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वृश्चिक राशि में संतान योग, Vrushchik Rashi Santan Yog
कोई भी शादी शुदा दंपत्ति तब तक पूरी तरह से सुखी नहीं होता जब तक कि उसके घर आंगन में बच्चे की किलकारी न गूंजे. कई बार सारी सुख सुविधाओं के बावजूद लोग संतान सुख से वंचित रह जाते हैं. कई उपाय करने के बाद भी उन्हें वो खुशियां नहीं मिल पाती जो कि उन्हें चाहिए. वजह है संतान प्राप्ति के लिए सही उपाय व पूजा पाठ न करना. ज्योतिष मानते है कि अपनी राशि के अनुसार ही देवी-देवताओं की पूजा करने से वांछित फल की प्राप्ति हो सकती है. अगर आपकी राशि वृश्चिक है और आप भी अब तक संतान का सुख नहीं पा सके हैं तो यहां पर हम आपकी राशि के अनुसार कुछ उपाय और पूजा पाठ के बारे में बता रहे हैं, जिन्हे कर आप अवश्य ही संतान सुख पा सकते हैं.

वृश्चिक राशि को संतान प्राप्ति न होने के कारण, संतान सुख में बाधक कारक
1. मंगल खराब होने या मांगलिक दोष से भी संतान सुख में बाधा आ सकती है.
2. वृश्चिक राशि में राहु- केतु की स्थिति भी है संतान सुख में बाधक
3. दंपति की कुण्डली में नाड़ी दोष होने पर संतान नहीं होती यदि होती भी है तो उनमें शारीरिक विकार होता है. उसके लिए विवाह करने से पहले ही ज्योतिष के उपाय करें.
4. परिवार में पितृ दोष लगने के कारण संतान प्राप्ति में विघ्न उत्पन्न होते है.
5. पूर्व जन्म में हुए सर्पशाप, पितृश्राप, माताश्राप, भ्राताश्राप, प्रेतश्राप या कुलदेवता श्राप आदि के चलते संतान विलंब से होती है या नहीं भी होती है.
6. पिछले जन्म में अगर आपने पेड़-पौधे भी कटवाये हैं, तो यह स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसलिए कुंडली की विधिवत विवेचना कर इसका उपाय अपेक्षित है.

वृश्चिक राशि संतान प्राप्ति के उपाय, Vrushchik Rashi Santan Prapti Ke Upay
A. इष्ट देव की पूजा से वृश्चिक राशि को मिलेगा संतान सुख
अपने इष्ट देव (Isht Dev) की पूजा करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. इष्ट देव का अर्थ है अपनी राशि के पसंद के देवता. अरुण संहिता जिसे लाल किताब के नाम से भी जाना जाता है, के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर इष्ट देवता का निर्धारण होता है और इसके लिए जन्म कुंडली देखी जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इष्ट देव की पूजा करने से व्यक्ति को अच्छे और शुभ फल की प्राप्ति होती है. इष्ट देव की पूजा करने से ये फायदा होता कि कुंडली में चाहे कितने भी ग्रह दोष क्यों न हों, अगर इष्ट देव प्रसन्न हैं तो यह सभी दोष व्यक्ति को अधिक परेशान नहीं करते. इसलिए अगर कोई दंपति संतान सुख से वंचित है तो वह अपने राशि के अनुसार ईष्ट देव की पूजा कर संतान सुख पा सकता है. कुंडली का पंचम भाव इष्ट का भाव माना जाता है. इस भाव में जो राशि होती है उसके ग्रह के देवता ही हमारे इष्ट देव कहलाते हैं. वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह मंगल है इसलिए वृश्चिक राशि के जातक कार्तिकेयजी, हनुमानजी और राम जी को अपना इष्टदेव मानकर पूजा कर सकते हैं और मनचाहाफल प्राप्त कर सकते हैं.
वृश्चिक राशि स्वामी ग्रह – मंगल
वृश्चिक राशि इष्ट देव – भगवान कार्तिकेय, हनुमान जी और राम जी
यहां जानें कि संतान प्राप्ति के लिए कैसे करें वृश्चिक राशि के लोग अपने इष्ट देव भगवान कार्तिकेय, हनुमान जी और राम जी की पूजा-

