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रवि शंकर की जीवनी,Biography of Ravi Shankar
रवि शंकर भारत के सबसे प्रसिध्द सितार वादक, संगीतकार और कंपोजर थे. रवि शंकर का पूरा नाम पंडित रवि शंकर है. जिन्हें पूरी दुनिया में भारतीय शास्त्रीय वाद्ययंत्र सितार को लोकप्रिय बनाने के लिए जाना जाता है. पश्चिम में ये और भी लोकप्रिय थे. ऐसा कहा जाता है कि रविशंकर के संगीत में आध्यात्मिक शांति छिपी थी, जो सुनाने वाले के दिल में उतरती थी. 90 साल की उम्र में भी उनमें संगीत का जुनून जरा भी कम नहीं हुआ था. एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि आप 91 साल की उम्र में भी जवान व्यक्ति जैसा जोश कहा से लाते है तो उन्होंने कहा, भले ही मेरा शरीर 91 साल का हो गया है पर मेरा मन अभी भी जवान है.
नाम – पंडित रविशंकर
जन्म – 7 अप्रैल, 1920
उम्र – 92 वर्ष
मृत्यु – 11 दिसंबर, 2012
राष्ट्रीयता – भारतीय
पिता का नाम – श्याम शंकर चौधरी
भाई – उदय शंकर
व्यवसाय – संगीतकार
अवॉर्ड – पद्म भूषण
रवि शंकर का प्रारंभिक जीवन, Ravi Shankar’s Early Life
पंडित रवि शंकर का जन्म 7 अप्रैल, 1920 को पश्चिम बंगाल के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता जी का नाम श्याम शंकर चौधरी था जो शुरुआत में अंग्रेजों के अधीन एक स्थानीय बैरिस्टर के रूप में सेवा करते थे, उसके बाद वे एक वकील के तौर पर लंदन में काम करने चले गए. युवा रविशंकर का लालन-पालन उनकी मां ने ही किया. रविशंकर 8 साल की उम्र तक अपने पिता से नहीं मिले थे और फिर वे अपने बड़े भाई के साथ रहने लगे. उनके बड़े भाई उदय शंकर उस समय के एक प्रसिद्ध नर्तक थे. रवि शंकर ने अपने भाई की मंडली के लिए सितार बजाना शुरू कर दिया उसके बाद 1930 में, अपने भाई के नृत्य मंडली के सदस्य के रूप में शामिल हो गये. उन्होंने 10 साल की उम्र से इस नृत्य मंडली के साथ अमरीका और यूरोप के कई दौरे किए और एक नर्तक के रूप में कई यादगार प्रदर्शन दिए. 1938 में, पंडित रवि शंकर ने अपने गुरु अलाउद्दीन खान की निगरानी में सितार बजाने का औपचारिक प्रशिक्षण लेना शुरू किया. अपना प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वह 1950 के दशक में ऑल इंडिया रेडियो के संगीत निर्देशक बने.
पंडित रविशंकर का सितार के साथ शुरुआती सफ़र Starting Career Of Pandit Ravi Shankar
अपने गुरु, उस्ताद इनायत खान के नेतृत्व में सितार बजाना सीखने के बाद, वह मुंबई चले गए, जहाँ उन्होंने इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन के लिए काम किया. वहाँ शंकर ने 1946 तक बैले के लिए संगीत की रचना की, उसके बाद 1950 में, रविशंकर को नई दिल्ली रेडियो स्टेशन ऑल-इंडिया रेडियो (AIR) के निर्देशक बनने का मौका मिला, और इस पद को उन्होंने 1956 तक संभाला. AIR में अपने समय के दौरान, शंकर ने ऑर्केस्ट्रा के लिए मिश्रित सितार, पश्चिमी शास्त्रीय वाद्ययंत्र और भारतीय वाद्ययंत्रो के साथ कई धुनों की रचना की. इसके अलावा, इस अवधि के दौरान, उन्होंने अमेरिकी मूल के वायलिन वादक येहुदी मेनुहिन के साथ भी संगीत का प्रदर्शन और लेखन शुरू किया. वर्ष 1953 में, उन्होंने सोवियत संघ में प्रदर्शन किया उसके बाद 1956 में, उन्हें प्रदर्शन के लिए पश्चिम में जाना पड़ा. पश्चिम के एडिनबर्ग फेस्टिवल और रॉयल फेस्टिवल हॉल जैसे प्रमुख कार्यक्रमों में उन्होंने बेहतरीन संगीत का प्रदर्शन दिया जिसके फलस्वरूप भारत के बाहर भी प्रशंसा होने लगी और वह दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गये.
