होलिका दहन 2025 कब है? Holika Dahan Kab hai?

होलिका दहन हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होता है, जो इस साल 2025 में 13 मार्च गुरुवार के दिन को पड़ रहा है। होलिका दहन का आयोजन रंगों के त्योहार होली से एक दिन पहले मनाने की परंपरा है। वहीं, 7 मार्च को होलाष्टक लग रहा है। होलाष्टक के बाद सभी तरह के मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे। इस साल भी होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहेगा। होलिका दहन प्राचीन परंपराओं और रीति-रिवाजों से भरा एक अद्भुत त्योहार है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लोग इस दिन आग जलाकर बुराई और नकारात्मकता को नष्ट करने का प्रतीकात्मक रूप से आह्वान करते हैं। यहां जानिए होलिका दहन का सही समय और शुभ मुहूर्त के बारे में-

होलिका दहन 2025 में भद्रा का साया

दरअसल, होलिका दहन का मुहूर्त तीन चीजों पर निर्भर करता है वो है होलिका के दिन पूर्णिमा हो, प्रदोष काल हो पर भद्रा न हो। शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल के दौरान किए गए शुभ कार्यों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस कारण होलिका दहन का समय निर्धारित करने से पहले भद्रा समाप्त होने का इंतजार किया जाता है। भद्रा रहित काल में होलिका दहन करना काफी शुभ होता है। इस वर्ष भी होलिका दहन के दिन भद्रा का प्रभाव रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार भद्रा काल 13 मार्च को रात 10:30 बजे समाप्त होगा। इसीलिए 13 मार्च को रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक का समय होलिका दहन के लिए शुभ रहने वाला है। होलिका दहन के लिए यह शुभ अवधि 01 घण्टा 04 मिनट के लिए रहने वाली है।

होलिका दहन 2025 शुभ मुहूर्त, Holika Dahan 2025 Muhurat

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 13 मार्च, गुरुवार 10:35 बजे से आरंभ होगा
पूर्णिमा तिथि का समाप्त- 14 मार्च, शुक्रवार सुबह 12:23 बजे पर
होलिका दहन का समय – रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक
अवधि- 01 घण्टा 04 मिनट
भद्रा- 13 मार्च, गुरुवार 10:35 बजे से शुरू होकर 13 मार्च रात 10:36 तक

होलिका दहन की पूजन सामग्री, Holika Dahan Pujan Samagri

हवन सामग्री, देसी घी, सरसों तेल, मिट्टी का दीपक, गाय के गोबर के उपले, गुड़, रोली, अखंडित चावल, बताशा, हल्दी, मिठाई, फल, फूल, गेहूं की बालियां आदि।

होलिका दहन पूजन विधि, Holika Dahan 2025 Puja Vidhi

होलिका दहन के दिन सुबह जल्दी उठें। घर और मंदिर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करके स्नान करें। अब पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी पर भगवान गणेश, विष्णु जी, कृष्ण जी, राधा जी और श्री यंत्र स्थापित करें। फिर पूजन की सभी सामग्री इकट्ठा कर लें। अब दीपक जलाएं और सभी देवी देवताओं की विधि अनुसार पूजा करें। घर में सत्यनारायण कथा का पाठ करें और आरती से पूजा को पूर्ण करें।
इसके बाद शाम के समय होलिका दहन के लिए तैयार की गई लकड़ियों या गोबर के उपलों के चारों ओर कच्चे सूत लपेटें। फिर गंगाजल छिड़कें। भगवान नरसिंह और प्रहलाद का ध्यान करें। इसके बाद होलिका में फूल, माला, अक्षत, चंदन, साबुत हल्दी, गुलाल, पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां आदि चढ़ा दें। इसके साथ ही होली के लिए बनाई गई सामग्री का भोग लगा दें। फिर होलिका के चारों ओर परिवार के साथ मिलकर तीन या सात बार परिक्रमा कर लें। इसके बाद होलिका में जल का अर्घ्य दें और सुख-समृद्धि की कामना करें। फिर शुभ मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन करें। फिर होलिका दहन के अगले दिन होलिका दहन की राख माथे में लगाने के साथ पूरे शरीर में लगाएं। ऐसा करने से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष से छुटकारा मिलेगा।

होलिका दहन के समय सुरक्षा के उपाय

होलिका दहन की तैयारी कर रहे हैं, तो संभावित खतरों से बचने के लिए सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। यहां 5 सुरक्षा उपाय हैं जो आपको अलाव जलाते समय करने चाहिए:
1। एक सुरक्षित स्थान चुनें: सुनिश्चित करें कि अलाव एक खुली जगह में स्थापित किया गया है, पेड़ों, झाड़ियों और इमारतों जैसे ज्वलनशील पदार्थों से दूर। सुनिश्चित करें कि आस-पास कोई सूखी घास या पत्ते न हों।
2। पास में पानी या रेत की एक बाल्टी रखें: आपात स्थिति में, आग की लपटों को बुझाने के लिए पानी या रेत की एक बाल्टी तैयार रखना महत्वपूर्ण है।
3। सही सामग्री का उपयोग करें: केवल सूखी जलाऊ लकड़ी और जलाने के लिए उपयोग करें, और किसी भी रासायनिक उपचारित या पेंट की हुई लकड़ी का उपयोग करने से बचें। आग लगाने के लिए कभी भी पेट्रोल या अन्य त्वरक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
4। आग पर कड़ी निगरानी रखें: हर समय, अलाव पर नज़र रखें और सुनिश्चित करें कि यह बहुत बड़ा न हो जाए। किसी भी अपशिष्ट पदार्थ, विशेष रूप से प्लास्टिक या रबर को आग में फेंकने से बचें।
5। सुरक्षित तरीके से आग बुझाएं: जब अलाव जल जाए तो आग को बुझाने के लिए बाल्टी में पानी या बालू का इस्तेमाल करें। यह सुनिश्चित करते हुए शेष आग और अंगारे फैला दें।

होलिका दहन 2025 का महत्व और इतिहास

होलिका दहन, जिसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व राक्षस राजा हिरण्यकश्यप पर भगवान विष्णु की विजय के जश्न को दर्शाता है। होलिका दहन के अनुष्ठान में भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने की कोशिश करते हुए जलकर राख हो गई राक्षसी होलिका की मृत्यु के उपलक्ष्य में अलाव/ अग्नि जलाना शामिल है। इस दिन लोग अग्नि की पूजा करते हैं, स्तुति के भजन गाते हैं और उसके चारों ओर नृत्य करते हैं। ऐसा माना जाता है कि अग्नि में आत्मा को शुद्ध और नवीनीकृत करने और नकारात्मक ऊर्जाओं से छुटकारा पाने की शक्ति है। इससे नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियां समाप्त हो जाती हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। होलिका की अग्नि से निकलने वाली ऊर्जा वातावरण को शुद्ध करती है, जिससे कई बीमारियों से बचाव होता है। इसके अलावा यह त्यौहार हमें  प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सही के लिए खड़े होने के महत्व व सर्दियों के मौसम के अंत की याद दिलाता है।