1. कार्तिकेय पूजन विधि
सुबह जल्दी उठें, घर की साफ-सफाई कर स्नानादि कर ले और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
स्नानादि के बाद एक पटरी लें और उस पर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें. इनके साथ मां गौरी और शिव जी की प्रतिमा भी स्थापित करें. इसके बाद भगवान का तिलक करें और उनके समक्ष दीप, धूप जलाएं. फिर उन्हें कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन, गाय का घी, दूध, मौसमी फल, फूल आदि चीजें अर्पित करें. लेकिन ध्यान रखें कि शिव जी को हल्दी न चढ़ाएं. पूजा करने के बाद भगवान की आरती करें. साथ ही भजन-कीर्तन भी करें. भगवान कार्तिकेय के मंत्रों देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव. कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥ का जाप करें. इससे भगवान प्रसन्न हो जाते हैं.

2. हनुमान जी पूजन विधि
हनुमान जी की पूजा जितनी सरल है उतनी ही कठिन भी है. मंगलवार के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि कर निवृत होकर लाल वस्त्र धारंण करें. कोशिश करें की आपने जो वस्त्र पहना है वह सिला हुआ ना हो. घर के ईशान कोण को साफ कर, चौकी स्थापित करें और उस पर लाल वस्त्र बिछाएं. फिर उस पर हनुमान जी की मूर्ती स्थापित करें और वहां पर भगवान श्री राम और माता सीता की भी प्रतिमा अवश्य रखें. इसके बाद घी का दीपक और धूप दीप जलाकर सुंदर कांड का पाठ करें और हनुमान जी के मंत्र श्री हनुमंते नम: का जाप करें. फिर लाल फूल, लाल सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं. इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ कर हनुमान जी की आरती करें और भगवान को गुड़, केले और लड्डू का भोग लगाएं. तथा परिवार के सदस्यों को प्रसाद वितरित करें. वहीं यदि आपने मंगलावर का व्रत रखा है तो ध्यान रहे कि आपको इस दिन सिर्फ एक बार शाम के समय भोजन करना है. इस दौरान आप अपने भोजन में केवल मीठा भोजन सम्मिलित करें. दिन में आप दूध, केले और मीठे फलहार को शामिल करें.
व्रत और पूजा के दौरान महिलाएं इस बात का ध्यान रखें कि वह हनुमान जी को लाल वस्त्र या सिंदूर ना चढ़ाएं क्योंकि हनुमान जी ब्रम्हचारी थे. साथ ही वे अपने शुद्ध दिनों में ही हनुमान जी की पूजा करें.

3. राम जी पूजन विधि
सूर्योदय से पहले उठ जाएं और फिर स्नान आदि करने के बाद साफ सुथरे कपड़े पहनें. पूजा स्थान पर पूजन सामग्री के साथ आसान लगाकर बैठें. भगवान श्रीराम की पूजा में तुलसी का पत्ता होना अनिवार्य है क्योंकि श्रीराम विष्णु जी के अवतार हैं और भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है. उसके बाद रोली, चंदन, धूप और गंध से रामजी की पूजा करें. दीपक जलाएं, फिर श्रीराम को मिष्ठान, फल, फूल आदि अर्पित करें. सभी देवी-देवताओं का ध्यान लगाएं और आरती करें. इसके बाद राम जी के मंत्र ॐ नमो भगवते रामचंद्राय: का जाप करें. अगर संभव हो तो घर में हवन कराएं. पूजा के बाद रामचरितमानस, रामायण और रामरक्षास्तोत्र का पाठ जरूर करें. इसे पढ़ना बहुत शुभ माना जाता है.

