स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनियां, स्वतंत्रता सेनानियों की बायोग्राफी, स्वतंत्रता सेनानियों के नाम, स्वतंत्रता संग्राम के कुछ महानायक, Freedom Fighters Ki Jivani, Freedom Fighters Biographies In Hindi, Freedom Fighters Names, Freedom Fighters Some Great Heroes

स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनियां, स्वतंत्रता सेनानियों की बायोग्राफी
आज जिस देश को हम भारत के नाम से जानते है उसका प्राचीन नाम आर्यवर्त है. जैसा कि हम सब जानते है कि हमारा भारत देश सैकड़ो वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा. देश को आजादी दिलाने के लिए लाखों लोगों ने अपनी जान की कुर्बानियां दी है. तब जाके देश सन 1947 में आज़ाद हुआ. यह आजादी लाखों लोगों के त्याग और बलिदान के कारण संभव हो पाई. इन महान लोगों ने अपना तन-मन-धन त्यागकर देश की आज़ादी के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया. अपने परिवार, घर-बार और दुःख-सुख को भूल, देश के कई महान सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि आने वाली पीढ़ी स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले सके. स्वतंत्रता आन्दोलन में समाज के हर तबके और देश के हर भाग के लोगों ने हिस्सा लिया.

हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए जीवन, परिवार, संबंध और भावनाओं से भी ज्यादा महत्वपूर्ण था हमारे देश की आजादी. इस पूरी लड़ाई में कई व्यक्तित्व उभरे, कई घटनाएं हुई, इस अद्भुत क्रांति में असंख्य लोग मारे गए, घायल हुए इत्यादि. अपने सम्मान और गरिमा के लिए हर कोई अपने देश के लिए मौत को गले लगाने का फैसला नहीं कर सकता है. आज हम इस लेख के माध्यम से आज हम कुछ ऐसे महानायकों के बारे में अध्ययन करेंगे जिन्होंने आजादी दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई थी.

1- मंगल पांडे
जन्म – 19 जुलाई, 1827
जन्म स्थान – बलिया, उत्तर प्रदेश
मृत्यु – 8 अप्रैल 1857
मृत्यु का स्थान – बैरकपुर, पश्चिम बंगाल

मंगल पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक गांव नगवा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम अभय रानी था. वे सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए थे. वे बैरकपुर की सैनिक छावनी में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की पैदल सेना में एक सिपाही थे. यहीं पर गाय और सूअर की चर्बी वाले राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ. जिससे सैनिकों में आक्रोश बढ़ गया और परिणाम स्वरुप 9 फरवरी 1857 को नया कारतूस को मंगल पाण्डेय ने इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया. 29 मार्च सन् 1857 को अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन भगत सिंह से उनकी राइफल छीनने लगे और तभी उन्होंने ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया साथ ही अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेन्ट बॉब को भी मार डाला. इस कारण उनको 8 अप्रैल, 1857 को फांसी पर लटका दिया गया. मंगल पांडे की मौत के कुछ समय पश्चात प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हो गया था जिसे 1857 का विद्रोह कहा जाता है.

2- चंद्रशेखर आजाद
जन्म – 23 जुलाई 1906
जन्म स्थान – भाबरा, अलीराजपुर, मध्य प्रदेश
मृत्यु – 27 फरवरी 1931
मृत्यु का स्थान – अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश

उनका पूरा नाम पंडित चंद्रशेखर तिवारी था और उन्हें आजाद कहकर भी बुलाया जाता था. उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी और माता का नाम जाग्रानी देवी था. वे 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की. वहीं पर उन्होंने कानून भंग आंदोलन में योगदान भी दिया था. वे एक महान भारतीय क्रन्तिकारी थे. उनकी उग्र देशभक्ति और साहस ने उनकी पीढ़ी के लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. हम आपको बता दें कि चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह के सलाहकार थे और उन्हें भारत के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है.
1920-21 के वर्षों में वे गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े, भारतीय क्रन्तिकारी, काकोरी ट्रेन डकैती (1926), वाइसराय की ट्रैन को उड़ाने का प्रयास (1926), लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए सॉन्डर्स पर गोलीबारी की (1928), भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्रसभा का गठन भी किया था. जब वे जेल गए थे वहां पर उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और जेल को उनका निवास बताया था. उनकी मृत्यु 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में हुई थी.

3- भगत सिंह
जन्म – 28 सितंबर 1907
जन्म स्थान – लायलपुर ज़िले के बंगा, पंजाब
मृत्यु – 23 मार्च 1931
मृत्यु का स्थान – लाहौर जेल में फांसी

शहीद भगत सिंह पंजाब के रहने वाले थे. उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था. क्या आप जानते हैं कि वे भारत के सबसे छोटे स्वतंत्रता सेनानी थे. वह सिर्फ 23 वर्ष के थे जब उन्होंने अपने देश के लिए फासी को गले लगाया था. भगत सिंह पर अराजकतावादी और मार्क्सवादी विचारधाराओं का काफी प्रभाव पड़ा था. लाला लाजपत राय की मौत ने उनको अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उत्तेजित किया था. उन्होंने इसका बदला ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉंडर्स की हत्या करके लिया. भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ केंद्रीय विधान सभा या असेंबली में बम फेंकते हुए क्रांतिकारी नारे लगाए थे. उनपर लाहौर षड़यंत्र का मुकदमा चला और 23 मार्च, 1931 की रात भगत सिंह को फाँसी पर लटका दिया गया.