पंडित रविशंकर की निजी ज़िदगी, Pandit Ravi Shankar Personal Life
1941 में, रविशंकर ने अन्नपूर्णा देवी नाम की महिला से शादी की. शादी के एक वर्ष बाद रविशंकर के पहले बच्चे शुभेंद्र शंकर का जन्म हुआ. आपको बता दें कि 1940 के दशक से, रविशंकर का कमला शास्त्री नामक एक नर्तकी के साथ प्रेम संबंध था और यह उनकी शादी के लिए घातक साबित हुआ जो सबकुछ ख़त्म कर गया. हालांकि 1981 में, उन्होंने कमला शास्त्री के साथ अपने रिश्ते को तोड़ दिया और न्यू-यॉर्क की एक कॉन्सर्ट निर्माता सू जोन्स के साथ एक नया संबंध शुरू कर दिया. 1986 में, यह रिश्ता भी समाप्त हो गया. उसके बाद रविशंकर ने सुकन्या राजन नाम की महिला से शादी की. इस दंपत्ति की एक बेटी है जिसका नाम अनुष्का शंकर है. वर्ष 1992 में, रविशंकर के बेटे शुभेंद्र शंकर की निमोनिया से मृत्यु हो गई. अपने बेटे की मृत्यु के बाद, रविशंकर कुछ ज्यादा आध्यात्मिक हो गए और इस हादसे के बाद से उन्होंने नॉन-वेज खाना छोड़ दिया.
पंडित रविशंकर का राजनितिक करियर, Pandit Ravi Shankar Political Career
1986 में, भारतीय संगीत में उनके महान योगदान के लिए, उन्हें तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा राज्यसभा के लिए नामित किया गया था. उन्होंने 12 मई 1986 से 11 मई 1992 तक भारतीय संसद के उच्च सदन के सदस्य के रूप में कार्य किया.
पंडित रवि शंकर की मृत्यु, Pandit Ravi Shankar Death
रविशंकर का 11 दिसंबर, 2012 को सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. संगीतकार कथित तौर पर ऊपरी श्वास और हृदय रोगों से पीड़ित थे और इसी वजह से उन दिनों में उनके हृदय वाल्व को बदलने के लिए सर्जरी की गई थी. उनका आखिरी प्रदर्शन कैलिफोर्निया के टैरेस थिएटर में उनकी बेटी के साथ संपन्न हुआ था. उनकी बेटी अनुष्का शंकर एक सितार वादक के साथ-साथ संगीतकार भी हैं. रविशंकर की विरासत को अब इसी प्रतिभाशाली संगीतकार ने आगे बढ़ाया है. पंडित रवि शंकर के पुरस्कारों की लिस्ट खबर के आखिर में दी गई है.
पंडित रवि शंकर से जुड़ी कुछ अनकहीं बातें, Some Untold Things Related to Pandit Ravi Shankar
1- भारत के यह संगीत राजदूत संयुक्त राष्ट्र अकादमी ऑफ आर्ट्स एंड लेटर्स के एक सम्मानित सदस्य थे और अमेरिकी संगीतकारों के अंतर्राष्ट्रीय मंच के भी सदस्य थे.
2- पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम 10 साल की उम्र में दिया था.
3- शुरुआत में रविशंकर नृत्य में रुचि रखते थे लेकिन 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने नृत्य छोड़कर सितार सीखना शुरू किया.
4- रविशंकर अपने जीवन की दिशा तय करने का श्रेय अपने बड़े भाई उदय शंकर चौधरी को देते है.
5- सारे जहां से अच्छा गाने को रवि शंकर द्वारा धुन दिया गया था.
6- अपने करियर के दौरान, शंकर को कुछ प्रसिद्ध भारतीय परंपरावादियों से शास्त्रीय शुद्धतावादी नहीं होने के लिए आलोचना का भी सामना करना पड़ा था.
पंडित रवि शंकर को मिले अवार्ड्स, Pandit Ravi Shankar Awards
प्रसिद्ध सितार वादक को चौदह डॉक्टरेट और डिसिकोट्टम सहित दुनिया भर से कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं जो कुछ निम्नप्रकार है-
1- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार : 1962 में, उन्हें भारत के संगीत, नृत्य और नाटक के राष्ट्रीय अकादमी द्वारा नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
2- पद्म भूषण : 1967 में, रविशंकर को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
3- पद्म विभूषण : भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण उन्हें वर्ष 1981 में दिया गया.
4- भारतरत्न : 1999 में, इस महान सितार वादक को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
5- ग्रैमी अवार्ड : रविशंकर ने अपने जीवनकाल में पाँच ग्रैमी पुरस्कार जीते.
1- 1967 में, येहुदी मीनुहिन के साथ उनके सहयोगी एल्बम ने बेस्ट चैंबर म्यूजिक परफॉर्मेंस के तहत ग्रैमी जीता.
2- 1973 में, कॉन्सर्ट फॉर बांग्लादेश के लिए एल्बम ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीता.
3- 2002 में, उनके एल्बम, फुल सर्कल: कार्नेगी हॉल 2000 के लिए सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत एल्बम पुरस्कार जीता.
4- 2013 में, द लिविंग रूम सेशंस के लिए एक बार फिर सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत एल्बम के तहत पुरस्कार जीता.
6- लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड : उन्हें 55 वें वार्षिक ग्रैमी अवार्ड्स में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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