B. मंगलवार का व्रत करने से वृश्चिक राशि को होगी संतान प्राप्ति
मंगलवार का व्रत श्री हनुमान जी को समर्पित है, यह व्रत करने से कुंडली में मौजूद मंगल ग्रह शुभ फल देता है. यह व्रत करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और निसंतान दंपति को संतान प्राप्ति सुख का आशीर्वाद मिलता है. संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत भक्तों को लगातार 21 मंगलवार तक करना चाहिए. मंगलवार व्रत में हनुमान जी की पूजा सूर्योदय के बाद और शाम को सूर्यास्त के बाद दिन में दो बार करनी चाहिए.
मंगलवार व्रत विधि- मंगलवार का व्रत करने के लिए व्रती सुबह जल्दी उठें तथा स्नान करके स्वच्छ लाल कपड़े पहन लें. कोशिश करें कि कपड़े सिले हुए ना हो. घर के ईशान कोण में चौकी रखें. अब भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. साथ में श्री राम और माता सीता की मूर्ति या चित्र भी अवश्य स्थापित करें. हाथ में जल लेकर भगवान हनुमान के सामने व्रत करने का संकल्प लें और प्रार्थना करें. धूप-दीप जलाकर भगवान राम और माता सीता की पूजा आराधना करें. इसके बाद श्री हनुमान की पूजा करें.
मंगलवार व्रत के दौरान आपको गुड़ और गेहूं का भोजन करना चाहिए. इस दिन नमक ना खाएं. मंगलवार व्रत करने के दौरान मीठा भोजन ग्रहण करें. आप फल और दूध का सेवन भी कर सकते हैं.

C. मंगल दोष निवारण से वृश्चिक राशि को होगी संतान सुख की प्राप्ति
1. मंगल दोष निवारण के लिए मेहमानों को मिठाई जरूर खिलाएं.
2. घर से जब भी बाहर निकलें, जेब में लाल रंग का रूमाल रखकर ही निकलें. दिन ढलने के बाद राशि स्‍वामी मंगल ग्रह की कृपा पाने के लिए बच्‍चों में गुड़ बांटें.
3. संतान सुख पाने के लिए आपको कमल के गट्टे की माला लाल वस्त्र में बांधकर अपने गले में धारण करना चाहिए अथवा इसे मंदिर में रखना रखना चाहिए.
4. रोज सुबह 108 बार ‘ ऊं आदित्याय नम:’ मंत्र का जाप करें.
5. किसी से कोई वस्‍तु मुफ्त में न लें.
6. हाथी के दांत से बनी किसी वस्‍तु का प्रयोग न करें.
7. पीला वस्त्र लाभदाय है. चादर भी पीले रंग की ही रखें.
8. प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें.
9. मसूर की दाल बहते जल में प्रवाहित करें या मंदिर में दान करें.
10. सफेद रंग का सुरमा आंखों में लगाएं.
11. राशि की उग्रता को कम करने के लिए वृश्चिक के जातकों को रात में सोते वक्‍त सिरहाने एक गिलास पानी रखकर सोना चाहिए. सुबह उस जल को किसी गमले में डाल दें.
12. विधवाओं की नि:स्वार्थ मदद करें. हमेशा अपनों से बड़ों का सम्मान करें और उनसे आशीर्वाद लेते रहें
13. ग्रहों को शांति रखने के लिए आपको बांए हाथ में चांदी का छल्‍ला धारण करना चाहिए. इसके साथ ही साधु, संतों , मां और गुरुओं की सेवा करें.
14. आपकी राशि के लोगों को मीठी वस्‍तुओं का व्‍यापार नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही आंगन में नीम का पेड़ लगाएं.
15. वृश्चिक राशि वालों का राशि स्‍वामी मंगल को माना जाता है जो कि स्‍वभाव से काफी उग्र होते हैं. इस वजह से वृश्चिक वालों को क्रोध काफी आता है. बेहतर होगा कि आप हर बात में धैर्य से काम लें.
16. घमंड, अहंकार, बदजुबानी और अपराधिक प्रवृत्ति से दूर रहें.
17. दक्षिण और शेरमुखी मकान में न रहें.
18. जहां रोज भट्टी जलती हो वहां भी न रहें.
19. मांस, मटन, चिकन, अंडा और मछली खाने से बचें.
20. भाई और पिता से झगड़ा न करें. क्रोध से बचें.

