँ को प्रसन्न किया जाता है.
8. बगलामुखी– माँ बगलामुखी को खुश कर के किसी भी समस्या का समाधान निकला जा सकता है.
9. मातंगी– देवी मातंगी घर-ग्रेह्स्थी से जुडी हर दिक्कत का उपाय बताती है.
10. कमला देवी– ये धन और सुंदरता की देवी हैं. इनकी साधना से सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है.

माघ गुप्त नवरात्रि पूजा मंत्र हैं, Magha Gupt Navratri Puja Mantra
1.यह मंत्र आप दिन में कभी भी और कहीं भी और कितनी बार भी बोल सकते हैं. बस जब भी इन्हें जपे तो मन से माँ दुर्गा को याद करें.
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि.
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥
2.यह मंत्र आप दिन में दो बार यानी सुबह को 7 बार और शाम को 7 बार माँ दुर्गा का ध्यान करते हुए बोले. अर्थात दिन में 14 बार इस मंत्र का जाप करें. मंत्र समाप्त होने के बाद माँ दुर्गा से अपनी समस्यां का निधान करने को कहे.
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे.
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
3.  इस मंत्र को कम से कम 51 बार बोले. यह मंत्र आप घर में माँ दुर्गा की पूजा करते समय या हवन इत्यादि करते समय बोल सकते हैं. इस मंत्र से आपके घर की सभी बुरी और नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाएगी.
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी.
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥
4. माँ दुर्गा की आरती करने के बाद मन ही मन 21 बार इस मंत्र का जाप करे. अंत में माँ दुर्गा के सामने माथा टेक अपनी परेशानी अवश्य बताए.
सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके.
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
5. जब भी आप मुसीबत में फंस जाए या दुखी हो तो इस मंत्र को मन ही मन माँ दुर्गा का ध्यान करते हुए 11 बार बोले. माँ आपकी रक्षा करेगी.
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके.
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥

माघ गुप्त नवरात्रि का महत्व ,Magha Gupt Navratri Mahatva/ Importance
गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रियों से ज्यादा होता है. क्योंकि गुप्त नवरात्रियों में मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों की प्रार्थना स्वीकार कर लेती हैं और उनकी इच्छाओं को पूरा करती हैं. इस नवरात्रि को सिर्फ शक्ति प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि अपनी सभी समस्याओं की समाप्ति के लिए भी किया जा सकता है. माघ गुप्त नवरात्रि में भी चैत्र मास और शारदीय नवरात्रि की तरह ही पूजा की जाती है और कन्या पूजन के साथ इसकी समाप्ति होती है.

गुप्त नवरात्रि कथा, माघ नवरात्रि कथा, Magha Gupt Navratri Katha In Hindi
गुप्त नवरात्रि से जुड़ी प्रामाणिक एवं प्राचीन कथा यह है. इस कथा के अनुसार एक समय ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे. अचानक भीड़ से एक स्त्री निकलकर आई और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती. धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती. यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती. मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं, उनकी भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूं.

ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए. ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है, लेकिन इसके अतिरिक्त 2 नवरात्र और भी होते हैं जिन्हें ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है. उन्होंने कहा कि प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है.इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है. यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं.

ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है, तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती.
उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्रि की पूजा की. मां उस पर प्रसन्न हुईं और उस स्त्री के जीवन में परिवर्तन आने लगा. उसके घर में सुख-शांति आ गई. पति, जो गलत रास्ते पर था, सही मार्ग पर आ गया. गुप्त नवरात्रि की माता की आराधना करने से उनका जीवन पुन: खिल उठा.


मां दुर्गा की आरती, Maa Durga Ki Aarti

जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति,
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री...टेक...

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको...जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै...जय...

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी,
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी...जय...

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति...जय...

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती,
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती...जय...

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू,
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू...जय...

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी,
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी...जय...

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती,
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति...जय...

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै,
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै...जय..

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