4- सुभाष चंद्र बोस
जन्म – 23 जनवरी 1897
जन्म स्थान – कटक (ओड़िसा)
मृत्यु – 18 अगस्त 1945

सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें नेताजी के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय राष्ट्रवादी थे जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था. वे 1920 के अंत तक राष्ट्रीय युवा कांग्रेस के बड़े नेता माने गए और सन् 1938 और 1939 को वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने. उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक (1939- 1940) नामक पार्टी की स्थापना की. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ जापान की सहायता से भारतीय राष्ट्रीय सेना आजाद हिन्द फ़ौज़ का निर्माण किया. 05 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने सुप्रीम कमांडर बन कर सेना को संबोधित करते हुए दिल्ली चलो का नारा लागने वाले सुभाष चन्द्र बोस ही थे. 18 अगस्त 1945 को टोक्यो (जापान) जाते समय ताइवान के पास नेताजी का एक हवाई दुर्घटना में निधन हुआ बताया जाता है, लेकिन उनका शव नहीं मिल पाया था इसलिए आज भी उनकी मृत्यु एक रहस्य है.

5- बाल गंगाधर तिलक
जन्म – 23 जुलाई, 1856
जन्म स्थान – रत्नागिरी, महाराष्ट्र
मृत्यु – 1 अगस्त, 1920
मृत्यु का स्थान – मुंबई

उनका पूरा नाम लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक था. उनके पिता का नाम श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक और माता का नाम पारवतिबाई था. वे भारत के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतन्त्रता सेनानी थे. क्या आप जानते हैं कि भारत में पूर्ण स्वराज की माँग उठाने वाले यह पहले नेता थे. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके नारे स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूँगा ने लाखों भारतियों को प्रेरित किया. ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें अशांति का जनक Father of the Unrest कहा. उन्हें लोकमान्य शीर्षक दिया गया, जिसका साहित्यिक अर्थ है लोगों द्वारा सम्मानित.
केसरी में प्रकाशित उनके आलेखों से पता चलता है कि वह कई बार जेल गए थे. लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया था. इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंगरेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया. 1 अगस्त,1920 को मुम्बई में उनका निधन हो गया था.

6- महात्मा गांधी
जन्म – 2 अक्टूबर, 1869
जन्म स्थान – पोरबंदर, काठियावाड़ एजेंसी (अब गुजरात)
मृत्यु – 30 जनवरी 1948
मृत्यु का स्थान – नई दिल्ली

महात्मा गांधी जी को राष्ट्रीय पिता और बापू जी कह कर भी बुलाया जाता है. उनके पिता का नाम करमचंद्र गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई था. महात्मा गांधी को भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ कुछ लोगों में से एक माना जाता है जिन्होंने दुनिया को बदल दिया. उन्होंने सरल जीवन और उच्च सोच जैसे मूल्यों का प्रचार किया. उनके सिद्धांत थे सच्चाई, अहिंसा और राष्ट्रवाद. गांधी ने सत्याग्रह का नेतृत्व किया, हिंसा के खिलाफ आंदोलन, जिसने अंततः भारत की आजादी की नींव रखी. उनके जीवनभर की गतिविधियों में किसानों, मजदूरों के खिलाफ भूमि कर और भेदभाव का विरोध करना शामिल हैं. वे अपने जीवन के अंत तक अस्पृश्यता (untouchability) के खिलाफ लड़ते रहे. 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली में नाथुरम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी.
इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था और इसका कोई ऐसा दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में कही भी देखने को नहीं मिलता है.

7- पंडित जवाहरलाल नेहरू
जन्म – 14 नवम्बर, 1889
जन्म स्थान – इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु – 27 मई, 1964
मृत्यु का स्थान – दिल्ली

पंडित जवाहरलाल नेहरू को चाचा नेहरू और पंडित जी के नाम से भी बुलाया जाता है. उनके पिता का नाम पं. मोतीलाल नेहरू और माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था. वह भारतीय स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी के साथ सम्पूर्ण ताकत से लड़े, असहयोग आंदोलन का हिस्सा रहे. असल में वह एक बैरिस्टर और भारतीय राजनीति में एक केन्द्रित व्यक्ति थे. आगे चलकर वे राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने. बाद में वह उसी दृढ़ विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन में गांधीजी के साथ जुड़ गए. भारतीय स्वतंत्रता के लिए 35 साल तक लड़ाई लड़ी और तकरीबन 9 साल जेल भी गए. 15 अगस्त, 1947 से 27 मई, 1964 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने थे. उन्हें आधुनिक भारत के वास्तुकार के नाम से भी जाना जाता है.

स्वतंत्र भारत का हरेक व्यक्ति आज इन वीरों और महापुरुषों का ऋणी है जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ सम्पूर्ण जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया. भारत माता के ये महान सपूत आज हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं. इनकी जीवन गाथा हम सभी को इनके संघर्षों की बार-बार याद दिलाती है और प्रेरणा देती है. अपने स्वतंत्रता सेनानी भाग में हम इन तमाम महापुरुषों और महिलाओं के जीवन के बारे में जानेंगे जिन्होंने ने कठोर और दमनकारी अंग्रेजी हुकूमत से लड़कर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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