D . संतान सुख के लिए वृश्चिक राशि को लोग मंगलवार को करें ये उपाय
1. संतान सुख के लिए मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखें. यदि व्रत रखना संभव न हो सके तो हनुमान जी की पूजा अवश्य करें. इस दौरान हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ अवश्य करें. ऐसा करने से अवश्य ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.
2. हनुमान जी को चोला चढ़ाये और चने का भोग लगाएं.
3. मंगलवार के दिन गरीबो को गुड़ बांटे, तथा हनुमान जी को गुलाब की माला अर्पित करें.
4. संतान सुख प्राप्त करने के लिए वृश्चिक राशि के जातक कोई भी महत्वपूर्ण कार्य मंगलवार को करें तो श्रेष्ठ फल प्राप्त होगा.
5. प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर बूंदी का प्रसाद चढ़ाकर बांटना शुभ रहेगा. इससे जीवन में आने वाली अकस्मात परेशानियां दूर हो जाएंगी और संतान सुख की प्राप्ति होगी.
6. वृश्चिक राशि वालों के लिए बेहतर होगा कि बहन, बुआ और बेटियों को अक्‍सर उपहार देते रहें. हर मंगलवार को मीठी रोटी गाय को खिलाएं, इससे अवश्य ही संतान सुख की प्राप्ति होगी.
7. यदि बच्चे न होते हों या होते ही मर जाते हों, तो मंगलवार के दिन मिट्टी की हांडी में शहद भरकर श्मशान में दबायें.

E. वृश्चिक राशि में राहु- केतु की सही स्थिति देगी संतान सुख
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि वृश्चिक राशि में राहु- केतु की स्थिति शुभ न हो तो ये दोनों ग्रह (राहु- केतु) व्यक्ति की जीवन में परेशानियों का अंबार लगा देते हैं. इसके कारण व्यक्ति के जीवन में एक परेशानी समाप्त होती है तो दूसरी आरंभ हो जाती है. राहु-केतु के द्वारा निर्मिक कालसर्प दोष या फिर पितृ दोष जन्म कुंडली में मौजूद हो तो जीवन में और भी अधिक परेशानियां देखने को मिलती है. व्यक्ति जीवन भर भटकता रहता है. हर कार्य में असफलता प्राप्त होती है. करियर में बाधा आती है. इसके अलावा आपकी कुंडली में मौजूद ग्रहों की और नक्षत्रों की स्थिति भी संतान प्राप्ति की राह में बाधा बन सकती है. कुंडली में राहु और केतु का स्थान यह निश्चित करता है कि आपको संतान प्राप्ति होगी या नहीं होगी अथवा संतान की प्राप्ति कब होगी? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु और केतु को पाप ग्रह की श्रेणी में रखा गया है. ये सदैव अशुभ फल देते हैं ऐसा नहीं है. शुभ स्थान होने पर ये दोनों ग्रह बहुत अच्छे परिणाम भी देते हैं. इसलिए जरूरी है कि वृश्चिक राशि के जातक राहु- केतु दोष निवारण उपाय करें ताकि वे संतान सुख पाने के साथ ही जीवन की अन्य परेशानियों से छुटकारा भी पा सके. अगर संतान सुख की लालसा है और कोई सरल उपाय अभी तक नजर नहीं आया है तो एक बार इस उपाय को अपनाएं और राहू केतु की आराधना से समस्त क्लेशों को दूर करते हुए संतति प्राप्ति की बाधाओं को निष्क्रिय करें, क्योंकि इनको खुश करने से ही घर में किलकारियां गूंज सकती हैं.
राहु- केतु का उपाय
राहु और केतु को शांत रखने के लिए बुधवार को भगवान गणेश जी की पूजा करें. इस दिन गणेश जी को दुर्वा घास चढ़ाएं. मां दुर्गा के नवार्ण मंत्र का पाठ करने से भी इन ग्रहों को शांत रखने में मदद मिलती है. ये मंत्र इस प्रकार है- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
राहु और केतु को खुश करने के लिए मंत्र
1. अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्यविमर्दनम्. सिंहिंकागर्भशंभूतम् तं राहुं प्रणमाम्यहम्..
2. ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नमः.
3. पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्. रौद्रं रौद्रात्मकम् घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्.

F. पितृ दोष के उपाय से वृश्चिक राशि को मिलेगा संतान सुख
पितृ दोष होने पर व्‍यक्ति के जीवन में संतान का सुख नहीं मिल पाता है. अगर मिलता भी है तो कई बार संतान विकलांग होती है, मंदबुद्धि होती है या फिर चरित्रहीन होती है या फिर कई बार बच्‍चे की पैदा होते ही मृत्‍यु हो जाती है. इसलिए संतान सुख की प्राप्ति के लिए जरूरी है कि वृश्चिक राशि के लोग अपनी कुंडली में मौजूद पितृ दोष को दूर करने का उपाय करें.
1. कुंडली में पितृ दोष होने पर व्‍यक्ति को दक्षिण दिशा में पितरों की फोटो लगाकर उनको रोजाना माला चढ़ाकर उनका स्‍मरण करना चाहिए. पूर्वजों का आशीर्वाद मिलने के साथ ही पितृदोष के प्रभाव समाप्‍त होने लगेंगे.
2. पूर्वजों के निधन की तिथि पर ब्राह्मणों को श्रृद्धापूर्वक भोजन करवाएं और यथाशक्ति दान भी करें.
3. शाम के वक्‍त रोजाना दक्षिण दिशा में एक दीपक जरूर जलाएं. रोजाना नहीं जला सकते हैं तो कम से कम पितर पक्ष में जरूर जलाएं.
4. घर के पास में लगे पीपल के पेड़ पर दोपहर में जल चढ़ाएं. पुष्‍प, अक्षत, दूध, गंगाजल और काले तिल भी चढ़ाएं. पितरजनों को याद करें.
5. कुंडली में पितृदोष दूर करने के लिए किसी गरीब कन्‍या का विवाह करने या फिर विवाह में मदद करने से भी आपको लाभ होता है.

G. नाड़ी दोष का उपाय कर वृश्चिक राशि को लोग पाएं संतान सुख
विवाह के समय कुंडली मिलान में बनने वाले दोषों में से एक है नाड़ी दोष. इस दोष के होने पर वैवाहिक स्थिति कभी ठीक नहीं रहती, दंपत्ति संतान सुख से वंचित रह सकते हैं साथ ही वर-वधू के जीवन पर मृत्यु का संकट मंडराया रहता है. नाड़ी दोष निवारण के लिए भगवान शिव की पूजा की जाती है. पूरे विधि-विधान से महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए शिव को प्रसन्न किया जाता है. शिवजी की कृपा से ही नाड़ी दोष शांत होता है.
1. नाड़ी दोष निवारण की पूजा वर और वधू दोनों को साथ बिठाकर की जाती है. इस पूजा में सवा लाख महामृत्युंजय मंत्रों का जप किया जाता है.
2. पूजा के पहले दिन 5 से 7 ब्राह्मण, पूजा करानेवाले लोग पूजा घर या मंदिर में साथ बैठकर भगवान शिव की आराधना करते हैं. शिव परिवार की पूजा करने के बाद मुख्य पंडितजी अपने सहायकों सहित कन्या और वर की कुंडली में स्थित नाड़ी दोष के निवारण के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र के जप का संकल्प लेते हैं.
3. जप पूरा हो जाने के बाद विधि पूर्वक हवन कर ज्योतिषाचार्यों के परामर्श के अनुसार दान दिया जाता है.
4. आमतौर पर यदि वर और कन्या की कुंडली में नाड़ी दोष हो तो विवाह न करने की सलाह दी जाती है. लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में जरूरी उपाय करके इस दोष को शांत किया जा सकता है. इसक लिए ब्राह्मण को गाय का दान दिया जाता है.
5. अपने जन्मदिन पर अपने वजन के बराबर अन्न का दान करने पर नाड़ी दोष के प्रभावों से शांति मिलती है.
6. समय-समय पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर वस्त्र दान करने से भी नाड़ी दोष के प्रभावों को शांत किया जा सकता है.
7. पीयूष धारा के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के विवाह में नाड़ी दोष बाधा बन रहा है तो उसे स्वर्ण दान, वस्त्र दान, अन्न दान करना चाहिए. सोने से सर्प की आकृति बनाकर, उसकी विधि पूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा करके महामृत्युंजय मंत्र का जप कराने से नाड़ी दोष शांत होता है.

H. ज्योतिर्लिंग पर पूजा करने से होगी वृश्चिक राशि को संतान सुख की प्राप्ति
देवाधिदेव भगवान् महादेव सर्वशक्तिमान हैं. भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं. संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसी प्रकार विभिन्न राशि के व्यक्तियों के लिए शास्त्र अलग-अलग ज्योतिर्लिंगों की पूजा का महत्व बताया गया है. भगवान शंकर के पृथ्वी पर 12 ज्योतिर्लिंग हैं. भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों को अपना अलग महत्व है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के ये सभी ज्योतिर्लिंग प्राणियों को दु:खों से मुक्ति दिलाने में मददगार है. इन सभी ज्योतिर्लिंगों को 12 राशियों से भी जोड़कर देखा जाता है.
वृश्चिक राशि के व्यक्ति को नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पर पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है. वृश्चित राशि वाले जातक को गुजरात के द्वारका जिले में अवस्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. इस ज्योतिर्लिंग का संबंध वृश्चिक राशि से है. महाशिवरात्रि के दिन इनका दर्शन करने से दुर्घटनाओं से बचाव होता है. जो लोग इस दिन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन न कर सकें वह दूध और धान के लावा से शिव की पूजा करें. शिव को गेंदे का फूल, शमी एवं बेलपत्र चढाएं. वृश्चिक राशि के जातक ‘ह्रीं ओम नमः शिवाय ह्रीं’. मंत्र का जप करें. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में दसवें ज्योतिर्लिंग के रूप में विश्व भर में प्रसिद्ध है. नागेश्वर अर्थात नागों का ईश्वर और यह विष आदि से बचाव का सांकेतक भी है. यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर गुजरात के द्वारकापुरी से 25 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है. नागेश्वर मंदिर जिस जगह पर बना है वहां कोई गांव या बसाहट नहीं है.

I. ग्रहों की शांति से वृश्चिक राशि को मिलेगा संतान सुख
ग्रहों के कारण संतान सुख में बाधा आ रही हो, तो सूर्य के लिए हरिवंश पुराण का पाठ करें. चंद्रमा के लिए सोमवार का व्रत रख कर शिव की उपासना करनी चाहिए. मंगल के लिए महारुद्र या अतिरुद्र यज्ञ कराएं. बुध के लिए महाविष्णु की उपासना करें. गुरु के लिए पितरों का श्राद्ध करें. शुक्र के लिए गौपालन एवं उसकी सेवा करें. शनि के लिए महामृत्युंजय का जप एवं हवन करें. राहु के लिए नागपाश यंत्र की पूजा व बुधवार को व्रत रख करना चाहिए. ऐसे लोगों के लिए कन्यादान करना भी श्रेष्ठ माना गया है. केतु के लिए ब्राह्मण भोजन करा कर उन्हें वस्त्र भेंट करें. इसके अलावा “नवग्रह शांति पाठ”, संतान प्राप्ति में बेहद मददगार होता है इस पाठ से सारे दोष से निवारण मिलता है.

J. संतान प्राप्ति के लिए वृश्चिक राशि के लोग करें लाल किताब के उपाय
1. लाल किताब के अनुसार नि:संतान दंपत्ति को संतान गोपाल साधना करने की सलाह दी जाती है. यह प्रयोग हजारों बार सफल होते देखा गया है, जो नि:संतान हैं, उनके लिए इससे बढ़ कर कोई उपाय है ही नहीं.
2. धन्योऽपि गृहस्थ आश्रम : चार आश्रम, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ व संन्यास आश्रम में से गृहस्थ आश्रम की महिमा ऋषि-महर्षियों ने भी प्रतिपादित की है. देव भी गृहस्थाश्रम सुख भोगने के लिए पृथ्वी लोक पर बार-बार जन्म लेते हैं.
3. यदि बच्चे जन्म लेते ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हों तो ऐसी स्थिति में कुछ उपाय कर निदान किया जा सकता है. जैसे गर्भधारण करते ही गर्भवती स्त्री की कलाई पर लाल रंग का धागा बांधना चाहिए. संतान होने पर वह धागा मां की कलाई से खोलकर बच्चे की कलाई पर बांध दें एवं मां की कलाई पर दूसरा धागा बांध दें. यह धागा 18 माह तक बंधा रहे, इस बात का विशेष ध्यान रखें.
4. बच्चों को उनके जन्मदिवस पर नमकीन वस्तुएं बांटें.
5. मेहमानों को मिठाई जरूर खिलाएं.
6. सफेद रंग का सुरमा आंखों में लगाएं.
7. हनुमानजी की भक्ति करें.
8. गुड़ खाना चाहिए.
9. विधवाओं की निस्वार्थ मदद करें.
10. हमेशा अपनों से बड़ों का सम्मान करें.
11. कभी-कभी गुलाबी या लाल चादर पर सोएं.

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